वायनाड के 4 गांव 4 घंटे में पूरी तरह तबाह, कुछ ऐसी ही थी केदारनाथ त्रासदी
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वायनाड के 4 गांव 4 घंटे में पूरी तरह तबाह, कुछ ऐसी ही थी केदारनाथ त्रासदी

वायनाड में भूस्खलन के बाद राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। लेकिन अब जो जानकारी सामने आ रही वो दिल दहलाने वाली है।


Wayanad Landslide: कहते हैं कि प्रकृति की नेमत जितनी खूबसूरत होती है उसकी मार उतनी ही भयावह. केरल के वायनाड जिले को तीन लैंडस्लाइड ने तबाह कर दिया। चार गांव में रहने वाली करीब 22 हजार की आबादी ने चार घंटे के उस मंजर को देखा जिसे बयां करने मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस तबाही में अब तक 156 लोगों के मरने की खबर है. 100 लोग लापता हैं। जो लोग रात में सोये हुए थे उन्हें उठने का मौका तक नहीं मिला वो मलबे में दफ्न हो चुके थे.वायनाड की खूबसूरती पर अब तबाही के दाग हैं। वायनाड का ये मंजर 11 साल पहले केदारनाथ त्रासदी की याद दिला गया। लेेकिन पहले आप को बताएंगे कि इस भीषण हादसे में बच गई पीड़ित ने क्या कहा।

पीड़ित का दर्द
मैं अपने घर पर अकेला रहती हूं। रात को मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा बिस्तर हिल रहा है और तेज आवाजें आ रही हैं मैंने अपने पड़ोसियों को फ़ोन करने की कोशिश की लेकिन किसी ने फ़ोन नहीं उठाया। मैंने अपने बेटे को फ़ोन किया जो कोयंबटूर में रहता है और उसने मुझे घर की छत पर चढ़कर वहीं रहने को कहा। मैं दरवाज़ा नहीं खोल पाई क्योंकि वह जाम था। मैंने मदद के लिए चिल्लाई कुछ देर बाद लोग आए और दरवाजा कुल्हाड़ी से तोड़कर मुझे बचाया। जब दूसरा भूस्खलन हुआ तो मेरा घर भी बह गया। मेरे रिश्तेदार मुंडक्कई में रहते थे वे सभी मर गए उनके 2 शव बरामद किए गए हैं बाकी 6-7 लापता हैं. अब मेरे पास घर या जमीन नहीं है और मैं नौकरी पर भी नहीं जा सकती. मैं घर नहीं बना पाऊंगी. मुझे नहीं पता कि क्या करना है

ये गांव हुए प्रभावित
नूलपुझा, अट्टामाला, मुंडक्कई और चूरामाला गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। चूरलमाला और मुंक्कई के बीच बने पुल के तबाह होने से प्रभावित इलाकों का संपर्क कटा हुआ है। इस बीच मौसम विभाग के अलर्ट होने की वजह से उड़ान में दिक्कत आ रही है क्योंकि फॉग बहुत अधिक है। इसके साथी ही भारी बारिश की भी चेतावनी है। केरल के अलग अलग जिलों में लैंडस्लाइक के मामले सामने आते हैं। लेकिन यह वायनाड जिले में सबसे बड़ी तबाही के रूप में है। नदियों में शवों को बहते हुए भी देखा जा रहा है।

केदारनाथ हादसा
अब बात करेंगे केदारनाथ त्रासटी की और क्यों वायनाड लैंडस्लाइड की तुलना हो रही है। 11 साल पहले साल 2013 और तारीख 16-17 जून की रात। उत्तराखंड के चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश के साथ लैंडस्लाइड हुई। भारी बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से अलकनंदा, भागीरथी और मंदाकिनी नदियों का रौद्र रूप देखकर हर कोई डर गया मानो की अब तबाही से कोई बचा नहीं सकता। इसकी वजह से रामबाड़ा, केदारनाथ, भींडर और गोविंदघाट के इलाके नक्शे से ही गायब हो गए। ऐसा लगा कि जैसे पहले कुछ रहा ही ना हो। पूरे इलाके में 6 हजार (ज्यादातर टूरिस्ट) से अधिक लोगों की जान चली गई. वायुसेना के रेस्क्यू ऑपरेशन में एक लाख से अधिक लोगों को बचाया गया था. दरअसल चोराबारी ग्लेशियर पर बनी प्राकृतिक झील पर बनी बर्फ की दीवार खुद ब खुद टूट गई और उसका असर हरिद्वार तक नजर आया।

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