
घर से दूर रहकर बच्चे क्यों हो जाते हैं जॉन्डिस का शिकार? कारण और समाधान
कभी पढ़ाई तो कभी करियर संवारने के प्रयास में बच्चे घर से दूर जाते हैं। अपने शुरुआती संघर्षों के बीच ये बच्चे जॉइंडिस की चपेट में क्यों आ जाते हैं, जानें..
Jaundice Cause In Youngsters: पढ़ाई और नौकरी के लिए बच्चों को घर से दूर अलग-अलग शहरों में रहना पड़ता है। खासकर हॉस्टल में रहने वाले या घर से बाहर पहली बार स्वतंत्र जीवन जीने वाले बच्चे अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं। इनमें से एक आम समस्या जॉन्डिस यानी पीलिया है। कई बार देखने में आता है कि जो बच्चे घर छोड़कर हॉस्टल में रहने जाते हैं, वे कुछ ही महीनों में इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं इसके मुख्य कारण और समाधान...
जॉन्डिस क्या है?
जॉन्डिस (Jaundice) एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर में बिलीरुबिन (bilirubin) नामक पिगमेंट के बढ़ने से होती है। इसका सबसे प्रमुख लक्षण त्वचा और आंखों का पीला पड़ना है। जब लिवर (यकृत) ठीक से काम नहीं करता या पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, तो यह समस्या बढ़ सकती है।
घर से दूर रहने वाले बच्चों में जॉन्डिस के बढ़ते मामलों के कारण
अस्वस्थ खान-पान बच्चों के शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। घर से दूर रहने वाले बच्चे अक्सर जंक फूड, तला-भुना खाना और बाहर के अस्वच्छ भोजन का अधिक सेवन करने लगते हैं। सड़क किनारे या ढाबों पर मिलने वाले खाने में साफ-सफाई की कमी होती है, जिससे लिवर पर बुरा असर पड़ता है और जॉन्डिस का खतरा बढ़ जाता है।
अशुद्ध पानी का सेवन भी जॉन्डिस का एक बड़ा कारण हो सकता है। हॉस्टल या पीजी में रहने वाले बच्चे अक्सर घर जैसा साफ पानी नहीं पीते। कई जगहों पर नल का पानी या बिना फ़िल्टर किया हुआ पानी पीने से शरीर में बैक्टीरिया और वायरस चले जाते हैं, जिससे हेपेटाइटिस ए और ई जैसे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
नींद की कमी और अस्वस्थ दिनचर्या बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकती है। बच्चों की पढ़ाई, एग्जाम प्रेशर और देर रात तक जागने की आदत उनकी दिनचर्या को बिगाड़ देती है। सही समय पर सोना और खाना न खाने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे लिवर पर अधिक दबाव पड़ता है और जॉन्डिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शराब और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन लिवर को कमजोर बना सकता है। कुछ युवा घर से दूर रहने पर गलत संगत में पड़कर शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं। ये सभी चीजें सीधे लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं और लिवर से जुड़ी बीमारियों का कारण बनती हैं।
व्यक्तिगत स्वच्छता की अनदेखी भी एक मुख्य कारण हो सकता है। साफ-सफाई का ध्यान न रखना, गंदे हाथों से खाना खाना या ठीक से हाथ न धोना भी जॉन्डिस फैलाने वाले वायरस को शरीर में प्रवेश करने का मौका देता है।
जॉन्डिस से बचाव के उपाय
साफ पानी पीना बहुत जरूरी है। बच्चों को हमेशा फ़िल्टर या उबला हुआ पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। बाहर जाते समय अपने साथ पानी की बोतल रखें और बाहर के पानी से बचें।
संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। फास्ट फूड और तला-भुना खाने से बचें। हरी सब्जियां, ताजे फल, दालें और फाइबर युक्त भोजन को अपने आहार में शामिल करें ताकि लिवर स्वस्थ बना रहे।
नींद और दिनचर्या का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें और समय पर भोजन करें। एक्सरसाइज और योग को दिनचर्या में शामिल करें ताकि इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहे।
अल्कोहल और नशे से बचाव करना जरूरी है। शराब और नशीली चीजों से दूरी बनाएं क्योंकि ये लिवर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
टीकाकरण करवाना भी जरूरी है। हेपेटाइटिस ए और बी के टीके लगवाने से इन संक्रमणों से बचा जा सकता है। अगर बच्चे हॉस्टल में रहने जा रहे हैं तो टीकाकरण जरूर कराएं।
स्वच्छता बनाए रखना बेहद जरूरी है। खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोने की आदत डालें। गंदगी से बचें और अपने आसपास सफाई बनाए रखें ताकि बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन का खतरा कम हो।
घर से दूर रहने वाले बच्चों को जॉन्डिस जैसी बीमारियों का अधिक खतरा रहता है क्योंकि वे खान-पान, स्वच्छता और दिनचर्या को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। लेकिन अगर वे स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, संतुलित आहार लें, साफ पानी पिएं और स्वच्छता का ध्यान रखें, तो इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है। माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को घर से दूर भेजने से पहले इन सभी बातों के लिए जागरूक करें ताकि वे स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।