
3 साल से कम उम्र के बच्चों को भी होता है सिरदर्द, जानें कारण और निवारण
बच्चों में माइग्रेन जीवनभर रहने वाली समस्या नहीं है। सही जीवनशैली और खान-पान देकर आप बच्चे को इससे बचा सकते हैं...
Headache In Kids: आपको जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन 7 साल से कम उम्र के एक तिहाई बच्चों में सिरदर्द की समस्या होती है। यानी बच्चों को सिरदर्द होना काफी सामान्य है। कई बार बच्चा रात को उठकर भी सिरदर्द की शिकायत कर सकता है। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है और टीनऐज तक पहुंचती है, तब इनमें से दो तिहाई बच्चों को कम से कम महीने में एक बार सिर में दर्द की समस्या होती है। इसलिए बहुत छोटे बच्चों में सिरदर्द के लक्षणों को माता-पिता को पहचानना होता है और जो छोटे बच्चे बोलकर बता सकते हैं कि सिरदर्द हो रहा है, उनकी शिकायत को माता-पिता को अनदेखा नहीं करना चाहिए...
बच्चों में होता है 2 प्रकार का सिरदर्द
बच्चों में मुख्य रूप से 2 तरह का सिरदर्द होता है, जिन्हें हम प्राइमरी हेडऐक और सेंकडरी हेडऐक कहते हैं। प्राइमरी प्रकार के दर्द में माइग्रेन, टेंशन टाइप सिरदर्द और क्रॉनिक डेली हेडऐक होता है। ये सभी चीजें कहीं ना कहीं माइग्रेन जैसे सिरदर्द के साथ जुड़ी हैं। इसलिए इस बारे में जानकारी होना आवश्यक है। दूसरे तरह के सिरदर्द में मस्तिष्क में ट्यूमर और सिर के अंदरूनी हिस्सों में रक्तस्त्राव होना मुख्य कारण होते हैं। हालांकि बच्चों में ब्रेन ट्यूमर होना काफी असामान्य होता है। लेकिन फिर भी हमारे लिए जांच करना और सतर्क रहना आवश्यक होता है।
आमतौर पर जिन बच्चों को माइग्रेन होता है, उनके परिवार में माता-पिता को एपिसोडिक माइग्रेन होने की समस्या रही होती है। हालांकि अक्सर लोग इसके कारणों में बीपी, स्ट्रेस,सर्वाइकल या चश्मे के नंबर से जोड़कर देखते हैं। लेकिन अगर ये सिरदर्द अक्सर तीन-चार दिन बाद, सप्ताह में एक बार या इसी तरह के क्रम में अक्सर होता है तो ये इस बात का लक्षण हो सकता है कि ये माइग्रेन जैसा दर्द ही है।
इस दर्द के लक्षण क्या हैं?
डॉक्टर प्रवीण बताते हैं कि इस तरह के दर्द का पहला लक्षण तो यह होता है कि ये एकदम से तेज नहीं होता। बल्कि धीरे-धीरे बढ़ता है।
दर्द के साथ ही बच्चों को फोनो फोबिया और फोटो फोबिया की समस्या होती है। इसका अर्थ है कि बच्चा तेज आवाज और तेज प्रकाश से बचता है। इसलिए टीवी देखना, किसी से बात करना, तेज रोशनी में जाना या धूप देखकर भी उसे परेशानी होती है।
बच्चा अंधेरा पसंद करता है, चुपचाप लेटे रहना उसे अच्छा लगता है। यही लक्षण देखकर बहुत छोटे बच्चों में या उन बच्चों में जो बोलकर अपने दर्द के बारे में नहीं बता सकते, इसकी पहचान की जाती है। इसलिए पैरेंट्स को जागरूक रहना होगा।
माइग्रेन विद ऑरा क्या होता है?
कई मामलों में बच्चों को दर्द से पहले या दर्द के साथ जी मिचलाना, मितली आना, तेज आवाजें सुनाई देना या कुछ अलग तरह की सेंसेशन होना, चीजें छोटी-बड़ी दिखना जैसे लक्षण आ सकते हैं। इन सभी लक्षणों के साथ होने वाले दर्द को माइग्रेन विद ऑरा कहा जाता है। ये दर्द एपिसोडिक होता है यानी एक समय बाद नियमित रूप से होना। साथ ही इसकी तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ती है, एकदम से तेज दर्द शुरू नहीं होता है।
लेकिन जो टेंशन टाइप सिरदर्द होता है, इसमें किसी स्थिति के कारण पैदा हुआ तनाव दर्द का कारण होता है। ये दर्द आमतौर पर बैंड टाइप होता है अर्थात सिर के अगले हिस्से में, किसी एक साइड में या सिर के पिछले हिस्से में। इस दर्द में बच्चे दर्द होने की शिकायत तो करते हैं या छोटे बच्चे दर्द के लक्षण तो दिखाते हैं लेकिन अपनी सामान्य गतिविधियां करते रहते हैं। जबकि माइग्रेन में ऐसा नहीं होता है, जो क्रॉनिक डेली हेडऐक होता है, वो नियमित रूप से होने वाला सिरदर्द होता है।
गंभीर सिरदर्द के लक्षण
डॉक्टर कुमार के अनुसार, यूं तो बच्चों में ब्रेनट्यूमर होना,सिर में ब्लीड होना काफी असामान्य है। लेकिन फिर भी हमें इस बात की जांच करनी होती है कि ये समस्या हो तो नहीं रही है। ताकि बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ऐसे में माता-पिता इन लक्षणों के आधार पर समझ सकते हैं कि बच्चे को गंभीर प्रकार का सिरदर्द हो रहा है...
ऐसा सिरदर्द, जो बच्चे में 3 साल की उम्र के पहले आए, उस पर बहुत ध्यान देना होता है क्योंकि इतने छोटे बच्चे बहुत सारी समस्याओं को बता नहीं पाते हैं।
अगर सिरदर्द बच्चे को आधी रात में उठे। सोता हुआ बच्चा अचानक जागकर सिरदर्द की शिकायत करे तो इसे गंभीरता से लेना होता है।
ऐसा सिरदर्द जो बच्चे को सिर के पिछले हिस्से में हो, उसे गंभीरता से जांचने की आवश्यकता होती है।
अगर बच्चा सिरदर्द के कारण सुबह जागता है, सुबह 5 बजे, 6 बजे और फिर सिरदर्द के साथ उसे उल्टी की भी शिकायत हो तो इस प्रकार के दर्द के कारणों को भी गंभीरता से जांचना होता है।
ऐसा सिरदर्द, जिसमें बच्चे को नींद आ रही है, चक्कर आ रहे हैं या उसके एक हाथ और एक पैर में दिक्कत हो रही है या बोलते समय उसकी वाणी स्पष्ट नहीं आ रही है, उसका व्यवहार बदल रहा है। तो इस तरह के दर्द को गंभीरता से लेना होता है।
जो सिरदर्द प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हो। अर्थात आज 2 घंटे सिरदर्द रहा, कल 4 घंटे सिरदर्द रहा और इसी तरह सिरदर्द का समय बढ़ता जा रहा हो तो इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस प्रकार के सिरदर्द को प्रोग्रेसिव हैडऐक कहते हैं।
इन सभी तरह के सिरदर्द में कोई छिपी हुई गंभीर समस्या होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए गहन जांच की जाती है, जिसमें एमआरआई ब्रेन, सीटी स्कैन प्राथमिक होती है। हालांकि, जैसा मैंने पहले बताया कि बच्चों में इतनी गंभीर समस्या होने की संभावना बहुत कम होती है।
बच्चों में सामान्य है माइग्रेन
बच्चों में माइग्रेन होना काफी सामान्य समस्या है और इसके लक्षणों को पहचानकर माता-पिता इस दर्द की रोकथाम कर सकते हैं। साथ ही बच्चे का जो समय इस दर्द की पीड़ा में बीतता, उसे बच्चे की ग्रोथ के लिए उपयोग कर सकते हैं।
माइग्रेन का हमेशा कोई ना कोई ट्रिगर पॉइंट होता है। यानी ऐसा कारण जो इस दर्द को भड़काता है। जैसे, बच्चे में नींद पूरी ना होने के कारण दर्द हो सकता है।
खाना समय पर ना खाने से भी ये ट्रिगर हो सकता है। कुछ बच्चों को खाने में कुछ ऐसा खाने से माइग्रेन हो सकता है, जो उसके शरीर में दर्द बढ़ाती है। जैसे, कुछ बच्चों को चॉकलेट,कोला, चीज़ खाने से माइग्रेन हो सकता है।
जबकि कुछ बच्चों को परफ्यूम लगाने से भी माइग्रेन हो सकता है। ऐसे में माता-पिता को पहचानना होगा कि उनके बच्चे को किस चीज़ से समस्या हो रही है।
लंबे समय तक स्ट्रेस बने रहना, घंटों तक मोबाइल देखना या लंबे समय तक टीवी स्क्रीन, लैपटॉप इत्यादि देखने से माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है। जिन बच्चों में माइग्रेन परिवार में किसी को पहले से रहा होता है, वे इसके प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उन पर ये कारण जल्दी असर दिखाते हैं।
माता-पिता बनाए हेडऐक डायरी
बच्चे के लक्षणों को जब माता-पिता सही प्रकार से डॉक्टर के सामने बताते हैं तो हमें, बच्चे की पीड़ा दूर करने में बहुत सहायता मिलती है। डॉक्टर कुमार बताते हैं कि यदि पैरेंट्स बच्चे की हैडऐक डायरी बनाते हैं तो बच्चे में सिरदर्द के कारणों को समझने में सहायता मिलती है। जैसे, आज बच्चे को सिरदर्द हुआ तो माता-पिता ध्यान दें कि बच्चे ने आज ऐसा क्या अलग किया, जो दर्द हुआ। जैसे, वो देर से सोया, उसने क्या अलग खाया, देर तक टीवी देखा या कोई स्कूल परीक्षा थी, जिसके चलते तनाव हुआ हो।
एक्यूट हेडऐक होने पर क्या करें?
एक्यूट हेडऐक का अर्थ है, अचानक लेकिन बहुत तेज होने वाला सिरदर्द, जो लंबे समय तक ना रहकर कुछ घंटों के लिए होता है। डॉक्टर कुमार कहते हैं कि इस तरह का दर्द अगर बच्चे को परेशान कर रहा है तो इस स्थिति में आप डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का ही उपयोग करें। इसलिए डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
माता-पिता की उलझन
कई बार माता-पिता को लगता है कि सिरदर्द का कारण आईसाइट कमजोर होना तो नहीं है, क्या बच्चे के चश्में का नंबर तो नहीं बढ़ गया! लेकिन आपको बता दें कि इस तरह का दर्द आमतौर पर पूरे सिर में नहीं होता है। बल्कि आंखों के आस-पास के हिस्से में होता है। साथ ही यह दर्द पढ़ाई के समय से जरूर जुड़ा होता है। लेकिन जो दर्द पूरे सिर में हो या ऊपर बताए लक्षणों के साथ हो तो इसकी संभावना ना के बराबर होती है कि ये आईसाइट से जुड़ा दर्द हो।
इसी तरह साइनस के कारण होने वाला सिरदर्द, आमतौर पर तभी होगा, जब बच्चे की नाक से पानी आ रहा हो, उसे सर्दी-खांसी हो। लेकिन ये भी नाक-आंख के आस-पास सर्दी-खांसी और बुखार के अन्य लक्षणों के साथ होता है।
हालांकि इन दर्द के लक्षण स्पष्ट होते हैं। फिर भी जब बच्चे हमारे पास आते हैं तो हम उनकी आईसाइट जरूर चेक कराते हैं। ताकि उनका उपचार स्पष्टता के साथ किया जा सके।
बच्चों में सिरदर्द का इलाज क्या है?
दर्द किस तरह का है और किन कारणों से हो रहा है, इस बारे में पूरी तरह जानने के बाद ही उपचार किया जाता है। यदि बच्चे को माइग्रेन की शिकायत होती है तो डॉक्टर जो दवाई बताएं, वो देखकर लाइट ऑफ करके बच्चे को सुला दें, उसे आराम मिलेगा।
एक्यूट टाइप हेडऐक है तो डॉक्टर ने जो भी पेनकिलर बच्चे के लिए बताई हो वो दे दें, उसे आराम मिलेगा। साथ ही जिन कारणों से सिरदर्द हो रहा है, उन कारणों को दूर करने पर अवश्य ध्यान देना होगा।
दवाई के साथ ही बच्चों की जीवनशैली में भी छोटे-छोटे सुधार करने होते हैं ताकि सिरदर्द के कारण उनका स्कूल ना छूटे, उनका समय और ऊर्जा खराब ना हों। वहीं, जो दूसरी तरह का सिरदर्द है, जिसमें ब्रेन ट्यूमर या खून का अंदरूनी रिसाव शामिल है, इन दर्द का उपचार भी बच्चे की स्थिति के आधार पर ही किया जाता है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।