खुद जांच लें अपनी आंतों की सेहत, खिल उठेगा चेहरा और घने होंगे बाल
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आंतों की सेहत जांचना है बहुत आसान, गट हेल्थ की ऐसे करें पहचान

खुद जांच लें अपनी आंतों की सेहत, खिल उठेगा चेहरा और घने होंगे बाल

आंतें बहुत संवेदनशील होती हैं। ये गलत खाने, गलत समय पर खाने, स्ट्रेस, नींद की कमी और हार्मोनल बदलाव पर तुरंत प्रतिक्रिया देती हैं। इनसे जुड़े रोचक फैक्ट्स जानें


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हम अपने चेहरे, बाल, वज़न, ब्लड रिपोर्ट्स पर जितना ध्यान देते हैं, उतना ध्यान आंतों की सेहत पर नहीं देते। जबकि सच्चाई यह है कि हमारी आंते सिर्फ खाना पचाने के लिए नहीं बनी। बल्कि पूरे शरीर की सेहत का असली कंट्रोल रूम है। Harvard Medical School की 2023 की Gut-Brain Axis Review बताती है कि आंतें सिर्फ खाना पचाने के लिए नहीं बनीं, बल्कि मूड, हार्मोन्स, इम्यूनिटी, मेटाबॉलिज़्म और यहां तक कि दिमाग़ के काम को भी नियंत्रित करती हैं। यानी जितनी आंतें खुश, उतना पूरा शरीर खुश।

लेकिन सालों से पेट को लेकर कुछ ऐसी मान्यताएँ हमारे दिमाग में बैठ चुकी हैं, जिन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं, और यही भरोसा बीमारी को बढ़ने देता है।...


पेट दर्द अर्थात गैस या एसिडिटी

सबसे आम गलतफहमी पेट दर्द को सिर्फ गैस या एसिडिटी मान लेना है। दर्द हुआ और तुरंत एंटासिड की गोली खा ली। एक-दो बार ठीक लगने के बाद हम इसे आदत बना लेते हैं। लेकिन American Gastroenterological Association (2022) की रिपोर्ट बताती है कि बार-बार गैस की दवाओं का प्रयोग असली कारण को छुपा देता है-दर्द अक्सर गैस नहीं होता। यह अल्सर, इंफेक्शन, पैनक्रियाटाइटिस, गॉलब्लैडर स्टोन, लैक्टोज इन्टॉलरेंस, ग्लूटेन सेंसिटिविटी या हार्मोनल बदलाव भी हो सकता है। यानी जो गोली तात्कालिक आराम देती है, वही बीमारी को अंदर ही अंदर आगे बढ़ने का अवसर भी देती है। असली समाधान है शरीर के संकेतों को समझना। जैसे, दर्द खाना खाने के बाद होता है या खाली पेट? मल त्याग में बदलाव आया है या नहीं? शरीर हमें हर जवाब धीरे-धीरे बताता है, पर सुनने वाला चाहिए।



प्रोबायोटिक और सप्लीमेंट्स हैं सबके लिए

एक और आम विश्वास है कि प्रोबायोटिक्स हर पेट के लिए चमत्कारिक इलाज हैं और दही खाने वाले की आंतें कभी खराब नहीं होतीं। सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन सच इससे बिल्कुल अलग है। Stanford Microbiome Study-2021 बताती है कि हर व्यक्ति के आंतों का माइक्रोबायोम अलग होता है। एक ही प्रोबायोटिक्स किसी के पेट को ठीक करते हैं, जबकि उसी से किसी और में गैस, दस्त और पेट फूलना बढ़ सकता है। खासकर IBS और SIBO वाले लोगों में। यानी दही और प्रोबायोटिक्स लाभकारी जरूर हैं, लेकिन सभी के लिए हर समय नहीं। वास्तव में कोई भी भोजन। दवा भी बन सकता है और परेशानी भी। यह निर्भर करता है हमारे सिस्टम की ज़रूरत पर, फैशन पर नहीं।


सभी के पेट के लिए बेस्ट चीजें

फिर एक धारणा और है कि सबसे हेल्दी डाइट सलाद, कच्ची सब्जियां और फ्रूट ही है। लेकिन Johns Hopkins Gut Sensitivity Research 2020 यह साफ बताती है कि हर पेट इतनी फ़ाइबर-रिच कच्ची डाइट पचाने लायक नहीं होता। IBS, SIBO, कोलाइटिस और कमजोर पाचन वाले लोगों में कच्ची चीज़ें पेट में दर्द, फुलाव और जलन बढ़ा देती हैं। ऐसे लोगों के लिए पका हुआ हल्का भोजन, जैसे दाल-चावल, मूंग दाल खिचड़ी, दलिया, सूप और घी-चावल, कहीं अधिक आरामदायक होता है। यानी हेल्दी वही है जिसे आपका शरीर बिना संघर्ष के पचा सके, न कि जो इंटरनेट कहता है। डॉक्टर्स के अनुसार, पका हुआ और हल्का भोजन खाना अक्सर आंतों के लिए अच्छा होता है।


मल त्याग का क्रम

कई लोग मानते हैं कि दिन में 2–3 बार मल त्याग ही अच्छी आंतों की निशानी है। क्योंकि ये लोग मानते हैं कि अधिक मल त्याग का मतलब अच्छी डाइजेशन होता है। हालांकि ये मानना गलत है। क्योंकि आंतों का सिस्टम हर व्यक्ति में अलग होता है। British Medical Journal (BMJ, 2019) कोई दिन में 1 बार मल त्याग करता है और बहुत स्वस्थ होता है, कोई दिन में 2 बार करता है और वह भी सामान्य है। असल संकेत यह है कि मल बिना दर्द, बिना जोर लगाए, बिना जलन, बिना बहुत अधिक ढीला या बहुत अधिक सख्त हुए निकले। अगर ऐसा है तो आंतें स्वस्थ हैं, चाहे एक बार मल त्याग हो या दो बार।


अपनी आंतों की बात सुनें

आंतें बहुत संवेदनशील होती हैं। वह गलत खाने, गलत समय पर खाने, स्ट्रेस, नींद की कमी और हार्मोनल बदलाव पर तुरंत प्रतिक्रिया देती हैं। इसलिए (Gut health) बेहतर करने का असली तरीका वही है, जिसे शरीर खुद आपको बताता है। आप इन बातों पर ध्यान दें कि आपके शरीर के लिए कौन-सा खाना लाभकारी, कौन-सा भोजन परेशान करने वाला है, किससे गैस बढ़ती है, किससे पेट हल्का लगता है, इत्यादि।

Yale Stress & Gut Research 2023 के अनुसार माइक्रोबायोम पर सबसे तेज़ असर तनाव और disturbed sleep का पड़ता है। इसलिए गट हेल्थ ठीक करने का असली उपाय डायट ट्रेंड्स फॉलो करना नहीं बल्कि अपने शरीर की आवाज पर भरोसा करना है। अपने शरीर के बारे में यही सबसे महत्वपूर्ण डेटा है, जो आपको स्वस्थ रहने में सहायता करेगा। अगर ये संकेत सुने जाएं तो आतें सिर्फ आपके पाचन को नहीं बल्कि स्किन, मूड, हार्मोन्स, वज़न और इम्यूनिटी को भी शानदार तरीके से संभाल लेती है।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


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