
PCOS में हर समय फूला रहता है पेट, क्या दवाइयां ब्लोटिंग बढ़ा रही हैं?
अंडाशय से जुड़ा ये विकार, महिलाओं को कब्ज का मरीज बना देता है! PCOS Belly में हर समय फूला रहता है पेट। जानें इसका उपचार और क्या दवाइयां ब्लोटिंग बढ़ा रही हैं...
PCOS and Digestive Problems: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को केवल पीरियड्स संबंधी समस्याओं (Menstrual Issues) और गर्भधारण में होने वाली दिक्कतों (Infertility) से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। बल्कि पाचनतंत्र पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। पीसीओएस एक जटिल हार्मोनल विकार है, जो शरीर के कई तंत्रों को प्रभावित करती है, इस कारण ब्लोटिंग, मोटापे और कब्ज जैसी समस्याओं का कारण बन जाती है।
एक-दो नहीं PCOS के हैं अनेक लक्षण
PCOS सिर्फ प्रजनन तंत्र (reproductive system) को ही नहीं बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। यही वजह है कि PCOS के लक्षण इतने विविध होते हैं कि आम महिलाओं को इनके बारे में बहुत कम जानकारी होती है। इसके सबसे सामान्य लक्षणों में मुख्य रूप से ये लक्षण शामिल हैं...
अनियमित पीरियड्स
चेहरे पर ज़रूरत से ज्यादा बाल उगना
पिंपल्स
थकान
मूड स्विंग्स
गर्भधारण में समस्या (infertility)
वजन बढ़ना
नींद की समस्या
लेकिन पाचन तंत्र (digestive system) से जुड़ी दिक्कतों को लेकर अधिकांश महिलाएं नहीं जानती हैं कि इनके शरीर में ये परेशानी पीसीओएस के कारण भी हो सकती है। इस आर्टिकल में हम इसी पर फोकस करेंगे। यानी ओवरी सिस्ट्स के दौरान किस प्रकार के पाचन संबंधी विकार (डाइजेस्टिव इश्यूज़) और शरीर में सूजन या भारीपन यानी ब्लोटिंग (Bloating)की समस्याएं, कैसे शरीर पर प्रभाव डालती हैं...
ब्लोटिंग की समस्या
PCOS में ब्लोटिंग इतनी कॉमन है कि इसे “PCOS Belly” भी कहा जाता है। इसमें हार्मोनल असंतुलन के कारण पेट में फैट ज्यादा जमा होता है और पेट हमेशा फूला हुआ लगता है, जो आपको असहज करता है और अनफिट भी दिखाता है। इससे आत्मविश्वास पर असर पड़ता है और इससे शरीर में असहजता (discomfort) अधिक बढ़ जाती है।
हालांकि अच्छी बात यह है कि ब्लोटिंग और पाचन संबंधी समस्याओं को सही जीवनशैली अपनाकर प्राकृतिक रूप से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। और आवश्यकता होने पर डॉक्टर के परामर्श से दवाओं का सेवन भी किया जा सकता है।
ब्लोटिंग क्या है?
ब्लोटिंग का मतलब है पेट का फूला हुआ और भारी लगना, जो आमतौर पर गैस या पाचन संबंधी दिक्कतों के कारण होता है। कई महिलाएं अपने मासिक धर्म (menstrual cycle) के दौरान इसका अनुभव करती हैं। हालांकि PCOS की समस्या झेलने वाली महिलाओं में यह लगभग हर समय बना रह सकती है।
PCOS में ब्लोटिंग क्यों होती है?
PCOS मूल रूप से हार्मोन्स के असंतुलन से संबंधित बीमारी है। हार्मोन के उतार-चढ़ाव से शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ जाती है और इस कारण आंतों की माइक्रोबायोटा (gut microbiota) का संतुलन बिगड़ जाता है।
PCOS में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है। इससे शरीर में पानी रुकने लगता है (fluid retention), जो ब्लोटिंग को और अधिक बढ़ाता है।
PCOS के कारण टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि PCOS से पीड़ित महिलाओं मरीजों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होता है, जिससे पेट के अंदर गहराई में फैट जमा होता जाता है। यह ब्लोटिंग की समस्या के साथ ही सेहत से जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा भी कई गुना बढ़ाता है। इसलिए इस बीमारी का समय पर और सही उपचार आवश्यक होता है।
PCOS में पाचन संबंधी समस्याएं क्यों होती हैं?
अब बात करते हैं पाचन संबंधी विकारों यानी डाइजेस्टिव डिसऑर्डर्स की। तो PCOS वाली महिलाएं अक्सर IBS (Irritable Bowel Syndrome), GERD और कब्ज यानी कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्याओं से भी जूझती हैं। इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, PCOS वाली लगभग 40% महिलाएं IBS से भी पीड़ित पाई जाती हैं। इसके कारण मुख्य कारण जान लें...
पीसीओएस (PCOS) ग्रसित ज्यादातर महिलाओं में इंसुलिन रेज़िस्टेंस पाया जाता है। इसका मतलब है कि शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही से उपयोग नहीं कर पातीं। इंसुलिन रक्त में बह रहे ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। जब इसका उपयोग सही प्रकार से नहीं हो पाता है तो इस स्थिति में ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव, पेट भारी लगना, गैस, और भूख में अनियमितता जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
पीसीओएस में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम और एंड्रोजन का स्तर ज्यादा हो जाता है। प्रोजेस्टेरोन आंतों की मांसपेशियों को रिलैक्स करके पाचन को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन है। इसकी कमी से महिलाओं में कब्ज (Constipation) और पेट फूलना ज्यादा होता है।
नई रिसर्च (Journal of Clinical Endocrinology & Metabolism, 2021) बताती है कि पीसीओएस वाली महिलाओं में गट बैक्टीरिया की विविधता (diversity) कम हो जाती है। इस स्थिति को गट माइक्रोबायोम में असंतुलन (Gut Dysbiosis) कहते हैं। ऐसा होने पर IBS (Irritable Bowel Syndrome) जैसे लक्षण – दस्त, पेट दर्द और ब्लोटिंग होना आम हो जाते हैं।
PCOS में शरीर हल्की-सी लेकिन लगातार चलने वाली सूजन की स्थिति में रहता है। यह सूजन आंतों की लाइनिंग को प्रभावित करती है और एसिडिटी, गैस्ट्राइटिस और अपच की समस्या को बढ़ाती है। इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में क्रॉनिक लो-ग्रेड इंफ्लेमेशन (Chronic Inflammation) कहते हैं।
स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल भी पीसीओएस में अधिक सक्रिय हो जाता है। कॉर्टिसोल आंतों के काम को धीमा करता है, जिससे कब्ज और पाचन की समस्या और बढ़ जाती है।
ये सभी कारण हैं कि पीसीओएस वाली महिलाओं में अक्सर पेट फूलना, कब्ज, गैस, एसिडिटी और IBS जैसी समस्याएं रिपोर्ट होती हैं।
क्या है इस समस्या का उपचार?
दवाओं की बात करें तो PCOS के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं जैसे मेटफॉर्मिन, क्लोमीफीन या हार्मोनल बर्थ कंट्रोल भी ब्लोटिंग का कारण बन सकती हैं। इसलिए किसी भी दवाई को नेट पर सर्च करके या ओवर-द-काउंटर दवाएं यानी मेडिकल स्टोर वाले की सलाह पर दवाएं लेकर नहीं खानी चाहिए। बल्कि डॉक्टर से परामर्श के बाद ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। क्योंकि हर महिला का शरीर अलग होता है और एक ही समस्या के अलग-अलग लक्षण भी दिख सकते हैं। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए उपचार होना आवश्यक होता है।
PCOS ब्लोटिंग से कैसे छुटकारा पाएं?
खान-पान पर ध्यान देकर और सोने-जागने का समय तय करके इन समस्याओं को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए आप सबसे पहले अपने रोज के खान-पान में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। यानी सलाद, फल और सब्जियां अधिक खाएं। क्योंकि फाइबर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, सूजन कम करने और पाचन सुधारने में मदद करता है। दालें, क्विनोआ, शकरकंद, नट्स, चिया सीड्स, फल और हरी सब्जियां (जैसे ब्रोकोली, पत्ता गोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स) शामिल करें।
इन्हें खाना छोड़ दें: शरीर में सूजन बढ़ाने वाले भोजन यानी इंफ्लेमेटरी फूड्स खाना छोड़ना होगा। जैसे, डेयरी के प्रोडक्ट्स, ग्लूटेन, तली-भुनी चीज़ें, प्रोसेस्ड स्नैक्स और अल्कोहल जैसे फूड्स शरीर में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन बढ़ाते हैं। इन्हें कम करने से पाचन और ब्लोटिंग में राहत मिलती है।
ब्लड शुगर लेवल मैनेज करें: इंसुलिन रेसिस्टेंस PCOS का बड़ा कारण है। कार्बोहाइड्रेट का सही संतुलन, एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट और ब्लड शुगर कंट्रोल से ब्लोटिंग कम हो सकती है।
माइंडफुल ईटिंग अपनाएं क्योंकि धीरे-धीरे खाना, अच्छे से चबाना और ओवरईटिंग से बचना ब्लोटिंग को कम करता है।
हाइड्रेटेड रहें: पर्याप्त पानी पीना शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने और कॉन्स्टिपेशन रोकने में मदद करता है।
रेगुलर एक्सरसाइज करें क्योंकि हल्की-फुल्की वर्कआउट, वेट ट्रेनिंग और योगा ब्लोटिंग कम करने और हार्मोन बैलेंस करने में मददगार हैं। हाई-इंटेंसिटी कार्डियो से बचना चाहिए।
प्रोबायोटिक्स और हल्दी (Curcumin) लें क्योंकि ये आंतों के बैक्टीरिया को संतुलित रखते हैं और सूजन कम करते हैं।
सोडा छोड़कर हर्बल-टी लें। क्योंकि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स ब्लोटिंग बढ़ाते हैं। इनके बदले पुदीना, अदरक या कैमोमाइल टी लें।
अच्छी नींद लें। इससे हर दिन कम से कम 7–8 घंटे सोना जरूरी है। नींद की कमी हार्मोनल असंतुलन और ब्लोटिंग दोनों को बढ़ाती है।
PCOS में ब्लोटिंग एक आम लेकिन असुविधाजनक समस्या है। संतुलित डाइट, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी और सही जीवनशैली अपनाकर इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। प्राकृतिक उपायों से PCOS के लक्षणों को कम करना संभव है और इससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जानकारी बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।