
कैटरेक्ट फटने से आता है अंधापन, जानें जून महीने का मोतियाबिंद कनेक्शन
मोतियाबिंद डरने की चीज नहीं है। यह पूरी तरह से इलाज योग्य है। जितनी जल्दी आप लक्षण पहचानेंगे और इलाज शुरू करेंगें, उतनी ही अच्छी आपकी आइसाइट रहेगी...
Cataract Awareness Month 2025: जून को कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। अगर आपके घर में 50 प्लस की उम्र के व्यक्ति हैं या 65 साल प्लस की उम्र के बुजुर्ग हैं तो आपको उनकी आंखों की जांच समय-समय पर कराते रहनी चाहिए। यदि आपने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है तो अभी जून का आधा महीना बचा है, आप खासतौर पर इस मंथ में अपने अपनों की आंखों का ध्यान रख सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि यदि मोतियाबिंद यानी कैटरैक्ट पूरी तरह पक जाता है तो इसके फूटने का रिस्क बना रहता है। और अगर एक बार ये फट जाए तो आंख हमेशा के लिए अपनी रोशनी खो देती है। इसलिए घर के बुजुर्ग यदि धुंधला दिखने की शिकायत करें तो इनकी बात को अनसुना ना करें। यहां जानें, कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद से जुड़ी जरूरी बातें...
क्यों होता है मोतियाबिंद?
मोतियाबिंद उम्र बढ़ने की स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। क्योंकि यह ओल्ड ऐज में ही होता है। लेकिन समय पर जानकारी और इलाज आंखों की रोशनी को बचा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।
क्या होता है मोतियाबिंद (Cataract)?
मोतियाबिंद आंख के प्राकृतिक लेंस के धुंधला हो जाने की स्थिति होती है। यह लेंस आइरिस के पीछे स्थित होता है और सामान्यतः रेटिना पर प्रकाश केंद्रित करता है, जिससे हमें साफ दिखता है। लेकिन उम्र के साथ या कुछ अन्य कारणों से यह लेंस धीरे-धीरे धुंधला हो सकता है, जिससे धुंधला दिखने लगता है या बहुत कम दिखता है।
दुनियाभर में मोतियाबिंद का प्रभाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोतियाबिंद दुनिया में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है और यह दुनिया भर में लगभग 65 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। पूरी दुनिया में ब्लाइंडनेस यानी अंधेपन का लगभग 51% कारण अकेला मोतियाबिंद ही है।
मोतियाबिंद बढ़ने की प्रक्रिया
मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके शुरुआती लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं। लेकिन समय के साथ ये लक्षण डेली लाइफ को अफेक्ट करने लगते हैं। जैसे...
धुंधली या कोहरे जैसी दृष्टि होना
तेज रोशनी या चमक में संवेदनशीलता
रात में देखने में कठिनाई होना
रंगों का फीका या पीला दिखना
बार-बार चश्मे का नंबर बदलना
लाइट्स के चारों ओर ‘हेलो’ या चमक दिखना
मोतियाबिंद के मुख्य कारण
उम्र बढ़ना (प्रमुख कारण)
दूसरा कारण है डायबिटीज
अल्ट्रा वायलेट रेज कें संपर्क में अधिक आना
बहुत अधिक धूम्रपान और शराब का सेवन
लम्बे समय तक स्टेरॉइड दवाओं का सेवन
आंखों में चोट या संक्रमण
बचाव के उपाय
UV सुरक्षा वाले चश्मे पहनें
डायबिटीज जैसी बीमारियों को नियंत्रित रखें
धूम्रपान छोड़ें और एल्कोहॉल से दूर रहें
एंटीऑक्सिडेंट्स युक्त भोजन जैसे, हरी सब्ज़ियां, फल अधिक लें
40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं
मोतियाबिंद का इलाज क्या है?
मोतियाबिंद का एकमात्र प्रभावी इलाज है सर्जरी, जिसमें धुंधले लेंस को हटाकर एक कृत्रिम लेंस लगाया जाता है। Phacoemulsification (Phaco) आज की सबसे उन्नत और व्यापक रूप से अपनाई गई तकनीक है, जिसमें रिकवरी भी तेज होती है।
जल्दी सर्जरी का फायदा क्या है?
मोतियाबिंद को पकने देने से पहले ही इसकी सर्जरी करा लेने से बेहतर और स्थायी दृष्टि मिलती है। जटिलताओं का जोखिम कम रहता है। साथ ही अन्य बीमारियों जैसे, ग्लूकोमा, रेटिना संबंधी समस्याएं भी जल्दी पता चल जाती हैं। इसके अलावा रिकवरी भी फास्ट होती है।
मोतियाबिंद डरने की चीज नहीं है। यह पूरी तरह से इलाज योग्य है। जितनी जल्दी आप लक्षण पहचानेंगे और इलाज शुरू करेंगें, उतनी ही अच्छी आपकी आइसाइट रहेगी। यदि आपको धुंधला दिखने की समस्या हो या चश्मा बार-बार बदलने की जरूरत हो या फिर तेज रोशनी से परेशानी हो रही है तो तुरंत किसी नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें।
डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।