
बढ़ते मोटापे से चिंता में सरकार! मोदी के बाद सिंह ने दिखाई सक्रियता
कुल मिलाकर मोदी सरकार के मंत्री का संदेश स्पष्ट है कि मोटापा केवल व्यक्तिगत अनुशासन का विषय नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य चुनौती है। इससे निपटने के लिए...
मोटापा देश में किसी महामारी की तरह बढ़ रहा है। इस विषय पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने एशिया–ओशिनिया ओबेसिटी कॉन्फ्रेंस (Asia Oceania Conference on Obesity (AOCO) के उद्घाटन सत्र में कहा कि मोटापा एक साधारण जीवनशैली समस्या नहीं है बल्कि यह एक जटिल, दीर्घकालिक और बार-बार होने वाला विकार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मोटापे को केवल कॉस्मेटिक या लाइफस्टाइल से जुड़ा मानकर हल नहीं किया जा सकता। इसके लिए समाज के हर स्तर की भागीदारी आवश्यक है, जिसे उन्होंने whole-of-society approach कहा अर्थात समाज के हर वर्ग को साथ लेकर अपनाया गया उपाय।
मोटापे से जुड़ी चिंताएं और गंभीर बीमारियां
डॉ. सिंह ने कहते हैं कि भारत में मोटापा Non-Communicable Diseases (NCDs) जैसे टाइप-2 डायबिटीज़, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर से सीधे जुड़ा हुआ है। ये बीमारियां देश में लगभग 63 प्रतिशत मौतों की वजह बन रही हैं। उन्होंने विशेष रूप से पेट के अंदरूनी अंगों के चारों ओर जमा खतरनाक चर्बी (central (visceral) obesity) की ओर ध्यान दिलाया, जो भारतीय आबादी में अधिक देखने को मिलती है और स्वास्थ्य के लिए स्वतंत्र जोखिम पैदा करती है।
दवाओं से जुड़ी सतर्कता पर ध्यान
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वजन घटाने और मोटापा नियंत्रित करने वाली दवाओं का उपयोग बहुत जिम्मेदारी से (judiciously) किया जाना चाहिए। मोटापा एक जटिल विकार है और केवल दवाओं पर निर्भर रहना हर स्थिति में समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने अवैज्ञानिक प्रचार, त्वरित समाधान के दावों और गलत विज्ञापनों के खिलाफ चेतावनी दी, जो लोगों को भ्रमित करते हैं और प्रमाण-आधारित चिकित्सा से दूर ले जाते हैं।
समाज और नीति स्तर पर साझा जिम्मेदारी
डॉ. सिंह ने जोर दिया कि मोटापे से निपटने का दायित्व केवल डॉक्टर्स,चिकित्सकों या वैज्ञानिकों का नहीं हो सकता। यह समस्या सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय कारकों से भी गहराई से जुड़ी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छोटे लेकिन स्थायी आहार और जीवनशैली संबंधी बदलावों पर दिए गए संदेश का उल्लेख किया, जो फिट इंडिया (FIT India) और खेलो इंडिया (Khelo India) जैसे निवारक स्वास्थ्य अभियानों से मेल खाते हैं।
युवाओं की जागरूकता आवश्यक
मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोटापे से जुड़ी जानकारी और जागरूकता केवल विशेषज्ञ सम्मेलनों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसे सामान्य जनता, खासकर युवा पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है। हमें सिर्फ उन लोगों से बात नहीं करनी चाहिए जो इस विषय में पहले से जानते हैं बल्कि उन लोगों तक भी पहुंचना चाहिए, जिन्हें यह अहसास ही नहीं है कि वे जोखिम में हैं। उनके अनुसार, भारत के युवाओं का स्वास्थ्य सुरक्षित रखना देश के 2047 के विकास लक्ष्यों के लिए निर्णायक है।
मोटापे पर वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि 2050 तक 44 करोड़ से अधिक लोग ओवरवेट या मोटापे की श्रेणी में आ सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जीवनशैली में बदलाव, संतुलित पोषण, नियमित शारीरिक गतिविधि और तनाव नियंत्रण से मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
कुल मिलाकर मोदी सरकार के मंत्री का संदेश स्पष्ट है कि मोटापा केवल व्यक्तिगत अनुशासन का विषय नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य चुनौती है। इससे निपटने के लिए समाज के हर स्तर पर जागरूकता, जिम्मेदार दवा उपयोग, प्रमाण-आधारित चिकित्सा और दीर्घकालिक जीवनशैली बदलाव अनिवार्य हैं। वैज्ञानिक और सरकारी दोनों स्तरों पर उपलब्ध आंकड़े यही बताते हैं कि मोटापे को हल्के में लेना भविष्य में भारी स्वास्थ्य बोझ में बदल सकता है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

