इन 6 बीमारियों में बेहद कम या बिल्कुल नहीं खाना चाहिए आलू
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इन 6 बीमारियों में बेहद कम या बिल्कुल नहीं खाना चाहिए आलू

आलू की गिनती दुनिया में सबसे अधिक खाई जाने वाली सब्जियों में होती है। ये सब्जियों का राजा भी कह लाता है। लेकिन कुछ चुनिंदा बीमारियों में आलू से दूरी बहुत जरूरी है


आलू दुनियाभर में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है, लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ बीमारियों में इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है? आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही कुछ विशेष परिस्थितियों में आलू खाने से बचने की सलाह देते हैं। इस लेख में हम आलू से जुड़े वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक तथ्यों पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि किन स्वास्थ्य स्थितियों में इसे नहीं खाना चाहिए।

1. मधुमेह (Diabetes)

वैज्ञानिक कारण: आलू में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) अधिक होता है, यानी यह रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को तेजी से बढ़ाता है। इसमें स्टार्च अधिक होता है, जो पचने के बाद जल्दी ग्लूकोज में बदल जाता है। रिसर्च के अनुसार, अधिक आलू खाने से टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा बढ़ सकता है।

आयुर्वेदिक कारण: आयुर्वेद के अनुसार, मधुमेह कफ दोष और अग्निमांद्य (पाचन शक्ति की कमजोरी) से जुड़ा होता है। आलू भारी और शीतल प्रकृति का होता है, जो कफ बढ़ाने का काम करता है और मधुमेह को बढ़ा सकता है।

क्या करें?

अगर डायबिटीज़ है तो उबले हुए आलू कम मात्रा में खा सकते हैं। लेकिन तले हुए आलू और चिप्स से बचें।

2. मोटापा (Obesity)

वैज्ञानिक कारण: आलू कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होता है, जिससे वजन बढ़ सकता है। फ्रेंच फ्राइज़, आलू टिक्की और चिप्स में ट्रांस फैट होता है, जो फैट बढ़ाता है। रिसर्च के मुताबिक, आलू से बनी तली हुई चीजें मोटापे का एक बड़ा कारण बन सकती हैं।

आयुर्वेदिक कारण: आलू भारी और गुरु (भारीपन देने वाला) होता है, जिससे शरीर में चर्बी जमा होती है। यह कफ दोष को बढ़ाता है, जिससे मेटाबोलिज्म धीमा पड़ सकता है और वजन घटाने में दिक्कत होती है।

क्या करें?

वजन कम करने के लिए आलू का सेवन कम करें, खासकर तले हुए आलू पूरी तरह से अवॉइड करें।

3. गठिया (Arthritis) और जोड़ों का दर्द

वैज्ञानिक कारण: आलू में सोलानिन (Solanine) नामक तत्व होता है, जो सूजन और जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकता है। रिसर्च बताती है कि नाइटशेड फैमिली (Solanaceae) की सब्जियाँ, जैसे आलू, टमाटर और बैंगन, गठिया के लक्षणों को बढ़ा सकती हैं।

आयुर्वेदिक कारण: आयुर्वेद में गठिया वात दोष से संबंधित होता है, और आलू वात व कफ दोनों को बढ़ाता है। आलू की ठंडी प्रकृति जोड़ों में जकड़न और दर्द को बढ़ा सकती है।

क्या करें?

अगर गठिया है तो आलू की मात्रा सीमित करें और इसे मसालों के साथ पकाकर खाएँ।

4. एसिडिटी और पेट की समस्याएँ

वैज्ञानिक कारण: आलू में कुछ स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट्स ऐसे होते हैं जो पेट में गैस बना सकते हैं। अधिक मात्रा में खाने पर यह पेट फूलने (Bloating) और अपच का कारण बन सकता है।

आयुर्वेदिक कारण: आलू शीतल और गुरु गुणों वाला होता है, जो पाचन अग्नि को मंद कर सकता है। यह वात और कफ दोष को बढ़ाकर पेट में भारीपन, गैस और कब्ज पैदा कर सकता है।

क्या करें?

अगर आपको एसिडिटी या पेट की समस्या है, तो आलू को तलने की बजाय उबालकर खाएँ और इसमें अजवाइन, सोंठ या काली मिर्च मिलाएँ।

5. हृदय रोग (Heart Disease)

वैज्ञानिक कारण: तले हुए आलू जैसे फ्रेंच फ्राइज़, आलू चिप्स और अन्य जंक फूड्स से ट्रांस फैट बढ़ता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।

अधिक मात्रा में आलू खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ सकता है।

आयुर्वेदिक कारण: आयुर्वेद में हृदय रोग पित्त और कफ दोष से जुड़ा होता है। आलू कफ दोष को बढ़ाकर रक्त संचार को धीमा कर सकता है, जिससे ब्लॉकेज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।

क्या करें?

अगर हृदय रोग का खतरा है, तो तले हुए आलू से बचें और इसकी जगह उबला आलू खाएँ।

6. पित्त दोष से जुड़ी समस्याएँ

वैज्ञानिक कारण: आलू अम्लीय (Acidic) होता है और यह पेट में एसिड को बढ़ा सकता है। इससे पेट में जलन, एसिडिटी और उल्टी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

आयुर्वेदिक कारण: आयुर्वेद के अनुसार, आलू पित्त को बढ़ाकर पेट में जलन और एसिडिटी की समस्या को बढ़ा सकता है। यह पाचन अग्नि को असंतुलित कर सकता है।

क्या करें?

अगर आपको पित्त की समस्या है, तो आलू कम खाएँ और इसे घी या ठंडे खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर खाएँ।

आलू एक सामान्य और स्वादिष्ट सब्जी है। लेकिन कुछ बीमारियों में इसे सावधानीपूर्वक खाना चाहिए। आयुर्वेद और वैज्ञानिक शोध दोनों ही इसके सीमित और संतुलित सेवन की सलाह देते हैं। अगर आप आलू खाना चाहते हैं तो इसे तलने के बजाय उबालकर या भूनकर खाएँ और मसालों के साथ संतुलित मात्रा में सेवन करें।

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