Thalassemia treatment cause blood disease
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ब्लड से जुड़ा ये रोग सही उपचार से कंट्रोल हो सकता है

आप हेल्प करें तो कंट्रोल होगा थैलेसीमिया, बच सकता है किसी मासूम का जीवन

थैलेसीमिया मेजर, यूं तो एक जानलेवा बीमारी है। लेकिन यदि समय रहते एक सही डोनर मिल जाए तो मरीज एक सामान्य जीवन जी सकता है। डोनर से बस थोड़ा-सा ब्लड चाहिए...


International Thalassemia Day: हमारे देश में करीब डेढ़ लाख बच्चे गंभीर थैलेसीमिया से जूझ रहे हैं। डेटा के अनुसार, देश में करीब 10 से 12 हजार बच्चे हर साल थैलेसीमिया की समस्या के साथ पैदा होते हैं। इस बीमारी से जुड़ी अच्छी बात ये है कि इसका इलाज उपलब्ध है। लेकिन दुख की बात ये है कि सही डोनर ना मिलने के कारण अधिकांश बच्चों को पूरा इलाज मिलने के लिए सालों-साल इंतजार करना पड़ता है। इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 8 मई को इंटरनैशनल थैलेसीमिया-डे मनाया जाता है। यह कहना है मैक्स हॉस्पिटल की हेमेटोलजी, हेमेटो-ऑन्कॉलजी, बीएमटी डायरेक्टर डॉक्टर ईशा कौल का।

थैलेसीमिया से पीड़ित इन नन्हे मासूम बच्चों को बीमारी से लड़ने में ज्यादा लंबा संघर्ष ना करना पड़े, इसके लिए DKMS संस्था डोनर ढूंढने में मदद करती है। इस संस्था की सहायता से कई लोगों को नया जीवन मिला है। इनमें बच्चों की भी एक बड़ी संख्या शामिल है। ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया जैसे रक्त से जुड़े कई जानलेवा विकारों का उपचार कराने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है। इस संस्था की भारतीय इकाई के अध्यक्ष पैट्रिक पॉल काफी सक्रिय हैं। इंटरनैशनल थैलेसीमिया डे पर जानें, इस बीमारी से जुड़ी जरूरी बातें...

थैलेसीमिया क्या है?

थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। हीमोग्लोबिन वह प्रोटीन है, जो लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है। हीमोग्लोबिन दो प्रकार की ग्लोबिन चेन से बना होता है: अल्फा और बीटा। इन चेन के निर्माण में गड़बड़ी के कारण थैलेसीमिया होता है।

थैलेसीमिया कितने प्रकार का होता है?

थैलेसीमिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, जिन्हें आम भाषा में माइनर थैलेसीमिया और मेजर थैलेसीमिया कहते हैं। लेकिन मेडिकल की लैंग्वेज में इन्हें अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया कहा जाता है...

अल्फा थैलेसीमिया: इसमें अल्फा ग्लोबिन चेन की कमी होती है।

बीटा थैलेसीमिया: इसमें बीटा ग्लोबिन चेन की कमी होती है।

बीटा थैलेसीमिया के दो प्रमुख प्रकार हैं...

थैलेसीमिया माइनर (Trait): इसमें व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं होते या बहुत हल्के लक्षण होते हैं।

थैलेसीमिया मेजर (Cooley's Anemia): यह गंभीर प्रकार है जिसमें नियमित रक्त आधान की आवश्यकता होती है।

थैलेसीमिया क्यों होता है?

थैलेसीमिया एक अनुवांशिक विकार है, जो माता-पिता से बच्चों में जीन के माध्यम से स्थानांतरित होता है। यदि दोनों माता-पिता थैलेसीमिया जीन के वाहक हैं तो उनके बच्चों में थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना बढ़ जाती है।

थैलेसीमिया का इलाज

थैलेसीमिया का इलाज उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती, जबकि गंभीर मामलों में नियमित चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

1. रक्त आधान (Blood Transfusions)

गंभीर थैलेसीमिया में नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है ताकि शरीर में पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं बनी रहें। यह उपचार जीवन भर जारी रह सकता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusion) का मतलब है किसी व्यक्ति के शरीर में बाहर से खून या खून के किसी हिस्से को चढ़ाना। यह तब किया जाता है, जब किसी को ज्यादा खून की कमी हो जाती है।

2. आयरन चेलेशन थेरेपी (Iron Chelation Therapy)

बार-बार रक्त आधान से शरीर में आयरन की अधिकता हो सकती है, जो अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। आयरन चेलेशन थेरेपी के माध्यम से अतिरिक्त आयरन को शरीर से बाहर निकाला जाता है।

3. हेमाटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन (HSCT)

यह एकमात्र उपचार है जो थैलेसीमिया को पूरी तरह से ठीक कर सकता है। इस प्रक्रिया में स्वस्थ स्टेम सेल्स को मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया जोखिमपूर्ण है और सभी मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं होती।

4. जीन थेरेपी (Gene Therapy)

हाल ही में, जीन थेरेपी थैलेसीमिया के इलाज में एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई है। इसमें मरीज की स्टेम सेल्स को जीन संपादन तकनीक (जैसे CRISPR) के माध्यम से संशोधित किया जाता है ताकि वे स्वस्थ हीमोग्लोबिन का उत्पादन कर सकें। उदाहरण के लिए, Casgevy (exagamglogene autotemcel) नामक जीन थेरेपी को हाल ही में अनुमोदित किया गया है, जो बीटा थैलेसीमिया के मरीजों में रक्त आधान की आवश्यकता को कम कर सकती है।

नई रिसर्च और नया इलाज

थैलेसीमिया के इलाज में निरंतर अनुसंधान (रिसर्च) हो रही है। हाल ही में, एक अध्ययन में पाया गया कि betibeglogene autotemcel (Zynteglo) नामक जीन थेरेपी से अधिकांश मरीजों में रक्त आधान की आवश्यकता समाप्त हो गई। इसके अलावा, Casgevy नाम की एक जीन थेरेपी, जो CRISPR तकनीक से बनाई गई है, को भी मंजूरी मिल गई है। यह थेलेसीमिया और सिकल सेल जैसी बीमारियों के इलाज में मदद करती है।

थैलेसीमिया एक गंभीर रोग है लेकिन इसे मैनेज किया जा सकता है। मॉडर्न मेडिकल साइंस, विशेष रूप से जीन थेरेपी ने इस रोग के इलाज में नई संभावनाएं खोली हैं। हालांकि इन उपचारों की उपलब्धता और लागत अभी भी एक चुनौती है, विशेषकर विकासशील देशों में। भविष्य में, इन उपचारों की पहुंच बढ़ाने और उन्हें अधिक किफायती बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। और DKMS जैसी संस्थाएं इस काम में मरीजों की सहायता के लिए आगे बढ़कर काम कर रही हैं।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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