
इन 3 में से कोई एक शौक पाल लीजिए, कंप्यूटर जैसा तेज चलेगा दिमाग!
न्यूरोप्लास्टिसिटी कोई सर्जिकल प्रक्रिया नहीं बल्कि मस्तिष्क की ऐसी क्षमता है, जो सहयोगी माहौल मिलने से खुद को फिर से बनाने और संवारने में जुट जाती है...
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की कई न्यूरोइमेजिंग स्टडीज़ बताती हैं कि नियमित एरोबिक एक्सरसाइज, खासकर तेज़ चलना, साइक्लिंग और स्विमिंग करने से याददाश्त तेजी से बढ़ती है और इनसे ब्रेन शार्प बनता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गतिविधियों को नियमित रूप से करने पर केवल बच्चों या युवाओं में ही नहीं बल्कि बुजुर्गों के ब्रेन की शार्पनेस में भी शानदार बढ़ोतरी देखी गई है...
दिमाग की शार्पनेस कैसे बढ़ाएं?
दिमाग की शार्पनेस बढ़ाने का सबसे आसान-प्रभावी और वैज्ञानिक रूप से पुष्ट तरीका है न्यूरोप्लास्टिसिटी। आपको बता दें कि न्यूरोप्लास्टिसिटी कोई सर्जिकल प्रक्रिया नहीं बल्कि मस्तिष्क की ऐसी क्षमता है, जो सकारात्मक और सहयोगी माहौल मिलने से खुद को फिर से बनाने और संवारने में जुट जाती है। जी हां, मस्तिष्क में खुद को स्वस्थ करने की क्षमता होती है।
इसे विस्तार से ऐसे समझें, दिमाग का एक छोटा-सा हिस्सा होता है हिपोकैंपस। ये आकार में छोटा होता लेकिन हमारी यादों, सीखने की क्षमता और भावनात्मक संतुलन का सबसे बड़ा संरक्षक है। हिपोकैंपस शरीर का वो हिस्सा है, जो खुद को फिर से सबल बनाने की क्षमता रखता है। इस क्षमता को वैज्ञानिक भाषा में Neuroplasticity कहा जाता है। यानी दिमाग द्वारा खुद को बदलना, ढलना और कुछ हद तक दोबारा बनने की क्षमता।
दिमाग तेज करने का तरीका
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की कई न्यूरोइमेजिंग स्टडीज़ बताती हैं कि नियमित एरोबिक एक्सरसाइज, खासकर तेज़ चलना, साइक्लिंग और स्विमिंग,हिपोकैंपस में नए न्यूरॉन्स बनने की प्रक्रिया यानी न्यूरोजेनेसिस (Neurogenesis) को सक्रिय कर सकती है। अर्थात ये तीन ऐक्टिविटीज मस्तिष्क को तेज करने और याददाश्त बढ़ाने के लिए बहुत अधिक प्रभावी होती हैं...
तेज गति से वॉक करना
साइकिल चलाना
तैराकी करना
खुशी की बात यह है कि MRI स्कैन में यह साफ देखा गया कि 40–60 वर्ष के लोगों में छह से बारह महीने की नियमित शारीरिक गतिविधि के बाद हिपोकैंपस का वॉल्यूम बढ़ा। हालांकि शारीरिक गतिविधि के साथ ही इन लोगों को अपने मस्तिष्क को नई चुनौतियां भी देनी होती हैं। जैसे, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च बताती है कि निरंतर मानसिक सीख, जैसे नई भाषा सीखना, संगीत का अभ्यास करना या जटिल समस्याओं का समाधान करना, हिपोकैंपस को जागृत अवस्था में रखता है। यह हिस्सा तब सबसे अधिक सक्रिय होता है, जब दिमाग को चुनौती मिलती है,न कि जब वह केवल दोहराव में जी रहा होता है अर्थात एक ही काम को बार-बार कर रहा होता है।
याददाश्त बढ़ाने का उपाय
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की स्टडीज़ दिखाती हैं कि गहरी नींद के दौरान ही हिपोकैंपस दिनभर की यादों को स्थायी मेमोरी में बदलता है। लगातार नींद की कमी इस संरचना को धीरे-धीरे कमजोर करती है। जबकि पर्याप्त और नियमित नींद इसके पुनर्निर्माण में मदद करती है। और सबसे अहम है तनाव नियंत्रण। क्रॉनिक स्ट्रेस में निकलने वाला हार्मोन कॉर्टिसोल,सीधे हिपोकैंपस की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन की रिसर्च बताती है कि ध्यान, श्वसन अभ्यास और माइंडफुलनेस कॉर्टिसोल के स्तर को घटाकर हिपोकैंपस को पुनर्जीवित होने का अवसर देते हैं।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

