
जिन महिलाओं को होती है PCOS की समस्या, उनके व्यवहार में होता है बदलाव!
हालही दिल्ली में हुई रिसर्च में सामने आया कि कॉलेज गोइंग 17 प्रतिशत लड़कियों को PCOS हैं। ये समस्या केवल रिप्रोडक्टिव हेल्थ ही नहीं, बिहेव पर भी असर डालती है...
PCOS Hormonal Imbalance: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) केवल हार्मोनल असंतुलन या प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की संज्ञानात्मक क्षमताओं (Cognitive Abilities) को भी प्रभावित कर सकता है। हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि PCOS से पीड़ित महिलाओं में अलर्टनेस की कमी और प्रतिक्रिया देने में अधिक समय लगने की समस्या देखी गई है।
PCOS और मस्तिष्क की सक्रियता का संबंध
यह अध्ययन इस दिशा में किया गया है कि किस प्रकार हार्मोनल परिवर्तन, विशेषकर एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन का अधिक स्त्राव) और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी स्थितियां मस्तिष्क के कार्य पर असर डालती हैं। PCOS से जूझ रही महिलाओं में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी, रिएक्शन टाइम में बढ़ोतरी और निर्णय लेने में धीमापन देखा गया।
इस शोध में पाया गया कि PCOS न केवल थकावट, अनियमित पीरियड्स, मुंहासे या वजन बढ़ने जैसी शारीरिक समस्याएं लाता है, बल्कि यह मस्तिष्क की न्यूरोलॉजिकल फंक्शन्स को भी प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से हाइपरएंड्रोजेनेमिया (अधिक एंड्रोजन) और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन जैसी स्थितियां न्यूरोट्रांसमिशन और ब्रेन कनेक्टिविटी में रुकावट पैदा कर सकती हैं।
अध्ययन का आधार
यह स्टडी Frontiers in Behavioral Neuroscience और Journal of Clinical Endocrinology & Metabolism जैसी पीयर-रिव्यूड मेडिकल जर्नल्स में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं ने पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के रिएक्शन टाइम, अलर्टनेस स्कोर और ब्रेन इमेजिंग के जरिए उनके संज्ञानात्मक कार्यों का मूल्यांकन किया।
शोध में देखा गया कि पीसीओएस ग्रस्त महिलाएं सामान्य महिलाओं की तुलना में 12–15% अधिक समय लेती हैं किसी भी टास्क पर प्रतिक्रिया देने में। इसके साथ ही, उनकी स्मृति शक्ति और निर्णय क्षमता में भी हल्की गिरावट देखी गई।
क्यों होता है ऐसा?
शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसुलिन रेजिस्टेंस और हार्मोनल असंतुलन मस्तिष्क में न्यूरो-इन्फ्लेमेशन बढ़ाते हैं, जो ब्रेन की कार्यप्रणाली को बाधित कर सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस से ग्रस्त महिलाएं अक्सर अवसाद, चिंता और नींद की समस्याओं से भी ग्रस्त होती हैं, जो संज्ञानात्मक क्षमताओं पर और अधिक प्रभाव डालते हैं।
समाधान क्या हो सकता है?
जीवनशैली (Lifestyle) में सुधार: हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद PCOS से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं या कंट्रोल कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान: स्ट्रेस मैनेजमेंट, काउंसलिंग और मेडिटेशन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार किया जा सकता है।
एक्सपर्ट्स की मानें: सही समय पर PCOS की डायग्नोसिस और हार्मोनल बैलेंसिंग के लिए दवाओं का प्रयोग आवश्यक है।
PCOS अब केवल एक प्रजनन विकार नहीं रह गया है। यह महिलाओं के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सिंड्रोम बन गया है। यह अध्ययन इस दिशा में नई सोच लाता है कि कैसे हम पीसीओएस के असर को केवल शरीर तक सीमित न मानकर दिमागी स्वास्थ्य से भी जोड़कर देखें। इसलिए यदि कोई महिला पीसीओएस से पीड़ित है और उसे थकान, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या धीमी प्रतिक्रिया का अनुभव हो रहा है तो यह संकेत हो सकता है कि समय रहते चिकित्सा सहायता ली जाए। ताकि बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके।
डिसक्लेमर- यहा आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।