अनिल कपूर जा रहे हैं जर्मनी, कंधे की बीमारी से परेशान है फिटनेस आइकॉन
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शोल्डर कैल्सिफिकेशन से परेशान हैं अनिल कपूर

अनिल कपूर जा रहे हैं जर्मनी, कंधे की बीमारी से परेशान है फिटनेस आइकॉन

अनिल कपूर का कहना है कि उन्हें दाहिने कंधे में कैल्सिफिकेशन हुआ है। और वे स्पोर्ट्स डॉक्टर हंस-विल्हेम मुलर-वोहलफार्ट से इलाज कराने जर्मनी जा रहे हैं...


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अनिल कपूर बॉलिवुड के फिटनेस आइकॉन कहे जाते हैं। फिलहाल ये दाहिने कंधे में तेज दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं। इनका कहना है कि ये दर्द शोल्डर कैल्सिफिकेशन के कारण हो रहा है। इस स्थिति में कंधे में कैल्शियम जमा होने की समस्या होती है। अपने फेवरेट डॉक्टर से इसी समस्या का इलाज कराने अनिल कपूर जर्मनी जा रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल कपूर का कहना है कि उन्हें दाहिने कंधे में एक या दो बार टेंडन में थोड़ी टिअरिंग के साथ कैल्सिफिकेशन भी हुआ है। और वे स्पोर्ट्स डॉक्टर हंस-विल्हेम मुलर-वोहलफार्ट से इलाज कराने जर्मनी जा रहे हैं। डॉक्टर हंस पहले भी अनिल कपूर की एंकल की समस्या का उपचार कर चुके हैं, इसलिए अनिल ने फिर से इन्हीं से अपना इलाज कराने का निर्णय लिया है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर ये समस्या होती क्यों है और अनिल कपूर जैसा फिटनेस फ्रीक ऐक्टर इसकी चपेट में आ गया है तो किन बातों का ध्यान रखना होगा ताकि इससे बचा जा सके...

क्या है कैल्सिफिकेशन?

कंधे का दर्द अक्सर लोग थकान, गलत पॉश्चर या उम्र का असर मानकर टाल देते हैं। लेकिन जब यही दर्द धीरे-धीरे बढ़ने लगे, हाथ ऊपर उठाना मुश्किल हो जाए और रात में करवट बदलते समय चुभन महसूस हो तो मामला सिर्फ स्ट्रेन का नहीं रह जाता। ऐसी ही एक स्थिति है शोल्डर कैल्सिफिकेशन, जिसे चिकित्सा भाषा में कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस कहा जाता है।

क्यों होती है कैल्सिफिकेशन की समस्या?

यह स्थिति तब बनती है जब कंधे की मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ने वाले टेंडन में कैल्शियम के कण जमा होने लगते हैं। कैल्शियम, जो सामान्य रूप से हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए जरूरी है, जब गलत जगह जमा हो जाए तो वही तत्व दर्द और जकड़न की वजह बन जाता है।

टेंडन में क्यों जमा होता है कैल्शियम?

शरीर में कैल्शियम का प्रवाह लगातार चलता रहता है। लेकिन जब किसी टेंडन में लंबे समय तक सूक्ष्म चोटें (micro-injury), बार-बार का ओवरयूज़ या रक्त प्रवाह में कमी होती है तो वहां कैल्शियम के जमने के लिए अनुकूल माहौल बन जाता है।


किन्हें होता है कैल्सिफिकेशन?

चिकित्सकीय शोध बताते हैं कि यह प्रक्रिया अचानक नहीं होती। पहले टेंडन कमजोर होता है, फिर उसमें सूजन आती है और धीरे-धीरे कैल्शियम के कण वहां टिकने लगते हैं। यही कारण है कि यह समस्या अक्सर उन लोगों में दिखती है, जो लंबे समय तक कंधे का अत्यधिक उपयोग करते हैं। जैसे, भारी शारीरिक गतिविधि या स्टंट करते हैं या फिर उम्र के साथ टेंडन की रक्त आपूर्ति में गिरावट झेल रहे होते हैं। यह किसी एक दिन की गलती नहीं बल्कि सालों की जमा जैविक थकान का नतीजा होती है और इन लोगों को इसका अधिक खतरा होता है...


40 से 60 वर्ष की उम्र के लोग- चिकित्सकीय अध्ययनों के अनुसार, कैल्सिफिक टेंडोनाइटिस सबसे अधिक 40–60 वर्ष के बीच दिखाई देता है। इस उम्र में टेंडन की रक्त आपूर्ति घटने लगती है और मरम्मत की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। शरीर की यही सुस्ती कैल्शियम को टेंडन में टिकने का मौका देती है।

जिनका काम कंधे पर अधिक निर्भर करता है- जो लोग बार-बार हाथ ऊपर उठाकर काम करते हैं। जैसे, भारी सामान उठाने वाले, खिलाड़ी, जिम ट्रेनर, पेंटर्स, स्टेज परफॉर्मर या कैमरा-लाइट से जुड़ा काम करने वाले, उनके कंधे में माइक्रो-इंजरी लगातार बनती रहती है। यही छोटी-छोटी चोटें आगे चलकर कैल्शियम जमने की जमीन तैयार करती हैं।

डायबिटीज और हार्मोन असंतुलन वाले लोग- मेडिकल रिसर्च बताती है कि डायबिटीज में टेंडन की संरचना बदल जाती है। उनमें सूजन जल्दी टिकती है और रिकवरी धीमी होती है। इसके अतिरिक्त थायरॉइड असंतुलन और मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव भी इस समस्या के जोखिम को बढ़ाते हैं।

लंबे समय तक शारीरिक निष्क्रियता या गलत पॉश्चर- जो लोग घंटों एक ही पोज़िशन में बैठे रहते हैं, कंधों को मूवमेंट नहीं देते या झुके हुए पॉश्चर में काम करते हैं, उनमें कंधे की मांसपेशियां और टेंडन धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं। कमजोर टेंडन में कैल्शियम जमने की संभावना ज्यादा रहती है।

पहले से कंधे की चोट या सूजन झेल चुके लोग- अगर कभी कंधे में गंभीर चोट, फ्रोजन शोल्डर, टेंडन स्ट्रेन या लंबे समय तक सूजन रही हो, तो उस जगह की जैविक संरचना पहले ही बदल चुकी होती है। ऐसे टेंडन में दोबारा कैल्शियम जमने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

जिनकी डाइट और रिकवरी कमजोर है- रिसर्च यह भी दिखाती है कि जिन लोगों में प्रोटीन की कमी, विटामिन-D असंतुलन या क्रॉनिक इंफ्लेमेशन बनी रहती है, उनके टेंडन जल्दी रिपेयर नहीं हो पाते। यही अधूरी रिकवरी कैल्सिफिकेशन की राह खोलती है।

कैल्सिफिकेशन दर्द का पैटर्न क्या संकेत देता है?

कैल्सिफिकेशन का दर्द सामान्य मसल पेन से अलग होता है।

इसमें अक्सर कंधे में गहराई तक चुभने वाला दर्द होता है।

हाथ ऊपर उठाने या पीछे ले जाने में रुकावट का अनुभव होता है। इसमें रात में दर्द का बढ़ जाना सामान्य समस्या होता है। कंधे में जकड़न और मूवमेंट की कमी जैसे लक्षण दिखते हैं।

कई बार दर्द इतना तेज होता है कि व्यक्ति हाथ को शरीर से सटाकर रखने पर मजबूर हो जाता है। यही वह चरण होता है जब कैल्शियम जमा सक्रिय रूप से सूजन पैदा कर रहा होता है।

कैल्सिफिकेशन को कैसे पहचानें?

इस स्थिति की पहचान अक्सर एक्स-रे या इमेजिंग जांच से की जाती है। जांच में टेंडन के भीतर सफेद धब्बों की तरह कैल्शियम जमा साफ दिखाई देता है। यही वह सबूत होता है जो बताता है कि दर्द सिर्फ मांसपेशी का नहीं बल्कि टेंडन के भीतर चल रही जैविक प्रक्रिया का परिणाम है।

कैल्सिफिकेशन का उपचार

यह एक आम भ्रांति है कि कंधे में कैल्शियम जमा दिखते ही सर्जरी जरूरी हो जाती है। वास्तव में, अधिकतर मामलों में इलाज बिना ऑपरेशन के संभव होता है। इसमें उपचार तीन चरणों में होता है। पहला है- सूजन और दर्द को नियंत्रित करना। फिर जमा हुए कैल्शियम को धीरे-धीरे तोड़ना या निष्क्रिय करना। इसके बाद कंधे की गति और ताकत को वापस लाना।

इसके लिए फिजियोथेरेपी, सूजनरोधी दवाएं और कुछ मामलों में विशेष शॉक-वेव तकनीक का सहारा लिया जाता है। केवल वही केस सर्जरी तक जाते हैं, जहां दर्द लगातार बना रहे और अन्य सभी उपाय विफल हो जाएं। महत्वपूर्ण बात यह है कि कंधे को पूरी तरह स्थिर कर देना नुकसानदायक हो सकता है। नियंत्रित और वैज्ञानिक तरीके से मूवमेंट बनाए रखना ही रिकवरी की कुंजी होता है।

शोल्डर कैल्सिफिकेशन सिर्फ एक लोकल समस्या नहीं है। यह संकेत देता है कि टेंडन की मरम्मत की क्षमता घट रही है। साथ ही सूजन को संभालने की शरीर की ताकत कमजोर पड़ रही है और माइक्रो-इंजरी अब खुद ठीक नहीं हो पा रही है। अर्थात यह दर्द शरीर का वह अलार्म है, जो कहता है कि अब अनदेखा मत करो।

कुल मिलाकर कंधे में कैल्शियम जमना कोई दुर्लभ बीमारी नहीं है। लेकिन यह साधारण भी नहीं है। यह समस्या धीरे-धीरे बनती है, चुपचाप बढ़ती है और एक दिन अचानक जीवन की गति रोक देती है। इसलिए अगर कंधे का दर्द लंबे समय से बना हुआ है, मूवमेंट सीमित हो रही है और आराम से ठीक नहीं हो रहा तो इसे उम्र या थकान कहकर टालना सही नहीं। क्योंकि कई बार दर्द मांसपेशी में नहीं, टेंडन के भीतर चल रही कहानी में छुपा होता है।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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