
चिढ़चिढ़ा, जिद्दी और गुस्सैल हो गया है बच्चा? जानें कहां हो रही गलती
बच्चे की मेंटल हेल्थ इस बात पर निर्भर करती है कि उसके आस-पास का माहौल कैसा है। अगर आपका बच्चा जिद्दी और चिढ़चिढ़ा हो रहा है तो जानें, आपसे क्या गलती हो रही है..
How To Understand Your Child Behave: बच्चों का स्वभाव नैचरल तौर पर बहुत अधिक ऑब्जर्व करने वाला होता है। आपको भले ही लगे कि वह अभी छोटा है और कुछ नहीं समझता। लेकिन बच्चा चीजें एक्सप्रेस नहीं कर पाता पर समझता सब है। क्योंकि बच्चे भाव (Emotion) पहचानते हैं और आपकी ऐक्टिविटीज को नोटिस करते हैं। इसलिए अगर बच्चा जरूरत से ज्यादा चिढ़चिढ़ा, जिद्दी और गुस्सैल हो रहा है तो इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें पैरेंट्स का व्यवहार भी शामिल है। अक्सर माता-पिता अनजाने में ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जो बच्चे के स्वभाव पर गहरा असर डालती हैं। आइए जानते हैं कि बच्चे के चिढ़चिढ़े स्वभाव (Irritable Behave Of Child) के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और उन्हें कैसे संभाला जाए...
प्यार और ध्यान की कमी
बच्चे को पर्याप्त प्यार और अटेंशन न मिलने पर वह चिढ़चिढ़ा और जिद्दी हो सकता है। जब माता-पिता अपने कामों में व्यस्त रहते हैं और बच्चे को समय नहीं दे पाते तो बच्चा नकारात्मक व्यवहार दिखाने लगता है ताकि वह माता-पिता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सके।
बार-बार डांटना
अगर आप बच्चे को हर छोटी बात पर टोकते या डांटते हैं तो इससे उसका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। बार-बार की गई डांट से बच्चा गुस्सैल और जिद्दी हो सकता है। क्योंकि उसे लगता है कि उसकी बात कोई नहीं सुन रहा।
स्क्रीन टाइम का ज्यादा इस्तेमाल
ज्यादा देर तक मोबाइल, टीवी या गेम्स देखने वाले बच्चे अक्सर चिढ़चिढ़े हो जाते हैं। स्क्रीन से मिलने वाली तेज रोशनी और कंटेंट उनके दिमाग को थका देती है, जिससे उनका व्यवहार नकारात्मक हो सकता है।
तुलना करना
बच्चे की तुलना दूसरों से करने पर उसके अंदर हीन भावना घर कर जाती है। वह खुद को कमतर समझने लगता है और अपनी भावनाओं को गुस्से के रूप में बाहर निकालता है।
बच्चे के व्यवहार को कैसे सुधारें?
बच्चे के व्यवहार को सुधारने के लिए सबसे जरूरी है कि आप उससे प्यार से पेश आएं। उसकी बातें सुनें, उसे समझने की कोशिश करें और उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों की तारीफ करें।
स्क्रीन टाइम कम करें
बच्चे के स्क्रीन टाइम को सीमित करें और उसे आउटडोर एक्टिविटीज में शामिल करें। इससे उसका दिमाग शांत रहेगा और उसका गुस्सा कम होगा।
धैर्य रखना जरूरी
बच्चे के स्वभाव में बदलाव लाने के लिए धैर्य रखना बेहद जरूरी है। उसे समय दें और धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करें। बच्चे का चिढ़चिढ़ा और जिद्दी स्वभाव माता-पिता की परवरिश का ही एक हिस्सा होता है।
प्यार, समझदारी और धैर्य के साथ बच्चे की परवरिश करें तो वह न केवल खुशमिजाज बनेगा बल्कि आत्मविश्वासी भी होगा। अगर बच्चे के स्वभाव में कोई बड़ा बदलाव दिखे तो बाल मनोवैज्ञानिक की सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है।
चाइल्ड सायकाइट्रिस्ट और चाइल्ड काउंसलर्स की सहायता से आप बच्चे के व्यवहार में आवश्यक सकारात्मकता ला सकते हैं। कई बार बच्चे का व्यवहार हिंसक भी हो जाता है, इसे उसकी उदंडता ना समझें क्योंकि इसके पीछे कुछ हॉर्मोनल कारण भी हो सकते हैं। इसलिए बच्चे पर नाराज होने या सख्ती करने से अच्छा है कि आप एक्सपर्ट्स की सहायता लें।
Disclaimer: यह लेख केवल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी मानसिक समस्या के लिए एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।