
गर्मी बढ़ते ही जल संकट गहराया: जलाशयों में जल स्तर 45% तक घटा
देश में गर्मी के बढ़ने के साथ ही जल संकट का खतरा भी गहरा है। इस बीच सामने आया है कि गर्मी की शुरुआत में ही देश के प्रमुख जलाशयों में 45% तक जल स्तर गिर गया है
इस बार की गर्मियां बहुत भारी पड़ने वाली हैं। इसकी वजह हे पानी का संकट। देश में बढ़ती गर्मी के साथ ही जल संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है। वर्ष के शुरुआती महीनों में ही प्रमुख जलाशयों में जल स्तर में 45% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे आने वाले दिनों में हालात और विकट होने की संभावना है।
जलाशयों में तेजी से घट रहा जल स्तर
मार्च समाप्त होने से पहले ही देश के प्रमुख जलाशयों में जल स्तर में तेजी से गिरावट देखी गई है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश जलाशयों का जल स्तर उनकी कुल क्षमता के 45% तक कम हो गया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मार्च से मई के बीच अत्यधिक गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी की है, जिससे पानी की उपलब्धता पर और अधिक दबाव बढ़ सकता है।
सिंचाई और जल आपूर्ति पर प्रभाव
जलाशय ग्रामीण और शहरी जल आपूर्ति के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं। लेकिन बढ़ते तापमान और जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण यह संकट और गहराता जा रहा है।
CWC के अनुसार, देश के 155 प्रमुख जलाशयों में फिलहाल केवल 8,070 करोड़ क्यूबिक मीटर (BCM) पानी बचा है, जबकि इनकी कुल भंडारण क्षमता 18,080 करोड़ क्यूबिक मीटर है।
उत्तर भारत में स्थिति ज्यादा गंभीर
विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और पंजाब में जल संकट ज्यादा गहरा गया है। उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में उनकी कुल क्षमता का केवल 25% पानी शेष है, जिसमें पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के 11 जलाशय शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश: सामान्य से 36% कम पानी
पंजाब: सामान्य से 45% कम पानी
पश्चिमी क्षेत्र: जलाशयों में 55% पानी शेष
मध्य क्षेत्र: जलाशयों में 49% पानी शेष
पूर्वी क्षेत्र: जलाशयों में 44% पानी शेष
खेती के लिए बढ़ेंगी मुश्किलें
देश में जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि क्षेत्र में होता है, इसके बाद औद्योगिक और घरेलू आवश्यकताओं में। कई हिस्सों में तापमान पहले से ही सामान्य से अधिक बना हुआ है, जबकि मानसून आने में अभी दो महीने से अधिक का समय शेष है। ऐसे में घटता जल स्तर रबी और खरीफ की फसलों को प्रभावित कर सकता है।
देश की 20 नदी घाटियों में से 14 में जल संकट
भारत की 20 प्रमुख नदी घाटियों में से 14 में जल स्तर आधे से भी कम रह गया है।
गंगा नदी: अपनी सक्रिय क्षमता का 50% जल शेष
गोदावरी नदी: 48% जल शेष
नर्मदा नदी: 47% जल शेष
कृष्णा नदी: केवल 34% जल शेष
जनजीवन पर गहरा असर
नदियां न केवल सिंचाई और पेयजल के लिए बल्कि लाखों लोगों की आजीविका का भी मुख्य स्रोत हैं। घटता जल स्तर न केवल कृषि उत्पादन को प्रभावित करेगा, बल्कि शहरों और गांवों में पानी की आपूर्ति भी बाधित कर सकता है।
गर्मियों के शुरुआती दौर में ही जल संकट की गंभीर स्थिति चिंता का विषय है। यदि समय रहते जल संरक्षण और कुशल प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में हालात और अधिक खराब हो सकते हैं।