हेपेटाइटिस क्या है और इस बीमारी में क्या खाने से जल्दी फायदा मिलता है
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हेपेटाइटिस होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

हेपेटाइटिस क्या है और इस बीमारी में क्या खाने से जल्दी फायदा मिलता है

हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी बीमारी है। गलत खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण ये बीमारी पनपती है। इससे बचाव के उपाय जानें और बीमारी होने पर क्या खाना चाहिए ये भी...


Hepatitis Care: हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लिवर को प्रभावित करती है। यह संक्रमण तब होता है, जब शरीर दूषित भोजन, पानी या गलत जीवनशैली के संपर्क में आता है। इससे लिवर में सूजन आ जाती है और इसके सामान्य कार्य बाधित हो जाते हैं। हेपेटाइटिस के इलाज में जहां आधुनिक चिकित्सा उपयोगी है, वहीं आयुर्वेद में भी इसके लिए कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। जो बिना साइड इफेक्ट के असर दिखाते हैं। आइए जानते हैं हेपेटाइटिस के कारण, लक्षण और उससे राहत पाने के लिए किस प्रकार की डाइट लेनी चाहिए...

हेपेटाइटिस के मुख्य कारण

हेपेटाइटिस का सबसे बड़ा कारण दूषित पानी और खाना होता है। जब व्यक्ति अस्वच्छ वातावरण में रहने लगता है या ऐसी चीजें खाता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया से संक्रमित होती हैं। तब यह संक्रमण लिवर तक पहुंच जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी होते हैं जैसे इम्यून सिस्टम का कमजोर होना, शराब का अत्यधिक सेवन, लंबे समय तक कुछ दवाओं का सेवन, वायरल संक्रमण और जीवनशैली की गलत आदतें जैसे देर से खाना, तला-भुना खाना आदि।

लक्षण जो हेपेटाइटिस की ओर इशारा करते हैं

हेपेटाइटिस के लक्षण शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ ये गंभीर हो जाते हैं। इन लक्षणों में पेट के दाहिने हिस्से में दर्द या भारीपन, थकावट और कमजोरी, भूख न लगना, आंखों और त्वचा का पीला होना (पीलिया), मतली या उल्टी, पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाना और हल्का बुखार शामिल हो सकते हैं। अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

हेपेटाइटिस की वजह

आयुर्वेद में हेपेटाइटिस को पित्त दोष में असंतुलन का परिणाम माना गया है। जब शरीर में पित्त अधिक बढ़ जाता है तो लिवर पर दबाव पड़ता है और उसमें सूजन आने लगती है। इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है और शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं। पित्त को संतुलित करने के लिए भोजन और दिनचर्या में बदलाव बेहद जरूरी होता है।

हेपेटाइटिस में क्या खाएं?

आयुर्वेद के अनुसार, हेपेटाइटिस में शरीर को ठंडक देने वाले और पाचन को सुधारने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

अनाज में दलिया, ब्राउन राइस और साबूदाना फायदेमंद माने जाते हैं।

फलों में सेब, पपीता, केला और तरबूज का सेवन लाभकारी होता है।

सब्जियों में लौकी, करेला, कद्दू, गाजर, पालक, धनिया पत्तियां, चुकंदर, शकरकंद, आलू, ब्रोकली और मशरूम शामिल किए जा सकते हैं।

मसालों की बात करें तो जीरा, सौंफ, धनिया, हल्दी, काली मिर्च, अजवायन और मेथी के बीज का सीमित मात्रा में उपयोग करना अच्छा रहता है।

पेय पदार्थों में नारियल पानी, एलोवेरा जूस, आंवले का जूस, करेले का जूस, अनार का जूस, कद्दू और हरी सब्जियों का जूस, फैट-फ्री सूप और

हर्बल चाय का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा अलसी के बीज और कद्दू के बीज जैसे सीड्स भी लाभ पहुंचाते हैं।

हेपेटाइटिस में क्या न खाएं?

कुछ खाद्य पदार्थ लिवर पर ज्यादा दबाव डालते हैं और पित्त दोष को और बढ़ा सकते हैं, जिनसे परहेज करना जरूरी होता है। इन चीजों में सफेद चावल, दूध, क्रीम, दही, पनीर जैसे दुग्ध उत्पाद, पिस्ता, काजू, किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट्स, मैदा, लाल मिर्च, शराब और तला-भुना भोजन शामिल हैं।

आयुर्वेदिक डाइट प्लान

हेपेटाइटिस के दौरान एक संतुलित और हल्की डाइट बेहद जरूरी होती है। सुबह उठने के बाद आंवला जूस या हर्बल टी जैसे लेमन टी या दालचीनी की चाय का सेवन किया जा सकता है।

सुबह के नाश्ते में गेहूं का दलिया, पोहा, इडली, सूजी और सब्जी या दाल के साथ रोटी शामिल करें।

मिड मॉर्निंग में मौसमी फल खाएं।

दोपहर के भोजन में हल्की मौसमी सब्जी, मूंग दाल-चावल या खिचड़ी लें।

शाम को स्नैक्स के रूप में ग्रीन टी, साबूदाना, एलोवेरा जूस आदि लें।

रात के भोजन में मूंग की दाल, उबली सब्जी और रोटी का सेवन करें।

हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारी में सही खानपान और नियमित जीवनशैली बेहद जरूरी होती है। घरेलू और संतुलित डाइट न सिर्फ लिवर की सूजन को कम करने में मदद करती है बल्कि पाचन को भी बेहतर बनाती है। अगर लक्षण बने रहें तो डॉक्टर से तुरंत सलाह जरूर लें। बिना डॉक्टर से परामर्श किए किसी दवा का सेवन न करें। हेल्दी रहने के लिए आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।

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