नारी शक्ति की जुबानी ऑपरेशन सिंदूर की कहानी, कौन हैं सोफिया कुरैशी-  व्योमिका सिंह
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नारी शक्ति की जुबानी ऑपरेशन सिंदूर की कहानी, कौन हैं सोफिया कुरैशी- व्योमिका सिंह

आज ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रेस ब्रीफिंग हुई, जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने अहम भूमिका निभाई.


Sophia Qureshi- Vyomika Singh: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पहलगाम आतंकी हमले का कड़ा जवाब दिया. पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल एयर स्ट्राइक कर 100 से ज्यादा आतंकियों का सफाया किया गया. ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री मौजूद रहे. उन्होंने मीडिया को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की रणनीति, तकनीक और इसकी सफलता के पहलू विस्तार से बताए.

इन दोनों बहादुर महिलाओं की कहानी, जिन्होंने न केवल सैन्य क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, बल्कि देश की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाई है. उनकी ये उपस्थिति नारी शक्ति का एक शानदार उदाहरण है और देश की बेटियों के लिए प्रेरणा भी. तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई के बाद महिला अधिकारियों का सामने आकर प्रेस को जानकारी दी. ऐसा पहली बार हुआ है कि आर्म्ड फोर्स की दो महिलाएं प्रेस ब्रीफिंग करने सामने आईं.

कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?

गुजरात से ताल्लुक रखने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर में अफसर के रूप में कार्यरत हैं. 35 साल की सोफिया ने 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन प्राप्त किया और तब से उन्होंने भारतीय सेना में कई महत्वपूर्ण पोस्टिंग्स संभाली हैं. इन पोस्टिंग्स में काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य भी शामिल हैं. सोफिया का सेना से जुड़ा रिश्ता पीढ़ियों पुराना है. उनके दादा और पिता दोनों ही भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और इस पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सोफिया ने भी देश की सेवा में अपना योगदान देने का संकल्प लिया.

2016 में रचा इतिहास

गुजरात की रहने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर में एक मजबूत और प्रेरणादायक अधिकारी हैं. साल 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने सेना में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, जिनमें काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशंस भी शामिल हैं. उनके परिवार का सेना से जुड़ाव पीढ़ियों पुराना है. उनके दादा और पिता भी भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं. साल 2016 में तब लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनात सोफिया कुरैशी ने Exercise Force 18 में भारत की 40-सदस्यीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया. ये उनके करियर का एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि वो किसी भी मल्टीनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय महिला अधिकारी बनीं. Exercise Force 18 भारत का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था, जिसमें 18 देशों की सेनाओं ने भाग लिया. इन देशों में ASEAN राष्ट्रों के अलावा जापान, अमेरिका, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे वैश्विक ताकतें शामिल थीं. इस अभ्यास का उद्देश्य विभिन्न देशों की सेनाओं के बीच सामंजस्य और सहयोग को बढ़ावा देना था.

कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह

विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना की एक अनुभवी और साहसी हेलिकॉप्टर पायलट हैं. उनके नाम 2500 घंटे से ज्यादा की उड़ान का अनुभव दर्ज है. व्योमिका सिंह की सबसे खास बात ये है कि उन्होंने लगभग हर तरह की परिस्थितियों में सफलतापूर्वक उड़ान भरी है. चाहे वो ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की दुर्गम चोटियां हों, तपते हुए रेगिस्तान की रेत हो या फिर घने और चुनौतीपूर्ण जंगल. उनकी उड़ान का दायरा न सिर्फ विविध है, बल्कि जोखिमपूर्ण इलाकों में भी उनकी पकड़ बेहद मजबूत रही है.

प्रेरणा का प्रतीक

व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का एक जीवंत उदाहरण हैं. उनका साहस और प्रतिबद्धता नई पीढ़ी की महिला पायलटों को प्रोत्साहित करती है और ये साबित करती है कि भारतीय महिलाएं आसमान की हर ऊंचाई को छूने का हौसला रखती हैं.

कर्नल सोफिया कुरैशी ने क्या बताया?

भारतीय सेना की साहसी अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी ने हाल ही में एक ऑपरेशन का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य निर्दोष पर्यटकों पर हुए हमले का बदला लेना था. ये ऑपरेशन रात 1:05 से 1:30 के बीच गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया. ये ऑपरेशन पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या के जवाब में किया गया. सोफिया ने स्पष्ट किया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान में पिछले तीन दशकों से चल रहे आतंकवादी निर्माण का हाथ है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में 9 टारगेट चुनकर उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया. इन टारगेट्स में लॉन्चपैड. ट्रेनिंग सेंटर्स और आतंकवादियों के ठिकाने शामिल थे, जिन्हें सेना ने सटीकता से निशाना बनाया. इस ऑपरेशन का उद्देश्य न केवल आतंकवादी ढांचे को कमजोर करना था, बल्कि ये एक कड़ा संदेश भी था कि निर्दोष नागरिकों पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

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