
'राष्ट्रवाद अब जोड़ने का नहीं, बांटने का बन गया जरिया': योगेंद्र यादव
यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति को लेकर शर्मिंदगी ने राष्ट्रवाद को कमजोर किया है। जब हम अपनी संस्कृति से जुड़ाव महसूस नहीं करेंगे तो राष्ट्रवाद को कैसे मजबूत करेंगे?
राजनीतिक विचारक और कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने हाल ही में 'ऑफ द बीटन ट्रैक' कार्यक्रम में निलांजन मुखोपाध्याय के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद की वर्तमान स्थिति और उसकी चुनौतियों पर गहरी चर्चा की। यादव ने बताया कि आजकल राष्ट्रवाद का अर्थ संकीर्ण और विभाजनकारी हो गया है। उन्होंने इसे 1930 के दशक के नाजी जर्मनी, इज़राइल की सैन्यवादी नीति और पाकिस्तान के धार्मिक राष्ट्रवाद से तुलना की। उनके अनुसार, यह भारतीय राष्ट्रवाद की मूल भावना से भटका हुआ है, जो विविधता, समावेशिता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित था।
प्रगतिशील ताकतों की भूमिका
यादव ने यह भी कहा कि केवल भाजपा और संघ परिवार ही जिम्मेदार नहीं हैं; प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी ताकतें भी इस बदलाव में समान रूप से दोषी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन ताकतों ने राष्ट्रवाद को नजरअंदाज किया और इसे फिर से जीवित करने की कोशिश नहीं की, जिससे यह ताकतें अन्य समूहों के हाथों में चली गईं।
संविधान और अल्पसंख्यकों की स्थिति
यादव ने यह भी कहा कि भारतीय मुसलमानों को आज दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में देखा जा रहा है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रधानमंत्री के बयानों ने यह संदेश दिया है कि मुसलमान समान नागरिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह संविधान की सुरक्षा में विफलता और लोकतंत्र के लिए खतरे की ओर इशारा करता है। यादव ने यह भी कहा कि हम सभी संविधान को हल्के में लेते हैं, जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान की उपेक्षा करना लोकतंत्र की नींव को कमजोर करना है।
संस्कृति और राष्ट्रवाद
यादव ने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति को लेकर शर्मिंदगी ने राष्ट्रवाद को कमजोर किया है। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी संस्कृति से जुड़ाव महसूस नहीं करेंगे तो राष्ट्रवाद को कैसे मजबूत करेंगे? यादव ने कहा कि हमें भारतीय राष्ट्रवाद की मूल भावना को पुनः स्थापित करना होगा, जो विविधता को स्वीकारता है। उन्होंने कहा कि अगर हम सकारात्मक राष्ट्रवाद नहीं दिखाएंगे तो लोग विभाजनकारी विचारों की ओर बढ़ेंगे। हमें यह सवाल करना होगा कि भारत क्या है और हमें उस पर गर्व क्यों होना चाहिए।