पैकेट बंद चीनी और नमक चाय व स्वाद में घोल रहे हैं कैंसर कारक प्लास्टिक
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पैकेट बंद चीनी और नमक चाय व स्वाद में घोल रहे हैं कैंसर कारक प्लास्टिक

थिंक टैंक टॉक्सिक्स लिंक ने दावा किया है कि उसने ऑनलाइन और ऑफ लाइन बिकने वाले ब्रांडेड चीनी और नमक एक नमूने लिए, जिनकी जांच में माइक्रो प्लास्टिक पाया गया है


Plastic in Salt and Sugar: चाय की मिठास और खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले नमक ( आयोडीन नमक पैकेट वाले ) और चीनी ( पैकेट बंद ) में प्लास्टिक पाया गया है. दावा है कि देश में बिकने वाले अधिकतर ब्रांडेड चीनी और नमक में माइक्रोप्लास्टिक मिली हुई है, जो हमारे शरीर में भी रोज घुल रहे हैं. जिसकी वजह से कैंसर जैसा जानलेवा रोग आसानी से हो सकता है. इतना ही नहीं आर्गेनिक चीनी भी इस प्लास्टिक से अछूती नहीं रही, हालाँकि इस चीनी में औरों के मुकाबले प्लास्टिक की मात्रा बेहद कम थी.

ये खुलासा एक स्टडी में किया गया है. ये स्टडी पैकेट बंद चीनी और आयोडीन युक्त पैकेट बंद नमक पर की गयी है. स्टडी करने वाली एजेंसी टॉक्सिक लिंक्स ने ये भी कहा है कि ब्रांडेड चीनी और नमक के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है, जो चिंता का विषय है क्योंकि लोग ब्रांड वाली चीज के लिए सिर्फ इसलिए ज्यादा कीमत चुकाते हैं कि उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो.
बाज़ार में अलग अलग ब्रांड के नमक और चीनी धडल्ले से बिक रहे हैं. कोई उनके सल्फर फ्री होने का दावा करता है तो कोई आयोडीन और बीपी कंट्रोल करने का. इसी शुद्धता और सेहत के लिए फायदेमंद होने के नाम पर ये बड़ी और नामी कंपनियां लोगों की जेब से ज्यादा रकम भी निकालती हैं, लेकिन थिंक टैंक टॉक्सिक्स लिंक (Toxics Link) की रिपोर्ट ने अब इस बात पर सोचने को मजबूर कर दिया है कि ब्रांडेड और महंगी वस्तुओं पर विश्वास किया जा सकता है या नहीं?
टॉक्सिक्स लिंक ने मंगलवार को एक स्टडी की रिपोर्ट जारी करते हुए दावा किया कि भारतीय बाजार में बिक रहे लगभग सभी ब्रांड के नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी है.

आयोडीन नमक में सबसे ज्यादा प्लास्टिक
रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता इस बात को लेकर जताई गयी है कि आयोडाइज्ड नमक में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा सबसे अधिक है. ये प्लास्टिक बहुरंगी पतले रेशों और झिल्ली के रूप में मौजूद है.

अलग अलग नमक और चीनी का चेक किया गया सैंपल
टॉक्सिक्स लिंक के अनुसार इस स्टडी के लिए टेबल नमक, सेंधा नमक, समुद्री नमक और कच्चा नमक सहित आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली नमक की 10 किस्मों और 5 तरह की चीनी के नमूनों को ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदा गया. इनमें नमक के दो और चीनी के एक सैंपल को छोड़कर बाकी सभी ब्रैंडेड थे. इन सैंपलों में 0.1 एमएम से 5 एमएम साइज तक का माइक्रोप्लास्टिक मिला, जो चिंताजनक है.

अलग अलग रंग की है प्लास्टिक
रिपोर्ट जारी करने वाली एजेंसी टॉक्सिक्स लिंक के फाउंडर डायरेक्टर रवि अग्रवाल और असोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा के अनुसार नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की पर्याप्त मात्रा में मिलना बेहद चिंताजनक है. नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति रेशों, छर्रों, पतली झिल्ली और टुकड़ों के रूप में पायी गयी है. ये प्लास्टिक आठ रंगों की थी. इन रंगों में ट्रांसपेरेंट, सफेद, नीला, लाल, काला, बैंगनी, हरा और पीला शामिल हैं.

प्लास्टिक युक्त चीनी और नमक शारीर में घोल सकते हैं कैंसर
एजेंसी के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक है. माइक्रोप्लास्टिक हानिकारक केमिकल छोड़ती हैं, जो इंसानों में प्रजनन संबंधी विकार और कैंसर आदि का कारण बनते हैं. ये प्लास्टिक के कण खाने, पानी और हवा से शरीर के अंदर पहुंचते हैं. माइक्रोप्लास्टिक की वजह से फेफड़ों में सूजन और कैंसर, हार्ट अटैक, मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और बांझपन आदि का खतरा बढ़ता है.

भारत में खाया जाता है ज्यादा नमक और चीनी
अलग अलग स्टडी रिपोर्ट बताती हैं कि भारत के लोग तय मानक से बहुत ज्यादा नमक और चीनी का सेवन करते हैं. विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार भारतीय एक दिन में लगभग 10.98 ग्राम नमक और करीब 10 चम्मच चीनी खा लेता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) के मानकों से बहुत ज्यादा है. यही वजह है कि आज के समय में भारतीयों को तरह-तरह की बीमारियां घेर रही हैं.


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