संशोधन की आहट से गरमाई राजनीति, वक्फ बोर्ड की ताकत समझिए
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संशोधन की आहट से गरमाई राजनीति, वक्फ बोर्ड की ताकत समझिए

वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता को लेकर पहले से सवाल उठते रहे हैं। अब इस तरह की चर्चा है कि केंद्र सरकार इसमें संशोधन का प्रस्ताव पेश करने वाली है।


Waqf Act: इस तरह की चर्चा है कि केंद्र सरकार संसद में सोमवार यानी पांच अगस्त को वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव पेश कर सकती है। अब इस विषय पर राजनीति भी तेज हो चुकी है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने तो सीधे सीधे मुस्लिम समाज के हित पर चोट बताया है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने भी विरोध जताया है। जबकि सरकार की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड की तरफ से सधी प्रतिक्रिया आई है। जेडीयू के मुताबिक वो बिल देखने के बाद ही अंतिम तौर पर कुछ बोलेंगे। इन सबके बीच हम आपको वक्फ बोर्ड से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देंगे।

2013 में यूपीए की सरकार ने मूल वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन किया था

अब नरेंद्र मोदी सरकार इसमें संशोधन कर वक्फ परिषद और राज्यों के वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना चाहती है।

ऐसा कहा जा रहा है कि प्रस्तावित संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर कैंची चल जाएगी।यानी कि शक्ति सीमित हो जाएगी।

क्या वक्फ बोर्ड पर लगेगा लगाम
अगर संशोधन प्रस्ताव पारित हो गए तो वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने पर रोक लग जाएगी।वक्फ बोर्ड अगर किसी संपत्ति पर अपना दावा पेश करता है तो उसे जमीन मिलती है तो उसका सत्यापन कराना पड़ेगा। देश भर में वक्फ बोर्ड की संपत्ति करीब 9 लाख 70 हजार एकड़ में फैली हुई है और करीब 8 लाख 70 हजार संपत्तियों की देखरेख करता है। 2013 में यूपीए सरकार ने 1995 के मूल एक्ट संशोधन कर वक्फ की शक्तियां बढ़ा दी थीं। 2013 के संशोधन को औकाफ के लिए बनाया गया। औकाफ का सरल अर्थ यह है कि एक वकीफ यानी ऐसा शख्स जो शरिया नियमों के तहत धार्मिक या धार्मिक कार्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है। अब जिस संशोधन की बात हो रही है उसमें वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है, क्योंकि इस तरह की आवाज आ रही थी कि 1995 के एक्ट का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया है।
सियासत भी हुई तेज
अब इस विषय पर असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि आरएसएस की मंशा तो शुरू से ही वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को छीनने की आ रही है। हालांकि इस विषय पर मुस्लिम समाज में ही अलग अलग राय है। जैसे कि यूपी सरकार में मंत्री रहे डॉ मोहसिन रजा कहते हैं कि वक्फ ने बड़े पैमाने पर अपने अधिकारों की दुरुपयोग किया। एक तरह से जमीनों पर कब्जा कर लिया और उसे औकाफ का चोला पहना कर जायज ठहराते हैं। इस विषय पर कुछ मुस्लिम विद्धानों का कहना है कि सवाल सरकार की मंशा पर है। मसलन संशोधन की आड़ में जमीन हड़पने की कोशिश तो नहीं है। जैसा कि कानून में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई है उसकी सराहना होनी चाहिए। 1954 में वक्फ बोर्ड का गठन जब हुआ तब नीयत ठीक थी। लोग अपनी संपत्तियों को दान करते थे। लेकिन सच यह भी है कि बहुत धांधली हुई है। मजहब के लोगों ने ही धांधली की है।
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