पैरों की दुखन और टखनों का दर्द हो सकता है दिल की बिगड़ती सेहत का संकेत
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हार्ट की कमजोरी के लक्षण

पैरों की दुखन और टखनों का दर्द हो सकता है दिल की बिगड़ती सेहत का संकेत

दिल की पंपिंग क्षमता घटने पर शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून कम पहुंचता है। इसका सीधा असर व्यक्ति की ऊर्जा पर पड़ता है। इसलिए हार्ट फेल्योर की शुरुआत में ...


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Heart Disease: आधुनिक कार्डियोलॉजी का मानना है कि हार्ट फेल्योर के शुरुआती संकेत बहुत सूक्ष्म होते हैं और यही वजह है कि बीमारी पकड़ में तब आती है, जब दिल की पंपिंग क्षमता काफी हद तक कम हो चुकी होती है। हार्ट फेल्योर हृदय से जुड़ी सबसे आम बीमारियों में से एक है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा लगातार बढ़ता जाता है और यह बीमारी दुनिया भर में 6.4 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित कर रही है...

शाम के समय पैरों और टखनों में दर्द

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग (Harvard Health Publishing) में प्रकाशित रिसर्च बताती है कि दिल कमजोर होने का सबसे शुरुआती और आम संकेत पैरों और टखनों में सूजन है। जब दिल शरीर में खून को प्रभावी ढंग से पंप नहीं कर पाता है तो खून वापस नसों में जमा होने लगता है। इस दबाव के कारण तरल पदार्थ रक्त वाहिकाओं से बाहर निकलकर ऊतकों में जमा हो जाता है। यही तरल जमा होना एडिमा (Fluid retention) कहलाता है, जो अक्सर शाम के समय पैरों और टखनों में साफ दिखाई देने लगता है। कई लोग इसे लंबे समय तक खड़े रहने या नमक अधिक खाने का असर मान लेते हैं, जबकि यह दिल की कमजोरी का शुरुआती संदेश हो सकता है।



सांस फूलना और एनर्जी लेवल कम रहना

जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन (Johns Hopkins Medicine) से जुड़ी स्टडीज़ बताती हैं कि दिल की पंपिंग क्षमता घटने पर शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून कम पहुंचता है। इसका सीधा असर व्यक्ति की ऊर्जा पर पड़ता है। इसलिए हार्ट फेल्योर की शुरुआत में बिना ज्यादा मेहनत किए थक जाना, सीढ़ियां चढ़ते समय या थोड़ी दूरी चलने पर सांस फूलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह सांस फूलना शुरू में केवल गतिविधि के दौरान होता है। लेकिन बीमारी बढ़ने पर आराम की स्थिति में भी महसूस होने लगता है।



दिल कमजोर होने के लक्षण

नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टिट्यूट (NHLBI) के अनुसार, हार्ट फेल्योर के लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि दिल का कौन-सा हिस्सा ज्यादा प्रभावित है। जब दिल का बायां हिस्सा कमजोर होता है तो फेफड़ों में तरल जमा होने लगता है, जिससे रात में लेटते समय सांस लेने में दिक्कत, खांसी या सीने में जकड़न महसूस हो सकती है। वहीं दिल का दायां हिस्सा कमजोर होने पर शरीर के निचले हिस्सों में सूजन ज्यादा दिखाई देती है, खासकर पैरों, टखनों और पेट में।



बिना कारण वजन बढ़ना

द अमेरिकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी (The American Journal of Cardiology) में प्रकाशित रिसर्च यह भी बताती है कि हार्ट फेल्योर में वजन अचानक बढ़ना एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। यह वजन चर्बी के कारण नहीं बढ़ता बल्कि शरीर में जमा हो रहे तरल पदार्थ के कारण बढ़ता है। कई मरीज कुछ ही दिनों में 2–3 किलो तक वजन बढ़ने की बात बताते हैं, जिसे वे सामान्य मान लेते हैं, जबकि यह दिल की बिगड़ती कार्यक्षमता का संकेत होता है।



भ्रम बना रहता है

कुछ शोध यह भी दर्शाते हैं कि दिल कमजोर होने पर दिमाग तक जाने वाला रक्त प्रवाह भी प्रभावित होता है। इसी वजह से मरीजों में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, भ्रम की स्थिति या स्मरण शक्ति में हल्की गिरावट देखी जा सकती है। जॉन्स हॉपकिन्स और NIH से जुड़े अध्ययनों में इसे हार्ट फेल्योर का एक कम पहचाना गया लेकिन महत्वपूर्ण लक्षण माना गया है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि हार्ट फेल्योर का मतलब यह नहीं कि दिल अचानक बंद हो गया। इसका अर्थ है कि दिल धीरे-धीरे अपनी कार्यक्षमता खो रहा है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान मानता है कि यदि इन सूक्ष्म संकेतों को समय रहते पहचान लिया जाए तो दवाओं, जीवनशैली में बदलाव और सही उपचार से बीमारी की गति को काफी हद तक रोका जा सकता है।

यह लेख डराने के लिए नहीं है बल्कि समझाने के लिए है कि शरीर छोटे-छोटे बदलावों के ज़रिए बड़ी बीमारियों की आहट पहले ही दे देता है। टखनों की सूजन, सांस फूलना, असामान्य थकान या अचानक वजन बढ़ना, ये केवल उम्र या कमजोरी के लक्षण नहीं हैं। कई बार ये दिल के उस संघर्ष की भाषा होते हैं, जिसे समझना हमने अभी शुरू ही किया है।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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