
Summer Care: भीषण गर्मी में भी क्यों रात को नहीं लेने चाहिए छाछ और दही?
दही और छाछ दोनों ही डायजेशन को इंप्रूव करते हैं। लेकिन फिर भी इन्हें अपने डिनर का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। नहीं तो सेहत से जुड़ी कई समस्याएं आपको घेर सकती हैं..
Summer Health Tips: गर्मी के मौसम में सुबह से लेकर शाम तक हर समय बस कुछ ठंडा और रिफ्रेशिंग पीने का मन करता है। क्योंकि गर्मी में बॉडी को पानी और दूसरे लिक्विड डायट्स की जरूरत अधिक होती है इसलिए उन पेय पदार्थों को पीने की सलाह दी जाती है, जिनकी तासीर यानी कि बेसिक गुण ठंडक होता है। छाछ भी ऐसा ही एक बेव्रेज है। भीषण गर्मी में छाछ पीने का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले न्यूट्रिऐंट्स बॉडी को डिहाइड्रेशन से बचाते हैं। साथ ही दही भी गर्मी में बेस्ट फूड होती है। यू्ं तो दही और छाछ सेहत के लिए बहुत अधिक लाभकारी होते हैं लेकिन इन्हें सही समय पर और सही विधि से ना खाया-पिया जाए तो ये मौसमी बीमारियों या गला खराब होने की वजह भी बन सकती हैं....
रात को क्यों नहीं लेने चाहिए दही और छाछ?
आयुर्वेद में फूड्स को उनके नेचर के हिसाब से तीन भागों में बांटा गया है- सात्त्विक, राजसिक और तामसिक। साथ ही शरीर के तीन दोष होते हैं-वात, पित्त और कफ। दही और छाछ दोनों की प्रकृति 'कफवर्धक' मानी जाती है। रात का समय प्राकृतिक रूप से भी कफ-प्रधान होता है। यानी इस समय हमारे शरीर में कफ नैचरली बढ़ा हुआ होता है। ऐसे में यदि कफवर्धक भोजन किया जाए तो यह दोषों को असंतुलित करता है।
दही की विशेषता यह है कि यह भारी, पचने में धीमी और शरीर में श्लेष्मा (म्यूकस) की वृद्धि करने वाली होती है। रात के समय इसका सेवन करने से न केवल पाचन कमजोर होता है बल्कि यह जुकाम, साइनस, खर्राटे और स्किन एलर्जी जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।
छाछ: दिन में अमृत, रात में दर्द
छाछ को आयुर्वेद में "तक्र" कहा गया है और इसे एक श्रेष्ठ पाचन द्रव्य (digestive fluid) माना जाता है,मुख्य रूप से दोपहर में। लेकिन रात में इसका सेवन भी वात और कफ को बढ़ा सकता है। इसमें मौजूद लैक्टिक एसिड रात के समय अम्लता (acidity), गैस और ब्लोटिंग की समस्या को बढ़ा सकता है, विशेषकर तब जब आप प्लेन छाछ का सेवन करते हैं।
बायलॉजिकल क्लॉक और डायजेस्टिव सिस्टम
मानव शरीर की एक 'सर्केडियन रिदम' होती है, यह एक जैविक घड़ी (biological clock) है, जो 24 घंटे के चक्र में शरीर के अलग-अलग अंगों की क्रियाओं को नियंत्रित करती है। रात के समय पाचन अग्नि (digestive fire) कमजोर हो जाती है और शरीर विश्राम की अवस्था में होता है। ऐसे में भारी, ठंडे और खमीरी (fermented) खाद्य पदार्थ जैसे, दही और छाछ पचने में दिक्कत करते हैं।
रात को दही खाने से शरीर का तापमान गिर सकता है, जिससे इम्यूनिटी घटती है। साथ ही, दही या छाछ के जीवाणु (probiotics) रात को उतने प्रभावशाली नहीं रहते क्योंकि पेट की गति और एंज़ाइम गतिविधि धीमी हो जाती है।
कौन लोग विशेष रूप से बचें?
जिन लोगों को सर्दी-जुकाम, टॉन्सिल, अस्थमा, या साइनस की समस्या रहती है
जिन्हें पाचन संबंधी समस्याएं जैसे, गैस, एसिडिटी, कब्ज हो
बुजुर्ग और छोटे बच्चों को
जिन्हें त्वचा पर फोड़े-फुंसी या एलर्जी हो
जिन्हें ऑर्थराइटिस हो या शरीर में दर्द रहता हो
जिन्हें शरीर में सूजन आने की समस्या हो
जिन्हें ब्लोटिंगर रहती हो
रात को खाना ही हो तो कैसे खाएं?
यदि रात के समय छाछ या दही का सेवन करना ही है तो आप इनमें मसाले जैसे, जीरा,काली मिर्च पाउडर, पिसा हुआ धनिया, पुदीना-लहसुन-हरी मिर्च इत्यादि का पेस्ट मिलाकर उपयोग करें। आप इनमें सरसों तेल,जीरा और सूखी मिर्च का तड़का लगाकर भी उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करने से इनकी तासीर में बदलाव हो जाता है और साथ ही इनकी ठंडक काफी हद तक कंट्रोल हो जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि इस विधि से भी रोज रात को इनका सेवन करने से बचें।
जान लें डॉक्टर की राय
आयुर्वेदिक वैद्य डॉक्टर अबरार मुल्तानी का कहना है कि पोषण विज्ञान केवल पोषक तत्वों तक सीमित नहीं है। बल्कि समय, प्रकृति और शरीर की क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। दही और छाछ जैसे लाभकारी खाद्य पदार्थों को भी यदि अनुचित समय पर लिया जाए तो ये लाभ से अधिक हानि पहुंचा सकते हैं। इसलिए रात्रिकाल में दही और छाछ से परहेज एक बुद्धिमत्तापूर्ण स्वास्थ्य नीति है, जो आयुर्वेद और विज्ञान दोनों के सिद्धांतों पर आधारित है। स्वस्थ जीवन के लिए ‘क्या खाएं’ से पहले ‘कब खाएं’ जानना और भी अधिक जरूरी है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी नियम को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।