
बच्चों में बढ़ रही है मोटापे की समस्या, पैरेंट्स इन तरीकों से कर सकते हैं कंट्रोल
बच्चे का बढ़ता वजन सिर्फ उसके लुक्स के लिए कंट्रोल करना जरूरी नहीं है। बल्कि ये बच्चे की फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए भी बहुत जरूरी है। यहां जानें क्यों और कैसे
Childhood Obesity: आज के डिजिटल युग में जहां बच्चों के पास खेलने से ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने के लिए होता है, वहां मोटापा एक तेजी से उभरती हुई स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। WHO के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 5 से 19 साल की उम्र के लगभग 39 करोड़ बच्चे ओवरवेट या मोटापे के शिकार हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। खासतौर पर शहरी इलाकों में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन यह कोई लाइलाज स्थिति नहीं है। माता-पिता की भूमिका इसमें सबसे अहम होती है। समझदारी, संयम और सतत प्रयास से बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
बच्चों में मोटापा क्यों बढ़ रहा है?
बच्चों में मोटापे के पीछे कई कारण होते हैं...
अनहेल्दी डाइट: प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, मीठे पेय पदार्थ और हाई कैलोरी स्नैक्स का बढ़ता सेवन।
फिजिकल इनएक्टिविटी: मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर लंबे समय तक व्यस्त रहना।
नींद की कमी: नींद कम होने से शरीर के हॉर्मोन्स बिगड़ते हैं, जो भूख और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं।
परिवार की जीवनशैली: अगर पूरा परिवार एक्टिव नहीं है या हेल्दी खाना नहीं खाता, तो बच्चा भी उन्हीं आदतों को अपनाता है।
बच्चों में मोटापा कैसे कम करें?
डेली रूटीन बनाएं और फॉलो करें: बच्चों की डेली एक्टिविटी में फिजिकल मूवमेंट अनिवार्य रूप से शामिल होनी चाहिए। हर दिन कम से कम 1 घंटे का शारीरिक व्यायाम, जैसे साइक्लिंग, डांस, रनिंग या कोई स्पोर्ट बहुत जरूरी है।
स्वस्थ खाने की आदतें सिखाएं: बच्चे को हेल्दी खाना तभी पसंद आएगा जब वह उसमें शामिल होगा। उसे सब्जियों के रंग, फलों के स्वाद और दालों की ताकत के बारे में बताएं। साथ ही, फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक और चिप्स की जगह हेल्दी स्नैक्स जैसे मखाना, फल और दही रखें।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें: WHO की गाइडलाइन के अनुसार, 5 साल से छोटे बच्चों के लिए एक दिन में स्क्रीन टाइम 1 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बड़े बच्चों के लिए भी पढ़ाई के अलावा मनोरंजन के लिए स्क्रीन टाइम सीमित होना चाहिए।
साथ मिलकर खाना खाएं: जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर खाना खाता है, तो बच्चे अधिक संतुलित तरीके से खाते हैं। साथ ही वे देखते हैं कि बड़े क्या खा रहे हैं और उन्हें फॉलो करने लगते हैं।
नींद का विशेष ध्यान रखें: बच्चों को उम्र के अनुसार पूरी नींद मिलनी चाहिए। 6-13 वर्ष के बच्चों को लगभग 9-11 घंटे की नींद चाहिए होती है। अच्छी नींद हॉर्मोन बैलेंस को बनाए रखने में मदद करती है और मोटापा बढ़ने से रोकती है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
जब बच्चे का BMI (Body Mass Index) उम्र के अनुसार सामान्य सीमा से ज्यादा हो।
जब वजन के साथ थकान, पसीना, सांस फूलना या ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें आने लगें।
जब मोटापे के कारण बच्चा सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करने लगे या आत्मविश्वास कम हो जाए।
बच्चों का मोटापा सिर्फ एक सौंदर्य की समस्या नहीं बल्कि यह भविष्य की गंभीर बीमारियों जैसे, डायबिटीज, हार्ट डिजीज और मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स की ओर पहला कदम हो सकता है। अगर माता-पिता समय रहते सचेत हो जाएं और एक हेल्दी-एक्टिव लाइफस्टाइल को अपनाएं तो बच्चे में बढ़ते फैट की यह स्थिति आसानी से कंट्रोल की जा सकती है। याद रखिए, बच्चा वही करता है जो वह देखता है। इसलिए सबसे पहले आपको फिटनेस की शुरुआत खुद से करनी होगी।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।