Alcohol Pancreatic Cancer WHO report Alcohol Consumption Cancer Risk
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WHO ने दिया इस मासूम सवाल का जवाब

थोड़ी-सी शराब पीने वालों पर WHO की नई रिसर्च, मिले चौंकाने वाले रिजल्ट

जाम छलकाने वाले अक्सर ये कहते हैं कि थोड़ी-सी पी लेने से क्या होता है! कुछ ऑकेज़नल ड्रिंकर्स कहते हैं कि 1 पैग तो दवाई की तरह है, नुकसान नहीं देता!


WHO Report Alcohol Consumption And Cancer Risk: "थोड़ी-सी शराब से क्या होता है?" यही सवाल कई लोग रोज़ खुद से पूछते हैं। तो कुछ कभी-कभी खुद से ये सवाल करते हुए अपने आपको ड्रिंक लेने के लिए मोटिवेट कर रहे होते हैं! खासकर पार्टी या वीकेंड के नाम पर कुछ ड्रिंक्स उठाते हुए। लेकिन अब WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की ताज़ा स्टडी ने इस मासूम-से लगने वाले सवाल के पीछे छिपे गंभीर खतरे को उजागर कर दिया है। तो जान लीजिए कि थोड़ी-सी पी लेने से क्या-क्या होता है...

यह शोध बताता है कि शराब न केवल लिवर बल्कि अब पैंक्रियाज (अग्न्याशय) जैसे संवेदनशील और अहम अंग को भी प्रभावित कर रही है और यह असर धीमा लेकिन घातक है। क्योंकि इससे पैन्क्रियाज कैंसर का खतरा लगातार बढ़ रहा है। चिंता की बात यह है कि इस कैंसर के बारे में बहुत देर से पता चलता है!

शोध कितना बड़ा था?

ये रिसर्च कोई सामान्य सर्वे नहीं था। बल्कि IARC जो WHO का इंटरनेशनल कैंसर रिसर्च एजेंसी है, इसने एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और नॉर्थ अमेरिका के करीब 25 लाख लोगों के डेटा को खंगाला। यानी जितनी बड़ी आबादी, उतनी ही मजबूत वैज्ञानिक सच्चाई।

शोध के मुताबिक, चाहे आप महिला हों या पुरुष, स्मोकिंग करते हों या नहीं। लेकिन अगर आप नियमित रूप से शराब पीते हैं तो आपका अग्न्याशय यानी पैन्क्रियाज गंभीर खतरे में हो सकता है।

रिसर्च की बड़ी बातें

हर 10 ग्राम शराब के नियमित सेवन से पैंक्रियाज कैंसर का खतरा 3% तक बढ़ जाता है।

महिलाओं में 15-30 ग्राम (1-2 पैग) शराब के सेवन से खतरा 12% तक बढ़ता है।

पुरुषों में 30-60 ग्राम पीने से खतरा 15%, और 60 ग्राम से अधिक पीने पर ये खतरा 36% तक पहुंच जाता है।


क्यों है पैंक्रियाज कैंसर इतना जानलेवा?

यह आंकड़े केवल नंबर नहीं हैं, यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य अलार्म है। पैंक्रियाज शरीर का वो अंग है, जो पाचन एंजाइम और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाता है। लेकिन इसका कैंसर बेहद चुपचाप और देर से पहचान में आता है। और जब तक इसका पता चलता है, तब तक स्थिति बहुत बिगड़ चुकी होती है। इसीलिए, इस बीमारी से जूझ रहे अधिकतर मरीजों की मृत्यु कुछ ही महीनों में हो जाती है।

क्या स्मोकिंग खतरे को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है?

शायद आप सोचें कि ये असर केवल उन पर है, जो तंबाकू भी लेते हैं। लेकिन IARC के वरिष्ठ वैज्ञानिक Pietro Ferrari के अनुसार, यह खतरा उन लोगों में भी उतना ही है, जो कभी स्मोकिंग नहीं करते। मतलब साफ है कि शराब खुद एक स्वतंत्र कैंसर कारक (carcinogen) है।

शराब का असर सिर्फ शरीर पर नहीं, समाज पर भी

जब हम कभी-कभार शराब पीने को (occasionally drinking) सामान्य मानने लगते हैं। तो असल में हम एक स्थायी खतरे को सामान्यीकृत कर रहे होते हैं। यानी उसे नॉर्मेलाइज करने का प्रयास कर रहे होते हैं। यह रिसर्च केवल एक मेडिकल डेटा नहीं है। बल्कि यह नीति-निर्माताओं, डॉक्टरों और आम जनता के लिए एक कॉल-टू-एक्शन है। क्योंकि शराब से केवल शरीर खराब नहीं होता बल्कि समाज, रिश्ते और लाखों-करोड़ों बच्चों का भविष्य भी खराब होता है।

पैंक्रियाज कैंसर: एक बढ़ती वैश्विक चुनौती

पैन्क्रियाज कैंसर दुनिया का 12वां सबसे सामान्य कैंसर है। लेकिन इससे होने वाली मौतें कुल कैंसर मौतों का 5% हैं। साल 2022 में यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ईस्ट एशिया में इसके केस दूसरे क्षेत्रों से 5 गुना अधिक थे। यह दर्शाता है कि विकसित देशों में सुविधाएं होते हुए भी शराब की आदत ने एक नया खतरा खड़ा कर दिया है। आज ये आंकड़े दूसरों के लग सकते हैं। लेकिन अगर शराब का ग्लास धीरे-धीरे आपके पैंक्रियाज को खामोशी से तबाह कर रहा है तो कल ये खबर आपके परिवार की भी हो सकती है।

डिसक्लेमर- यह आर्टिकल मात्र जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है।

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