क्यों 50% लोग कराते हैं 3 से 5 साल में किडनी स्टोन्स का दोबारा ऑपरेशन?
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किडनी स्टोन्स के ऑपरेशन से बचाव का उपाय

क्यों 50% लोग कराते हैं 3 से 5 साल में किडनी स्टोन्स का दोबारा ऑपरेशन?

यूरोलॉजी टाइम्स के अनुसार मात्र 3 से 5 साल में लगभग 50 फीसदी लोगों को कराना पड़ा किडनी स्टोन्स का दोबारा ओपरेशन, यहां जान लें बचाव का अचूक उपाय...


Barley Water For Kidney Stones: जिन लोगों को किडनी स्टोन की समस्या होती है और वे इससे तंग आकर ओपरेशन करा लेते हैं, ऐसे लोगों में फिर से किडनी होने का रिस्क भी बहुत हाई होता है। यूरोलॉजी टाइम्स (Urology Times) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जितने भी लोग किडनी स्टोन का ऑपरेशन कराते हैं, उनमें से 30 से 50 प्रतिशत लोगों को मात्र 3 से 5 साल में दोबारा किडनी स्टोन की समस्या हो जाती है। यानी वो फिर से ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां उन्हें दोबारा ओपरेट कराने की नौबत आ जाती है।

यदि आप भी किसी ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं या ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं, जो इस तरह की समस्या का सामना कर रहा है तो ओपरेशन से पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में इस घरेलू नुस्खे को जरूर ट्राई करें। क्योंकि ये किडनी स्टोन का आयुर्वेदिक समाधान है और यदि आपके किडनी स्टोन का साइज 12 एमएम से कम है तो इस उपाय को अपनाने से आपके स्टोन छोटे होकर यूरिन के रास्ते से बाहर निकल जाएंगे। यानी आपको ओपरेशन कराने की आश्यकता नहीं पड़ेगी...

किडनी स्टोन का आयुर्वेदिक उपाय

इससे बचने के लिए आयुर्वेद में एक प्राकृतिक और असरदार उपाय बताया गया है, जो यदि सही समय पर अपनाया जाए और पथरी का साइज 12 मिमी से कम हो, तो ये घरेलू इलाज पथरी को घोलकर यूरिन के रास्ते बाहर निकाल सकता है। इससे ना सिर्फ आपको ऑपरेशन से राहत मिल सकती है बल्कि भविष्य में दोबारा स्टोन बनने की संभावना भी कम हो जाती है।

आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खा- 100% प्राकृतिक तरीका

इस आयुर्वेदिक उपाय को अपनाने के लिए आपको चाहिए सिर्फ दो चीजें। पहली है- जौ और दूसरा है- पानी। एक मुट्ठी जौ और दो गिलास पानी लें। जौ को पानी में डालकर धीमी आंच पर तब तक उबालें, जब तक ये पानी आधा ना हो जाए यानी दो गिलास पानी एक गिलास रह जाए। अब इस एक गिलास पानी को थोड़ा-थोड़ा करके दिन में तीन से चार बार पिएं।

कैसे काम करता है जौ का पानी?

जौ का पानी किडनी की पथरी को निकालने में कैसे हेल्प करता है, इसके पीछे के सायंटिफिक कारण यहां डिटेल में समझें...

डाय्यूरेटिक प्रभाव (Diuretic Effect)

जौ में प्राकृतिक डाय्यूरेटिक गुण होते हैं, यानी यह शरीर में मूत्र उत्सर्जन (urination) की प्रक्रिया को बढ़ाता है। जब मूत्र ज्यादा मात्रा में और बार-बार बाहर निकलता है, तो किडनी में मौजूद मिनरल्स और क्रिस्टल्स बहकर बाहर निकल जाते हैं, जिससे पथरी बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है या पहले से बनी पथरी टूटकर बाहर निकल सकती है।

मैग्नीशियम और बी-कॉम्प्लेक्स की भूमिका

जौ में मैग्नीशियम और विटामिन B-complex होते हैं, जो ऑक्सलेट और कैल्शियम के क्रिस्टल्स को आपस में चिपकने से रोकते हैं। ये क्रिस्टल्स ही बाद में पथरी का रूप लेते हैं, इसलिए इस प्रक्रिया को रोकना जरूरी होता है।

pH बैलेंस और यूरिन का क्षारीकरण (Alkalizing effect)

जौ का पानी मूत्र को थोड़ा अल्कलाइन (क्षारीय) बनाता है, जिससे यूरिक एसिड स्टोन और कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन घुलने लगते हैं। इससे स्टोन का आकार धीरे-धीरे घटता है और वह आसानी से बाहर निकल सकता है।

फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स

जौ घुलनशील फाइबर (soluble fiber) से भरपूर होता है जो शरीर में टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें मौजूद β-glucan और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स किडनी की सूजन को कम करते हैं और संक्रमण से रक्षा करते हैं।

डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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