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टॉयलेट में स्मार्टफोन के उपयोग से 46% बढ़ा बवासीर का खतरा

क्यों 20 से 40 की उम्र में बढ़ रहे हैं बवासीर के मरीज, सामने आई ये वजह

लंबे समय तक टॉयलेट पर बैठे रहना एनोरेक्टल प्रेशर (मलद्वार पर दबाव) को बढ़ा देता है, जिससे बवासीर और फिशर की संभावना बढ़ जाती है। पूरी बात यहां जानें...


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Hemorrhoids Or Piles: एक नई स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि जो वयस्क टॉयलेट सीट पर बैठकर स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं, उनमें बवासीर (Hemorrhoids) का खतरा अधिक हो सकता है। बोस्टन स्थित 'बेथ इज़राइल डीकोनेस मेडिकल सेंटर' के शोधकर्ताओं ने 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 125 वयस्कों पर अध्ययन किया, जो स्क्रीनिंग कोलोनोस्कोपी से गुजर रहे थे।

इस शोध के नतीजे बताते हैं कि टॉयलेट में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों में बवासीर का खतरा उन लोगों की तुलना में 46% ज्यादा था, जो फोन का उपयोग नहीं करते। यह आंकड़ा उम्र, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), एक्सरसाइज, फाइबर सेवन और स्ट्रेनिंग (जोर लगाने) जैसे कारकों को समायोजित (एडजस्ट) करने के बाद भी कायम रहा। आपको बता दें कि बोस्टन, मैसाचुसेट्स स्थित बेथ इज़राइल डीकोनेस मेडिकल सेंटर, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल का एक शिक्षण अस्पताल है।

रिसर्च में ये मिला

शोध में शामिल 125 लोगों में से 83 (करीब 66%) ने माना कि वे टॉयलेट में मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, ज्यादातर लोग न्यूज पढ़ने या सोशल मीडिया स्क्रॉल करने के लिए।

जब डॉक्टरों ने कोलोनोस्कोपी के दौरान प्रतिभागियों की आंतों की जांच की, तो पाया कि मोबाइल इस्तेमाल करने वालों में बवासीर होने की संभावना 46% ज्यादा थी।

दिलचस्प बात यह रही कि ज्यादा देर तक टॉयलेट पर बैठना बवासीर के खतरे को बढ़ाता दिखा। स्मार्टफोन यूजर्स में 37.3% लोग हर विजिट में पाँच मिनट से ज्यादा समय बिताते थे, जबकि नॉन-यूजर्स में यह आंकड़ा सिर्फ 7.1% था। यह स्टडी PLoS One जर्नल में 3 सितंबर को प्रकाशित हुई।

बवासीर क्या है?

बवासीर गुदा या रेक्टम की निचली नसों में सूजन और जलन को कहते हैं। इसे अंग्रेजी में Hemorrhoids या Piles कहा जाता है। यह जानलेवा तो नहीं होता लेकिन काफी असुविधाजनक हो सकता है। इसमें खुजली, दर्द और कभी-कभी खून आने जैसी समस्याएं शामिल हैं। अनुमान है कि हर साल करीब 40 लाख लोग इस समस्या के लिए डॉक्टर या इमरजेंसी डिपार्टमेंट का रुख करते हैं।


लाइफस्टाइल फैक्टर्स और बदलती आदतें

स्टडी में पाया गया कि युवा वयस्क टॉयलेट पर मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल यूजर्स में साप्ताहिक एक्सरसाइज का स्तर भी कम था, जिससे संकेत मिलता है कि उनकी लाइफस्टाइल अपेक्षाकृत ज्यादा बैठकदारी (sedentary) है।

दरअसल, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कोलोरेक्टल डिज़ीज़ (2020) में छपी एक रिसर्च ने भी यही दिखाया था कि लंबे समय तक शौचालय पर बैठना और गैजेट्स का उपयोग एनोरेक्टल प्रेशर (मलद्वार पर दबाव) को बढ़ा देता है, जिससे बवासीर और फिशर की संभावना बढ़ जाती है।

इसी तरह, जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी (2019) में रिपोर्ट किया गया कि 20 से 40 वर्ष की उम्र वाले लोग सबसे ज्यादा "toilet phone use" के शिकार हैं और यही ग्रुप hemorrhoids की शुरुआती शिकायतों के साथ सामने आता है।

भारत में साल 2021 में AIIMS दिल्ली के गैस्ट्रो विभाग द्वारा एक छोटे सर्वे में पाया गया कि शहरी युवाओं में 55% लोग टॉयलेट में मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और उनमें से लगभग 32% ने बवासीर जैसी लक्षणों की शिकायत की।


हेल्थ इम्प्लीकेशंस और आगे की रिसर्च

हालाँकि यह स्टडी कुछ सीमाओं के साथ आई है। जैसे, इसमें डेटा सेल्फ-रिपोर्टेड था और डिज़ाइन क्रॉस-सेक्शनल था (जिससे सीधा कारण-परिणाम संबंध स्थापित नहीं होता)। इसके अलावा बवासीर की जांच अलग-अलग डॉक्टरों द्वारा की गई, जिससे नतीजों में थोड़ी भिन्नता हो सकती है। फिर भी, निष्कर्ष स्पष्ट है कि टॉयलेट पर लंबे समय तक मोबाइल इस्तेमाल करना बवासीर का जोखिम बढ़ाता है। यही कारण है कि हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि टॉयलेट पर पांच मिनट से ज्यादा न बैठें और इस आदत से बचें।

डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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