मायावती ने क्यों खुदवाया था राजा भैया का तालाब? पढ़ें सियासती अदावत की दास्तां
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मायावती ने क्यों खुदवाया था राजा भैया का तालाब? पढ़ें सियासती अदावत की दास्तां

सियासिती अदावत की इस कहानी में अहम किरदार मायावाती और राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह हैं. जिनकी दास्तां साल 1997 से शुरू होती है.


Lok Sabha Election 2024: कहते हैं कि राजनीति में मतभेद होने चाहिए, मनभेद नहीं. क्योंकि, जब मनभेद हो जाता है तो उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. यह कहानी भी ऐसे ही सियासती दुश्मनी की है. जिसके अहम किरदार मायावती और राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह हैं. दोनों के बीच दुश्मनी की कहानी साल 1997 से शुरू होती है. यूपी में गठबंधन की सरकार में छह महीने बीजेपी और छह बीएसपी के मुख्यमंत्री बनाने को लेकर डील हुई थी. डील के अनुसार, मायावती ने पहले मुख्यमंत्री बनने का फैसला किया. जब बीजेपी की तरफ से कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने तो मायावती ने कुछ महीनों बाद समर्थन वापस ले लिया. लेकिन प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया ने कांग्रेस और बीएसपी के कुछ विधायकों को तोड़कर और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बीजेपी सरकार को गिरने से बचा लिया था. इसके बाद कल्याण सिंह ने राजा भैया को मंत्री भी बनाया था. इसके बाद से मायावती और राजा भैया के बीच राजनीतिक दुश्मनी का सिलसिला शुरू हो जाता है.

एक बार फिर साल साल 2002 में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन की सरकार बनी. इस दौरान मायावती ने राजा भैया से बदला लिया. बीजेपी ने राजा भैया को मंत्री बनाने के लिए नाम दिया था. इसके बावजूद मायावती ने राजा भैया को मंत्री नहीं बनाया. इतना ही नहीं मायावती ने राजा भैया की भदरी रियासत की हवेली में पुलिस की रेड डलवा दी और यहां से कई हथियार बरामद हुए थे. इसके बाद राजा भैया पर पोटा लगाकर 2 नवंबर 2002 को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी किडनैपिंग और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

राजा भैया की भदरी रियासत की कोठी के पीछे एक तालाब था. कहा जाता है कि 600 एकड़ में फैले इस तालाब में राजा भैया ने घड़ियाल पाल रखे थे. वह इसमें अपने दुश्मनों को इसमें फेंकवा दिया करते थे. मायावती ने साल 2003 में इस तालाब को खुदवा दिया था और 16 जुलाई 2003 को इसे सरकारी कब्जे में लेकर भीमराव अंबेडकर पक्षी विहार घोषित कर दिया था. उन्होंने इस तालाब के पास ही एक गेस्ट हाउस भी बनवा दिया था.

जब अगस्त 2003 में मायावती की सरकार गिरी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने तो शपथ ग्रहण करने के 25 मिनट के अंदर राजा भैया की रिहाई के आदेश दे दिए गए. राजा भैया जेल से बाहर मुलायम सिंह सरकार में मंत्री भी बने. इतना ही नहीं, मुलायम सिंह ने मायावती के तालाब को पक्षी विहार बनाने के फैसले को भी पलट दिया था. लेकिन एक बार फिर से पासा पलटा और बीएसपी की साल 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. तब मायावती ने हत्या के आरोप में राजा भैया को गिरफ्तार कर दोबारा से जेल में डाल दिया और फिर से तालाब को पक्षी विहार बनाव दिया.

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