
जानें, किन कारणों से होता है घुटनों का दर्द? बचाव के लिए क्या खाएं?
घुटनों का दर्द तब शुरू होता है, जब इस जोड़ की कार्टिलेज परत धीरे-धीरे पतली होने लगती है। ये हड्डियों को आपस में रगड़ खाने से बचाती है। इसके कमजोर होने से...
घुटनों का दर्द अब केवल उम्र से जुड़ी समस्या नहीं रह गई है। यह धीरे-धीरे देश की बड़ी आबादी को प्रभावित कर रहा है। अब तक यह माना जाता रहा कि पुरुषों में 50 के बाद और महिलाओं में 45 के बाद घुटनों में दर्द होना सामान्य है। क्योंकि इस उम्र तक आते-आते पुरुषों और महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है। लेकिन आज की सच्चाई यह है कि 30–35 की उम्र के युवा भी घुटनों में जकड़न, उठने-बैठने में दर्द और सीढ़ियां चढ़ते समय तकलीफ की शिकायत करने लगे हैं।
आखिर यह स्थिति क्यों बनी, इस बारे में जानें और आप इस दर्द का शिकार ना हों, इससे बचाव के लिए क्या करें,इस बारे में भी यहां बताया गया है। घुटनों में होने वाला यह बदलाव हमें संकेत देता है कि समस्या केवल बढ़ने से संबंधित नहीं है बल्कि जीवनशैली, पोषण और जैविक क्षरण से जुड़ी है...
घुटनों में दर्द आखिर शुरू कैसे होता है?
घुटना शरीर का सबसे अधिक भार सहने वाला जोड़ है। चलना, दौड़ना, बैठना, उठना जैसी हर गतिविधि का दबाव यहीं सबसे अधिक पड़ता है। घुटनों का दर्द तब शुरू होता है, जब इस जोड़ की कार्टिलेज परत धीरे-धीरे पतली होने लगती है। कार्टिलेज वह चिकनी परत होती है, जो हड्डियों को आपस में रगड़ खाने से बचाती है। जब यह परत कमजोर होती है तो हड्डियों के बीच घर्षण बढ़ता है और दर्द, सूजन व अकड़न महसूस होने लगती है।
उम्र के साथ क्यों बढ़ता है घुटनों दर्द?
उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कोलेजन और प्रोटियोग्लाइकेन का निर्माण कम होने लगता है। ये वही तत्व हैं जो कार्टिलेज को लचीला और मजबूत बनाए रखते हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी इस प्रक्रिया को और तेज कर देती है। इसीलिए महिलाओं में घुटनों का दर्द पुरुषों की तुलना में पहले शुरू हो जाता है।
घुटनों के दर्द के कारण
घुटनों में कार्टिलेज का पतला होना हो या फिर कोलेजन और प्रोटियोग्लाइकेन का कम बनना हो। इनके अतिरिक्त और कौन-से मुख्य कारण घुटनों के दर्द को बढ़ावा देते हैं, यहां जानें...
मोटापा है घुटनों का सबसे बड़ा दुश्मन। घुटनों पर शरीर के वजन का लगभग तीन से चार गुना दबाव पड़ता है। यानी अगर वजन 5 किलो बढ़ता है तो घुटनों पर 15–20 किलो अतिरिक्त भार पड़ता है। मोटापे के कारण केवल यांत्रिक दबाव ही नहीं बढ़ता बल्कि शरीर में सूजन पैदा करने वाले साइटोकिन्स भी बढ़ जाते हैं, जो जोड़ों की अंदरूनी संरचना को नुकसान पहुंचाते हैं। यही कारण है कि मोटापा और घुटनों का दर्द अक्सर साथ-साथ चलते हैं।
भोजन में पोषण की कमी भी घुटने के दर्द का बड़ा कारण है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। विशेष रूप से कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर होती हैं। विटामिन-D की कमी से कैल्शियम का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता। प्रोटीन की कमी से मांसपेशियां कमजोर होती हैं, जिससे जोड़ अस्थिर हो जाते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी सूजन को बढ़ाती है। जब घुटनों के आसपास की मांसपेशियां कमजोर होती हैं तो पूरा दबाव सीधे जोड़ पर पड़ने लगता है।
इसी दिशा में 2025 में SpringerOpen की जर्नल Journal of Orthopaedic Surgery and Research में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन ने यह स्पष्ट किया कि ओस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित मरीजों में विटामिन-D की कमी कितनी व्यापक है। शोध में शामिल लगभग 70 प्रतिशत मरीजों में विटामिन-D का स्तर सामान्य से कम पाया गया। अध्ययन में यह भी देखा गया कि जिन मरीजों में कमी अधिक थी, उनमें दर्द, सूजन और जकड़न के लक्षण ज्यादा गंभीर थे। शोधकर्ताओं ने संकेत दिया कि विटामिन-D की कमी जोड़ों में सूजन बढ़ाने वाले जैविक तंत्र को सक्रिय कर सकती है, जिससे दर्द तेज होता है।
गलत जीवनशैली कैसे बिगाड़ती है स्थिति?
लंबे समय तक बैठकर काम करना
घंटों गलत तरीके से खड़े होकर काम करना
व्यायाम की कमी
बैठने का गलत पॉश्चर
अचानक भारी एक्सरसाइज शुरू करना
अचानक बहुत अधिक स्क्वाट्स और सीढ़ियां चढ़ना
ये सभी बातें घुटनों पर माइक्रो-इंजरी पैदा करती हैं। ये चोटें तुरंत महसूस नहीं होतीं। लेकिन सालों में मिलकर दर्द की बड़ी वजह बन जाती हैं।
घुटनों के दर्द बचने के लिए क्या खाएं?
घुटनों की सेहत प्लेट से शुरू होती है। इन्हें स्वस्थ रखने के लिए आप कैल्शियम से भरपूर आहार जैसे, दूध, दही, पनीर, तिल, रागी और हरी पत्तेदार सब्जियां हड्डियों को मजबूती देती हैं।
विटामिन-D का सेवन करें। धूप इसका सबसे अच्छा स्रोत है। इसके अलावा अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड फूड मदद करते हैं।
शरीर में प्रोटीन की कमी ना होने दें। दालें, चना, राजमा, अंडा, दूध और सोया मांसपेशियों को मजबूत करते हैं, जिससे घुटनों को सहारा मिलता है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। अलसी, अखरोट और मछली सूजन को कम करने में मदद करते हैं। घुटनों के दर्द से जुड़े अधिकांश शोधों में यह बात सामने आती है कि एक स्पष्ट वैज्ञानिक संकेत मिलता है कि घुटनों का दर्द केवल उम्र या घिसाव की समस्या नहीं है। विटामिन-D, ओमेगा-3 फैटी एसिड, Curcumin और अन्य पोषण तत्व शरीर के भीतर चल रही सूजन और जैविक क्षरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। सही पोषण और समय पर हस्तक्षेप घुटनों के दर्द को न केवल कम कर सकता है, बल्कि उसकी गति को भी धीमा कर सकता है।
एंटी-ऑक्सीडेंट्स के प्राकृतिक सोर्स को दैनिक जीवन में शामिल करें। जैसे, फल, सब्जियां, हल्दी और आंवला जोड़ों की कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं। इसी संदर्भ में हल्दी से प्राप्त करक्यूमिन पर आधारित कई रैंडमाइज़्ड कंट्रोल्ड ट्रायल्स का समेकित वैज्ञानिक विश्लेषण पबमेड (PubMed) पर उपलब्ध है।
इन अध्ययनों में यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि करक्यूमिन के नियमित सेवन से घुटनों के दर्द में कमी आती है, जोड़ की कठोरता घटती है और WOMAC कार्यक्षमता स्कोर में उल्लेखनीय सुधार देखा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि करक्यूमिन की सूजन-रोधी और ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाने वाली विशेषताएं कार्टिलेज को होने वाले सूक्ष्म जैविक नुकसान की गति को धीमा करने में सहायक हो सकती हैं। यही कारण है कि हमारे देश में जब किसी को चोट लगती है तो दर्द कम करने के लिए हल्दी का उपयोग किया जाता है।
किन चीजों से बढ़ता है घुटनों का दर्द?
अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड खाने
मीठे पेय या कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स इत्यादि
ज्यादा नमक खाना
ट्रांस फैट कम करें (केक, पेस्ट्री, क्रीम बिस्किट, कुकीज़, वेफर्स और पैकेट वाले नमकीन) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और New England Journal of Medicine में प्रकाशित रिसर्च साफ कहती हैं कि ट्रांस फैट की कोई भी सुरक्षित मात्रा नहीं होती। यह LDL को बढ़ाता है, HDL को घटाता है और दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को सीधे बढ़ाता है।
ये सभी शरीर में सूजन बढ़ाकर जोड़ों के दर्द को और गंभीर बना सकते हैं। यह बात समझना बहुत आवश्यक है कि घुटनों का दर्द कोई अचानक आई समस्या नहीं होती। यह शरीर के भीतर वर्षों से चल रही जैविक थकान का परिणाम होता है। दर्द को केवल पेनकिलर से दबाना समाधान नहीं है। सही पोषण, संतुलित वजन, नियमित हल्की एक्सरसाइज और समय पर ध्यान देना ही घुटनों को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकता है। घुटनों का दर्द हमें यही संदेश देता है कि अब शरीर को अनदेखा करने की नहीं बल्कि समझने और संभालने की आश्यकता है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

