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कम उम्र में घुटने का दर्द आसान विधि से ठीक हो सकता है, बिना सर्जरी

दर्द अच्छा है! इसे दबाएं नहीं, इसके कारणों को दूर करने पर ध्यान दें

दर्द अच्छा है। क्योंकि ये हमें आगाह करता है कि हमारे शरीर के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है। दर्द सिर्फ एक अलार्म है, इसे दबाने का प्रयास नहीं करना चाहिए...


Knee Care Tips: अगर आप सोच रहे हैं कि घुटनों का दर्द सिर्फ बुजुर्गों का मसला है तो यह अब सच नहीं है। मात्र दो दशक पहले तक, ज्यादातर लोग घुटनों के दर्द की समस्या 60 की उम्र के आसपास अनुभव करते थे। लेकिन अब 40-42 साल की उम्र में भी लोग इस दर्द का शिकार हो रहे हैं। क्यों हो रहा है यह बदलाव? क्या हम इसे रोक सकते हैं? और क्या सच में कम उम्र में होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक किया जा सकता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर हमने जानें, आर्थोपैडिक सर्जन, डॉक्टर मनु गौतम से...


क्यों घट रहा है दर्द की उम्र?

आज के समय में, घुटनों में दर्द जल्दी होने के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है जीवनशैली का बदलाव और फिटनेस का नया ट्रेंड। पहले लोग हल्का-फुल्का काम करते थे लेकिन दैनिक जीवन में लंबी दूरी तक पैदल चलने या सीढ़ियाँ चढ़ने की आदत रहती थी। अब, जिम, ट्रेडमिल और स्पोर्ट्स एंथूज़ियास्टिक एक्टिविटी ने युवाओं में घुटनों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा दिया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रेडमिल पर लंबे समय तक तेज दौड़ना घुटनों के कार्टिलेज पर बार-बार प्रभाव डालता है। कार्टिलेज एक चिकनी परत होती है, जो घुटने के जोड़ को बिना घिसे चलने में मदद करती है। हार्ड सरफेस पर लगातार दौड़ना इस परत को धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त कर देता है और समय के साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है।


जिम और ओवरएक्टिविटी से घुटनों को खतरा

डॉक्टर मनु कहते हैं, जिम में हम अक्सर दूसरों को देखकर वज़न उठाने लगते हैं। वेटेड स्क्वाट्स, डेडलिफ्ट्स और तेज रनिंग, यदि अपनी क्षमता से ज्यादा की जाएं तो घुटने पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर आपका वजन 70 किलो है, तो सामान्य गतिविधियों में आपका घुटने पर लगभग 280 किलो फोर्स लगता है। अगर वजन बढ़ गया है, जैसे 100 किलो, तो यह बढ़कर 400 किलो तक पहुँच सकता है। ऐसे में ओबेसिटी भी सीधे तौर पर घुटनों के दर्द और जल्दी घिसने का कारण बन जाती है।


जीवनशैली और मांसपेशियों की कमजोरी

आजकल की जीवनशैली में लोग लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, जिससे थाई मसल्स कमजोर हो जाती हैं। घुटनों के जोड़ का स्थिर रहना और सही ढंग से काम करना इन मसल्स पर निर्भर करता है। कमजोर थाई मसल्स के कारण वजन सीधे घुटने पर आता है और धीरे-धीरे जोड़ घिसने लगता है। इसलिए नियमित थाई मसल्स स्ट्रेंथिंग और एक्सरसाइज बहुत जरूरी है।

कुछ सरल अभ्यास, जैसे कि पैर को सीधा करना, पंजों को खींचकर 5 सेकंड तक रखना और धीरे-धीरे वेट बढ़ाना, घुटनों को मजबूती प्रदान करते हैं। यह केवल उन लोगों के लिए नहीं है जिनके घुटनों में दर्द है, बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी उनके घुटनों की उम्र बढ़ाने का एक सुरक्षित तरीका है।

शुरुआती चेतावनी को समझें

घुटनों में हल्का दर्द या हल्की अकड़न को अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं। लेकिन डॉक्टर गौतम कहते हैं कि यह अर्ली साइन ऑफ ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है। शुरुआती स्तर पर इसे कॉनड्रोमलेसिया पटेला कहते हैं, जो कार्टिलेज की चिकनाई कम होने से होता है। इस चरण में दवाइयाँ, स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज और आर्थोस्कोपिक प्रोसीजर्स कार्टिलेज की स्थिति सुधार सकते हैं।

घुटनों की स्थिति गंभीर हो जाने पर, जैसे कि जोड़ में झुकाव, दर्द, सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने में परेशानी, तभी नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता होती है। लेकिन 40 साल की उम्र में, ज्यादातर मामलों में रिप्लेसमेंट की जरूरत नहीं पड़ती।


दवा, तेल और मिथक

जब हमने डॉक्टर गौतम से पूछा कि मार्केट में कई तरह के नी ऑयल और क्रीम्स उपलब्ध हैं, क्या ये वाकई घुटनों की हीलिंग में सहायक हैं? तो इस पर इनका कहना है कि ये केवल मांसपेशियों की सूजन कम करते हैं और दर्द से अस्थायी आराम देते हैं। लेकिन ये कार्टिलेज को ठीक नहीं कर सकते। इसलिए केवल बाहरी मालिश पर भरोसा करना सही नहीं। सही समय पर सही चिकित्सकीय सलाह और एक्सरसाइज जरूरी है।


पोषण और हड्डियों की मजबूती

डॉक्टर मनु बताते हैं कि घुटनों और हड्डियों को मजबूत रखने के लिए पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका है। कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन और मिनरल्स से भरपूर आहार लेने से हड्डियाँ मजबूत रहती हैं। डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर, और बादाम, साथ ही प्रोटीन सप्लीमेंट्स, यदि आप वेजिटेरियन हैं, हड्डियों और मांसपेशियों को सही पोषण देते हैं।

विशेष रूप से वृद्धावस्था में, कैल्शियम और विटामिन डी की जरूरत बढ़ जाती है क्योंकि बोन टर्नओवर धीमा हो जाता है। भारत में महिलाओं में 60+ उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस काफी आम है। इसलिए बच्चों, युवा और बुजुर्ग सभी के लिए संतुलित पोषण आवश्यक है।


व्यायाम और जीवनशैली

डॉक्टर मनु ने एक्सर्साइज और डेली लाइफस्टाइल को लेकर कुछ खास तरह के लेकिन आसान सुझाव दिए। इन बातों का ध्यान रखकर घुटनों को ताउम्र स्वस्थ और दर्द रहित रखने में सहायता मिलेगी...


ट्रेडमिल पर तेज दौड़ने के बजाय ब्रिस्क वॉक करें।

लंबी अवधि तक बैठने से बचें। हर 1-2 घंटे में उठकर हल्की स्ट्रेचिंग करें।

नियमित स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, खासकर थाई और हैमस्ट्रिंग मसल्स, घुटनों को सहारा देती हैं।

सीढ़ियाँ चढ़ना कार्डियो के लिए अच्छा है। लेकिन घुटनों के लिए काफी जोखिमपूर्ण है अगर आपके घुटनों और जांघ की मांसपेशियां मजबूत ना हों।

अगर आपकी मसल्स मजबूत हों तभी सीढ़ियों का अधिक उपयोग लाभकारी रहता है।



कब डॉक्टर से मिलें?

यदि हल्का दर्द लगातार बना रहे या हफ्तों बाद भी राहत न मिले तो इसे अनदेखा न करें। शुरुआती चरण में सही निदान और एक्सरसाइज से घुटनों से जुड़ी समस्या ठीक की जा सकती है और गंभीर सर्जरी से बचा जा सकता है।

याद रखें कि आज की युवा पीढ़ी में घुटनों का दर्द कम उम्र में शुरू होने के कई कारण हैं और ये सभी जीवनशैली, जिम और फिटनेस के गलत तरीकों, वजन बढ़ना और मांसपेशियों की कमजोरी से जुड़े हैं। लेकिन सही पोषण, नियमित स्ट्रेंथिंग और समय पर चिकित्सकीय सलाह से इसे काफी हद तक रोका और ठीक किया जा सकता है।

दर्द अच्छा है। क्योंकि ये हमें आगाह करता है कि हमारे शरीर के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है। दर्द सिर्फ एक अलार्म है, इसे दबाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। बल्कि सही समय पर सही कदम उठाकर इस दर्द के कारणों को दूर करना चाहिए। अपनी मांसपेशियों को मजबूत करें, वजन नियंत्रित रखें और संतुलित पोषण लें। केवल इस तरह ही आप अपने घुटनों को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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