जलेबी और दूध से करें इस जानलेवा खांसी का उपचार, नहीं लेनी होगी कोई दवाई
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जलेबी और दूध से करें इस जानलेवा खांसी का उपचार, नहीं लेनी होगी कोई दवाई

खांसी के साथ हल्का-सा कफ आ रहा है और सीने में भारीपन लग रहा है, सांस लेते समय तेज आवाजें आ रही हैं तो दवा नहीं, दूध और जलेबी चाहिए आपको...


Herbal treatment for cough: खांसी होने पर कफ-सिरप पीना, डॉक्टर की दी दवाएं खाना या घरेलू नुस्खे जैसे, रसोई में रखी लौंग, इलायची इत्यादि का सेवन करने के बारे में तो ज्यादातर लोगों को जानकारी होती है। जो लोग इन नुस्खों का उपयोग नहीं करते हैं, उन्हें भी थोड़ा-बहुत आइडिया तो होता ही है कि दवाई पास ना होने पर खांसी में कुछ घरेलू चीजें खाई जा सकती हैं, जिनसे तुरंत राहत मिल जाती है। लेकिन जलेबी जैसी स्वादिष्ट मिठाई खाकर भी खांसी का उपचार किया जा सकता है... ये ओपन सीक्रेट केवल वही लोग जानते हैं, जिनके घर में बड़े-बुजुर्ग आयुर्वेदिक पद्धिति से अपने रोगों का उपचार कराते रहे हैं।

यहां हम आपको इस ओपन सीक्रेट की डिटेल बताने जा रहे हैं कि आखिर आप कौन-सी खांसी में जलेबी खा सकते हैं और किस विधि से इसे खाना है ताकि एक से दो बार खाने पर ही कफ की समस्या गायब हो जाए। यह आर्टिकल वैद्य सुरेंद्र सिंह राजपूत जी से बातचीत पर आधारित है, ये पिछले 40 वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा रोगियों का इलाज कर रहे हैं...

कब खानी चाहिए जलेबी?

यूं तो जलेबी आप सुबह या रात को कभी भी खा सकते हैं। लेकिन इसे खाने का स्वाद लेने के साथ ही सेहत को भी लाभ पहुंचाना है तो इसे हमेशा खाना खाने से पहले खाएं। साथ ही जब भी खाएं, गर्मागर्म और ताजी जलेबी का ही सेवन करें। इन बातों का ध्यान रखते हुए जलेबी खाएंगे तो डायजेशन इंप्रूव होगा, मूड अच्छा रहेगा और शुगर भी नहीं बढ़ेगी। बशर्ते आप पहले से डायबिटीज के गंभीर रोगी नहीं होने चाहिए!

दूध के साथ जलेबी खाने के फायदे

दूध और जलेबी खाने से शरीर में पित्त नहीं बढ़ता है। यदि किसी को पित्त संबंधी समस्याएं अक्सर रहती हैं तो वे लोग दूध-जलेबी का सेवन कुछ दिनों के लिए नियमित रूप से भी कर सकते हैं। शरीर में पित्त बढ़ने के मुख्य लक्षण, सीने पर जलन होना, खट्टी डकार आना या शरीर में खुजली होना हैं। लेकिन जिस समय आपके सीने पर जलन हो रही हो या खट्टी डकार आ रही हो, उस समय आपको दूध-जलेबी का सेवन नहीं करना है। बल्कि केवल दूध पीना है, वह भी सामान्य तापमान (रूम टैम्प्रेचर) पर रखा हुआ। आगे कभी इस तरह की समस्या ना हो, उसके लिए दूध-जलेबी का सेवन सामान्य स्थिति में करना चाहिए।

किस खांसी में लाभ देती है दूध-जलेबी?

वैद्य जी के अनुसार 'दूध और जलेबी का सेवन पित्तज खांसी होने पर करना चाहिए। क्योंकि गर्म जलेबी पित्त को शांत करने का काम करती है और गर्मागर्म दूध इसके गुणों को बढ़ाकर जल्दी रिजल्ट देने में सहयोग करता है।'अब आपके मन में यह सवाल आएगा कि कैसे पहचानें कि हमें पित्त बढ़ने से होने वाली खांसी हुई है? तो इसके लिए पित्तज खांसी के लक्षण जान लें...

खांसी के प्रकार

आयुर्वेद के अनुसार, खांसी मुख्य रूप से 5 प्रकार की होती है, वातज, पित्तज, कफज, क्षयज और क्षतज। इनमें वायु असंतुलन से होने वाली खांसी में तेज लेकिन सूखी खांसी होती है। यानी इसमें कफ नहीं आता। पित्त बढ़ने पर होने वाली खांसी में बहुत हल्का-सा कफ खांसी के साथ आता है और ये हल्का नमकीन टेस्ट देता है। लेकिन कफ के कारण होने वाली खांसी में बहुत अधिक म्यूकस यानी बलगम आता है। क्षयज खांसी वो होती है, जो टीबी रोग के कारण होती है और क्षतज खांसी चोट लगने जैसी घटनाओं के कारण होती है।

पित्त असंतुलन से होने वाली खांसी को पित्तज खांसी कहा जाता है और इससे राहत पाने के लिए आप रात को दूध और जलेबी खाकर सो जाएं। सुबह उठने पर आपको अपनी स्थिति में अभूतपूर्व लाभ अनुभव होगा। दूध-जलेबी का सेवन रात का खाना (डिनर) करने के दो घंटे बाद करें। इसके बाद ब्रश करें और सो जाएं। ध्यान रखें इन्हें खाने के बाद कुछ और नहीं खाना है। बस सो जाना है। यदि आपको खांसी मौसम बदलने या हल्की-फुल्की ठंड लगने के कारण हुई है तो दो से तीन दिन इस विधि को अपनाएं आपको खांसी दूर करने के लिए किसी दवाई की आवश्यकता नहीं होगी। वात असंतुलन से होने वाली खांसी में भी दूध-जलेबी कारगर साबित होता है। लेकिन यह रोगी के लक्षणों और रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है।

यदि आपको खांसी किसी बीमारी के कारण या एलर्जी इत्यादि के कारण हो रही है तब तो आपको चिकित्सक से अवश्य ही मिलना चाहिए। क्योंकि किसी भी रोग को बढ़ाकर उसका उपचार कराने से कहीं अधिक उपयोगी होता है कि आप प्रारंभिक स्थिति में ही उसका जड़ से उपचार कर दें।

डिसक्लेमर: पुरानी, किसी अन्य रोग के कारण होने वाली खांसी हो तो इस उपाय पर निर्भर ना रहें, डॉक्टर से मिलें।

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