
इन लक्षणों के साथ जानलेवा साबित होता है 'लो ब्लड प्रेशर', ऐसे समझें
ब्लड प्रेशर बढ़ने की ही तरह ब्लड प्रेशर का लो होना भी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। जब बीपी लंबे समय तक कम बना रहे तो लाइफ थ्रेटनिंग स्थिति बना सकता है...
Dangers of low BP: क्या आपको भी अक्सर चक्कर आते हैं, सिर हल्का महसूस होता है या थकावट अचानक हावी हो जाती है? अगर हाँ, तो ये सिर्फ थकान नहीं बल्कि आपके ब्लड प्रेशर के कम होने का संकेत हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के खतरे हम सभी जानते हैं। लेकिन लो ब्लड प्रेशर यानी हाइपोटेंशन उतना ही खतरनाक हो सकता है, खासकर जब यह लगातार बना रहे।
क्या होता है लो ब्लड प्रेशर?
जब हम बीपी की बात करते हैं तो दिमाग में सबसे पहले हाई ब्लड प्रेशर की छवि आती है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से जोड़ा जाता है। भारत में प्रकाशित ICMR-NCDIR (Indian Council of Medical Research – National Centre for Disease Informatics and Research) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 28.1% वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, जिनमें शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 32.6% तक जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्लड प्रेशर अगर 90/60 mmHg से नीचे बना रहे तो यह हाइपोटेंशन कहलाता है और यह स्थिति शरीर के कई सिस्टम्स को धीमा या फेल तक कर सकती है?
ब्लड प्रेशर के सामान्य स्तर (120/80 mmHg) से कम BP यानी लो ब्लड प्रेशर का मतलब है कि शरीर के अंगों को उतना ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पा रहा जितना जरूरी है। Journal of the American College of Cardiology में प्रकाशित एक स्टडी बताती है कि जिन मरीजों का सिस्टोलिक BP लगातार 90 mmHg से कम रहता है, उनकी मृत्यु दर सामान्य BP वालों से ज्यादा पाई गई। इसका सीधा कारण है, शरीर के अंगों तक कम रक्त संचार, जिससे खासतौर पर दिमाग और हृदय सबसे पहले प्रभावित होते हैं।
लो बीपी का पहला असर
लो बीपी का सबसे पहला प्रभाव दिमाग पर पड़ता है। जब ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती तो मरीज को चक्कर, धुंधली दृष्टि या कभी-कभी ब्लैकआउट जैसी स्थिति हो सकती है। Harvard Health Publishing के अनुसार, ब्रेन सेल्स को लगातार ऑक्सीजन की जरूरत होती है और कुछ मिनटों की कमी से भी स्थायी क्षति हो सकती है।
इसके अलावा, लगातार कम बीपी से दिल को खून पंप करने में दिक्कत होती है, जिससे हार्ट फेलियर जैसी स्थिति भी आ सकती है। एक जानी-मानी मेडिकल रिसर्च जर्नल The Lancet में छपी रिपोर्ट के अनुसार, क्रोनिक हाइपोटेंशन वाले मरीजों में कार्डियक अरेस्ट का जोखिम तकरीबन 30% ज्यादा देखा गया है।
अब बात करें किडनी की तो American Society of Nephrology के अनुसार, किडनी को शरीर की फिल्टर मशीन कहा जाता है, जिसे सतत रक्त प्रवाह की आवश्यकता होती है। अगर ब्लड फ्लो कम हो जाए, तो किडनी फिल्ट्रेशन रेट गिरने लगता है, जिससे किडनी फेल होने का जोखिम बढ़ जाता है।
बच्चों में आ सकती है विकृति
गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है। World Health Organization (WHO) की एक रिपोर्ट कहती है कि लो ब्लड प्रेशर की वजह से भ्रूण तक ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होती है, जिससे गर्भपात, समयपूर्व प्रसव या शारीरिक विकृति की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए यह सोचना कि कम बीपी सुरक्षित होता है, पूरी तरह से गलतफहमी है। अगर लगातार थकान, चक्कर, ठंडे हाथ-पैर, ध्यान में कमी जैसी समस्याएं बनी रहती हैं तो एक बार अपना बीपी चेक ज़रूर कराएं।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह करें।