
पहचानें इस साइलेंट किलर को, ये है लिवर कैंसर की असली वजह
इन वायरसों की सबसे खतरनाक बात ये है कि ये सालों तक बिना किसी लक्षण के शरीर में एक्टिव रहते हैं और जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक लिवर डैमेज हो जाता है...
Liver Cancer Causes: क्या आपको लगता है कि सिर्फ शराब या जंक फूड ही लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं? अगर आपका जवाब "हां" है, तो ज़रा रुकिए! क्योंकि हैपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरस भी चुपचाप आपके लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इतना नुकसान कि ये लिवर को कैंसर की चपेट में भी ले आते हैं।
हैपेटाइटिस और लिवर कैंसर के बीच का ये गहरा और खतरनाक रिश्ता अक्सर हमारी नज़रों से छिपा रह जाता है। क्योंकि इसके लक्षण इतने साइलेंट होते हैं कि पता ही नहीं चल पाता।
लिवर कैंसर का असली कारण क्या है?
लिवर कैंसर दुनिया के सबसे जानलेवा कैंसरों में गिना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है हैपेटाइटिस बी (HBV) और हैपेटाइटिस सी (HCV)।
कैसे फैलता है लिवर कैंसर?
हैपेटाइटिस बी (HBV) और हैपेटाइटिस सी (HCV) ये वायरस धीरे-धीरे लिवर को अंदर से खराब करते हैं। कोई दर्द नहीं, कोई दिखने वाला लक्षण नहीं। यानी ये कोई शोर नहीं करते और जब तक आप कुछ समझें, लिवर डैमेज सिरोसिस में बदल चुका होता है और फिर कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
हैपेटाइटिस: लिवर का साइलेंट किलर
हैपेटाइटिस वायरसों की सबसे खतरनाक बात ये है कि ये सालों तक बिना किसी लक्षण के शरीर में एक्टिव रहते हैं और जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक लिवर को बहुत नुकसान हो चुका होता है।
लिवर कोशिकाएं लगातार टूटती और जुड़ती रहती हैं। इस रिपेयर प्रक्रिया में धीरे-धीरे स्कार टिशू बनता है, जिससे सिरोसिस होता है। और यहीं से कैंसर का रास्ता खुलता है।
लेकिन कैसे पहचानें कि खतरा सिर पर है?
अब सवाल ये उठता है कि हमें पता कैसे चलेगा कि लिवर खतरे में है? तो दोस्तों, ये रहे कुछ लक्षण जिनसे आपको सतर्क हो जाना चाहिए। खासकर उस स्थिति में अगर आपको हैपेटाइटिस हो चुका है...
आंखों और त्वचा में पीलापन (पीलिया)
थकावट जो जाती ही नहीं
बिना वजह वज़न कम होना
पेट में दर्द या सूजन
मितली या उल्टी
भूख न लगना
अगर इनमें से कुछ लक्षण दिखें तो इसे मामूली न समझें। डॉक्टर से मिलें, जांच कराएं। ताकि समय रहते यह पता चल सके कि कहीं आप लिवर कैंसर की जानलेवा बीमारी की तरफ तो नहीं बढ़ रहे हैं।
हैपेटाइटिस से कैसे बचें?
अच्छी खबर ये है कि आप हैपेटाइटिस से बच सकते हैं!और बचाव हमेशा ही इलाज से बेहतर होता है। हैपेटाइटिस बी का टीका मौजूद है। ये टीका बच्चों को, हेल्थ वर्कर्स को और संक्रमण के खतरे में रहने वालों को ज़रूर लगवाना चाहिए। हैपेटाइटिस-सी के लिए भले ही वैक्सीन न हो लेकिन अगर जल्दी पकड़ में आ जाए तो इसका इलाज मुमकिन है।
साथ ही लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी चेंज करें ताकि सेहत को सुनिश्चित किया जा सके...
शराब से दूरी बनाएं
अपना वज़न हेल्दी रखें
दवाइयों का सेवन सोच-समझ कर करें
लिवर फंक्शन की रेगुलर जांच करवाते रहें
अगर आपको पहले से हैपेटाइटिस है तो क्या करें?
ऐसे में आपको लिवर कैंसर से बचने के लिए और भी सतर्क रहना होगा। इसके लिए आप डॉक्टर से हर 6 महीने में अल्ट्रासाउंड और एएफपी टेस्ट (alpha-fetoprotein) की सलाह देते हैं ताकि कैंसर अगर हो भी तो समय पर पकड़ में आ जाए। साथ ही, एंटीवायरल थेरेपी से वायरस का असर कम किया जा सकता है और लिवर को लंबी उम्र मिल सकती है।
हैपेटाइटिस और लिवर कैंसर का रिश्ता गहरा तो है पर अटल नहीं है। यानी आप सतर्क रहकर हैपेटाइटिस के साथ ही लिवर कैंसर से भी बच सकते हैं। अगर आप समय रहते सचेत हो जाएं तो लाइफटाइम आपका लिवर भी हेल्दी रहेगा और बीमारियां भी दूर रहेंगी।
आप समय रहते जरूरी टीकाकरण और जांच कराएं। साथ ही सही जीवनशैली, यही हैं आपके लिवर की सबसे मजबूत सुरक्षा दीवार। तो इस वर्ल्ड लिवर डे पर अपने और अपने परिवार के लिवर का खयाल रखने का वादा कीजिए। क्योंकि स्वस्थ लिवर का मतलब है स्वस्थ जीवन!
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।