ब्लड शुगर कंट्रोल करने के वैज्ञानिक उपाय, नियंत्रित रहेगा ग्लूकोज लेवल
x
घरेलू तरीके से हर दिन कंट्रोल करें हाई ब्लड शुगर लेवल

ब्लड शुगर कंट्रोल करने के वैज्ञानिक उपाय, नियंत्रित रहेगा ग्लूकोज लेवल

अगर आपका ब्लड शुगर कभी-कभी अचानक बढ़ जाता है या आप खाने के बाद सुस्ती महसूस करते हैं। तो यह शरीर का संकेत है कि इंसुलिन ठीक से काम नहीं कर पा रहा है...


Click the Play button to hear this message in audio format

डायबिटीज कई अलग-अलग तरीकों से हमारी सेहत को प्रभावित कर रही है। इसकी शुरुआत रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने के साथ होती है। आज बढ़ती उम्र, तनाव और गलत खानपान के बीच ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव किसी भी उम्र में खतरा बढ़ा सकता है। इसलिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और लंबी आयु से जुड़े शोध करने वाले रिसर्चर्स यह समझने में लगे हैं कि इंसुलिन सेंसिटिविटी को बनाए रखना आवश्यक है। इसके लिए अलग-अलग उपायों को खोजा जा रहा है। ऐसे ही कुछ प्रभावी और आसान उपाय यहां बताए गए हैं, जो इन्हीं शोधों पर आधारित सबसे प्रभावी 7 तरीकों को आसान भाषा में समझते हैं।

आपको बता दें कि इन प्रभावी उपायों को हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन, जामा और नेचर मेटाबॉलिज़म द्वारा स्वीकारा गया है और इन जैसे जर्नल्स लगातार शोध भी कर रहे हैं।

1. भोजन को किस क्रम में खाना है सबसे अधिक लाभकारी?

भोजन में पहले प्रोटीन, फिर फाइबर और आखिर में कार्ब्स के क्रम में खाएं। क्या खाना है, इससे अधिक यह मायने रखता है कि कैसे खाना है। American Journal of Clinical Nutrition (2020) की एक स्टडी बताती है कि जब लोग पहले प्रोटीन और फाइबर खाते हैं और फिर कार्ब्स तो पोस्ट-मील ग्लूकोज़ स्पाइक लगभग 73% तक कम हो जाता है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रोटीन गैस्ट्रिक एम्प्टिंग को धीमा करता है और फाइबर कार्ब्स के अवशोषण को नियंत्रित करता है। इसे “meal sequencing therapy” कहा जाता है। अगर आपको अचानक थकान, चक्कर या मीठे की क्रेविंग होती है तो यह तरीका खास मदद करता है।

2. भोजन के बाद 10–20 मिनट की वॉक ग्लूकोज़ करे नियंत्रित

Diabetologia (2022) में छपी एक मेटा-एनालिसिस बताती है कि खाना खाने के ठीक बाद हल्की वॉक ब्लड ग्लूकोज़ को औसतन 22–25% तक कम कर देती है। कारण यह है कि मसल्स तुरंत ग्लूकोज़ उठा लेती हैं और इंसुलिन पर दबाव घट जाता है। इसलिए “post-meal stroll” अर्थात भोजन के बाद 10 से 15 मिनट की हल्के कदमों से वॉक करने को कहना अब डॉक्टर्स का पहला सुझाव बन चुका है।

3. विनेगर (ACV या साधारण सिरका)

विनेगर (ACV या साधारण सिरका) भोजन से पहले लेने पर ग्लूकोज़ स्पाइक घटता है। इस विषय पर जर्नल ऑफ फंक्शनल फूड्स (2019) की एक स्टडी कहती है कि 1–2 चम्मच सिरका (1 गिलास पानी में) खाने से 20 मिनट पहले लेने पर ब्लड शुगर स्पाइक 34% तक कम हो सकता है। सिरके में मौजूद acetic acid इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है और कार्ब्स के पाचन को धीमा करता है। ध्यान रहे कि इसे खाली पेट या ज्यादा मात्रा में न लें, नहीं तो पेट में जलन हो सकती है।

4. मसल ट्रेनिंग + HIIT, दोनों का कॉम्बो

मसल ट्रेनिंग + HIIT, दोनों का कॉम्बो इंसुलिन को सुपर-रेस्पॉन्सिव बनाता है। इस विषय पर Nature Metabolism (2020) की शोध बताती है कि मसल प्रोटीन सिंथेसिस बढ़ने से मसल्स ग्लूकोज़ को बेहद प्रभावी तरीके से खींच लेती हैं। वहीं JAMA Internal Medicine (2021) बताता है कि हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) करने वालों में इंसुलिन सेंसिटिविटी 28–35% तक बेहतर पाई गई। इसमें आप थोड़े समय के लिए तेज़, ज़ोरदार एक्सरसाइज़ करते हो। फिर उसके बाद थोड़ी देर आराम या बहुत हल्की मूवमेंट। और फिर वही तेज़ + हल्की एक्सरसाइज़ का चक्र दोहराया जाता है। अर्थात स्क्वाट, लंज, पुश-अप + 10 मिनट का HIIT = क्लीनर ग्लूकोज़ प्रोफाइल।

5. सोकर घटाएं ग्लूकोज़ का स्तर

भरपूर नींद ब्लड शुगर को तुरंत स्थिर करती है। हैरानी की बात है कि Lancet Diabetes & Endocrinology (2018) की रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ एक खराब रात की नींद इंसुलिन सेंसिटिविटी को 25–30% तक गिरा सकती है। नींद शरीर की “metabolic reset therapy” है। गहरी नींद न मिले तो सुबह ब्लड शुगर बिना कुछ खाए भी बढ़ा हुआ मिलता है, इसे dawn phenomenon कहते हैं।

6. आधा घंटे में घटाएं ग्लूकोज़ का लेवल

तनाव कम करने वाली गतिविधियां ग्लूकोज़ को आधा घंटे में शांत करती हैं। इस बारे में Psychoneuroendocrinology (2020) की स्टडी मानती है कि 10 मिनट की गहरी सांसें लेना या ध्यान करना कोलेस्ट्रॉल को 32% तक घटाता है और यह सीधे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसलिए आज के समय में (mindfulness) को सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य नहीं “metabolic health tool” मानी जा रही है।

7. ओमेगा-3 और पॉलीफेनॉल्स से भरपूर भोजन

ओमेगा-3 और पॉलीफेनॉल्स से भरपूर भोजन, शरीर की ‘ग्लूकोज़ फ्लेक्सिबिलिटी’ बढ़ाता है। American Diabetes Association (2021) के अनुसार ओमेगा-3 (अलसी, अखरोट, फैटी फिश) और पॉलीफेनॉल्स (बेरीज, ग्रीन टी, कोकोआ) माइटोकॉन्ड्रिया की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे शरीर कार्ब्स को बेहतर तरीके से ऊर्जा में बदलता है। इसे metabolic flexibility कहा जाता है, जो लंबी उम्र का सबसे बड़ा मार्कर माना जा रहा है।


अगर आपका ब्लड शुगर कभी-कभी अचानक बढ़ जाता है या आप खाने के बाद सुस्ती महसूस करते हैं। तो यह शरीर की संकेत भाषा है कि इंसुलिन अपनी “गति” खो रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि विज्ञान अब बहुत स्पष्ट है। इसलिए आप छोटे-छोटे व्यवहारिक बदलाव, जैसे खाने का क्रम, सिरका, वॉक और अच्छी नींद से ब्लड शुगर को उसी दिन स्थिर कर सकते हैं।



डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।


Read More
Next Story