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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रमाणित किया मच्छरों से बचने का ये नया तरीका।

मच्छरों के प्रकोप से बचाएंगे 'स्पैशियल रिपेलेंट' मिली WHO से प्रमाणित

अब हमारे पास मच्छरों से बचाव का नया तरीका है। यह हल्का है, सस्ता है और इस्तेमाल करने में आसान है। इससे दुनिया के हर हिस्से में लोगों की जान बचाई जा सकती है...


डेंगू, मलेरिया और मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्पैशिल रिपेलेंट्स (Spatial Repellents) के उपयोग को मंजूरी दे दी है। यह फैसला मच्छरों से लड़ाई में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे इनका इस्तेमाल खासकर उन देशों में तेजी से बढ़ेगा, जहां मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ आम हैं।

सैन फ्रांसिस्को स्थित UCSF में एपिडेमियोलॉजी और बायोस्टैटिस्टिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इंग्रिड चेन ने मीडिया से कहा "आखिरकार हमारे पास मच्छरों के काटने से बचाव का एक नया तरीका है। यह हल्का है, सस्ता है और इस्तेमाल करने में आसान है। इससे दुनिया के हर हिस्से में लोगों की जान बचाई जा सकती है।"


क्यों ज़रूरी है यह नया तरीका?

भारत समेत कई देशों में मलेरिया और डेंगू अब भी गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बने हुए हैं। ये बीमारियाँ अक्सर हल्के बुखार या खुजली वाले दाने से शुरू होती हैं, लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए तो इनका खतरा और भी ज्यादा होता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार कहते हैं कि 'रोकथाम (Prevention) ही सबसे कारगर उपाय है।' भले ही कुछ बीमारियों के लिए वैक्सीन आ रही हैं लेकिन मच्छर नियंत्रण (Mosquito Control) ही अब तक का सबसे असरदार तरीका है।


स्पैशियल रिपेलेंट्स कैसे काम करते हैं?

ये रिपेलेंट्स लगभग एक कागज की शीट के आकार के होते हैं और इनमें पाइरेथ्रॉयड-आधारित (Pyrethroid-based) केमिकल्स से मच्छरों को भगाने की क्षमता होती है। स्पैशियल रिपेलेंट्स मच्छर नियंत्रण के लिए विकसित एक नई श्रेणी के प्रोडक्ट्स हैं, जो हवा में वाष्पशील (volatile) रसायन छोड़ते हैं। यह रसायन हवा में एक सुरक्षा क्षेत्र (zone of protection) बनाते हैं, जिससे मच्छर और अन्य रोग फैलाने वाले कीड़े उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर पाते या इंसानों के पास नहीं आ पाते।

इनका कार्य करने का तरीका उन उत्पादों से अलग है जो कीड़ों को मारते हैं। स्पैशियल रिपेलेंट्स कीड़ों को मारते नहीं बल्कि उन्हें दूर रखते हैं। यह सामान्यत: निष्क्रिय रूप से काम करते हैं और कई हफ्तों से लेकर महीनों तक असर दिखा सकते हैं।

इन रिपेलेंट्स को अन्य वेक्टर कंट्रोल तरीकों जैसे insecticide-treated nets (कीटनाशक-उपचारित जालियों) के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे मलेरिया और डेंगू जैसी मच्छर-जनित बीमारियों के खिलाफ अधिक व्यापक सुरक्षा मिलती है।


स्पैशियल रेपेलेंट्स के लाभ

इन्हें चलाने के लिए बिजली की ज़रूरत नहीं होती।

डायरेक्ट कॉन्टैक्ट की भी ज़रूरत नहीं।

ये घर के अंदर और बाहर दोनों जगह असरदार रहते हैं।

मच्छरदानी (bed nets) या स्प्रे की तुलना में इनका उपयोग आसान हैं।

इन्हें घर, स्कूल, ऑफिस और सार्वजनिक स्थानों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार ये सुरक्षित, सस्ते और बेहद आसान हैं, जिससे ये शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों के लिए उपयुक्त बनते हैं।


मच्छरों से बचने के उपाय

हालाँकि WHO ने स्पैशियल रिपेलेंट्स को मंजूरी दे दी है, फिर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुछ बुनियादी सावधानियाँ जारी रखने की सलाह देते हैं...

घर के आसपास जमा पानी हटाएँ, ताकि मच्छरों का प्रजनन न हो।

हल्के रंग के फुल-स्लीव कपड़े पहनें, खासकर शाम के समय।

जहाँ संभव हो, मच्छरदानी और अन्य रिपेलेंट्स का इस्तेमाल करें।

आसपास की सफाई रखें, क्योंकि मच्छर गंदगी और नम जगहों में पनपते हैं।


इन रेपेलेंट्स से अपेक्षा

WHO की मंजूरी के बाद अपेक्षा की जा रही है कि अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया और उन सभी इलाकों में जहाँ मच्छर जनित रोग गंभीर हैं, वहाँ इनका इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ये रिपेलेंट्स हर साल हज़ारों जानें बचा सकते हैं। क्योंकि ये लगातार और आसान सुरक्षा प्रदान करते हैं। जिन इलाकों में लोग लंबे समय से मलेरिया, डेंगू और अन्य घातक मच्छर जनित बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह नई खोज एक सुरक्षित और व्यावहारिक समाधान बन सकती है।


डिसक्लेमर- यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जनहित में जारी की गई है।

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