लिवर ट्रांसप्लांट से मिलेगी मुक्ति, संभव होगा ‘दुर्लभ’ बीमारी का इलाज
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लिवर की लाइलाज बीमारी प्राइमरी स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस

लिवर ट्रांसप्लांट से मिलेगी मुक्ति, संभव होगा ‘दुर्लभ’ बीमारी का इलाज

प्राइमरी स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस लिवर की गंभीर बीमारी है। लेकिन समस्या यह है कि अब तक इसके लिए कोई प्रभावी और स्वीकृत उपचार नहीं था...


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लिवर से जुड़ी बीमारियों की बात आते ही हम अक्सर फैटी लिवर, हेपेटाइटिस या सिरोसिस तक ही सोच पाते हैं। लेकिन लिवर को हानि पहुंचाने वाली एक बीमारी ऐसी भी है, जो धीरे-धीरे लिवर को अंदर से सख्त बनाती जाती है, पित्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और अंततः लिवर ट्रांसप्लांट तक की नौबत ला सकती है। इस बीमारी का नाम है प्राइमरी स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस (Primary Sclerosing Cholangitis – PSC)...


अच्छी बात यह है कि ये बीमारी दुर्लभ है। अर्थात बहुत आम नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि अब तक इसके लिए कोई प्रभावी और स्वीकृत उपचार नहीं था। लेकिन हालिया वैज्ञानिक शोध इस स्थिति को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। और इस दिशा में सफलता के संकेत भी मिलने लगे हैं। हाल ही ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी’ में प्रकाशित एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। अमेरिका की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया-डेविस हेल्थ’ के विशेषज्ञों द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि नेबोकिटुग नाम की एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दुर्लभ लिवर रोग PSC के इलाज में सुरक्षित है।


साथ ही इस शोध के परिणामों ने दिखाया कि नेबोकिटुग (Nebokitug) न केवल सुरक्षित है बल्कि यह सूजन (inflammation) तथा फाइब्रोसिस (scarring) को प्रभावी तरीके से कम कर सकता है। सूजन और फाइब्रोसिस दो मुख्य प्रक्रियाएं हैं, जो PSC में लिवर को क्षतिग्रस्त करती हैं।


PSC में लिवर का हाल

PSC में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही लिवर की पित्त नलिकाओं पर हमला करने लगती है। धीरे-धीरे इन नलिकाओं में सूजन, संकुचन और फिर फाइब्रोसिस यानी कठोर दागदार ऊतक बनने लगता है। यही प्रक्रिया समय के साथ लिवर की कार्यक्षमता को कम करती है। वैज्ञानिकों ने जब इस प्रक्रिया को गहराई से समझना शुरू किया तो एक अहम जैविक अणु सामने आया, जिसे CCL24 नाम से जाना जाता है।

क्या है CCL24 और कैसे काम करता है?

PSC बीमारी को आगे बढ़ाने वाला साइलेंट ट्रिगर है CCL24ये लिवर को कैसे कमजोर करता है, इस बारे में JCI Insight और अन्य प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित रिसर्च बताती है कि ये एक ऐसा केमोकिन है जो लिवर में सूजन बढ़ाता है,फाइब्रोसिस को तेज करता है और बीमारी की प्रगति से सीधे जुड़ा होता है।

PSC मरीजों के लिवर बायोप्सी सैंपल्स में CCL24 का स्तर सामान्य से कहीं अधिक पाया गया। इतना ही नहीं, इसका स्तर एनहैंस्ड लिवर फाइब्रॉसिस (ELF) स्कोर से भी मेल खाता है, इसमें यकृत के तंतुओं की वृद्धि से संबंध देखा जाता है। अर्थात यह साफ हुआ कि CCL24 केवल मार्कर नहीं बल्कि बीमारी का सक्रिय चालक है। यहीं से वैज्ञानिकों को एक नया रास्ता दिखा कि इस बीमारी की जड़ पर सीधा वार करके इसको कैसे ठीक किया जा सकता है।



नेबोकिटुग से संभावित लाभ

मोनोकोलोनल एंटीबॉडी (Monoclonal Antibody) बीमारी की जड़ पर सीधे वार के रूप में सामने आई नेबोकिटुग। ये इसी CCL24 को निशाना बनाकर विकसित की गई एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है।

सेंटिनल असम(Sentinel Assam) और अंतरराष्ट्रीय रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दवाई CCL24 को निष्क्रिय करती है। सूजन और फाइब्रोसिस की प्रक्रिया को धीमा करती है और लिवर की कठोरता (liver stiffness) को कम करने की क्षमता दिखाती है।

यह दवा उन मरीजों के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकती है, जिनकी बीमारी पहले ही आगे बढ़ चुकी है। MDPI (Cells) में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि CCL24 और उसका रिसेप्टर CCR3, लिवर में सूजन, कोशिका आकर्षण और फाइब्रोसिस से जुड़े कई जैविक रास्तों को सक्रिय करते हैं।

वहीं PRIMIS Trial (Cilofexor) जैसे अध्ययन यह दिखाते हैं कि PSC में अब इलाज़ का फोकस सिर्फ लक्षणों पर नहीं बल्कि बीमारी के जैविक तंत्र को बदलने पर है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि तो क्या PSC का उपचार अब संभव है? साफ शब्दों में कहें तो अभी नहीं। लेकिन उपचार का रास्ता साफ दिखने लगा है।



लिवर ट्रांसप्लांट से बचाव

नेबोकिटुग जैसी मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ यह साबित कर रही हैं कि PSC को 'इलाज-विहीन बीमारी' मानने की सोच बदल रही है। फाइब्रोसिस को रोका या धीमा किया जा सकता है और भविष्य में लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता टाली जा सकती है। लेकिन इसके लिए अभी फेज-3 ट्रायल्स, लंबे समय का डेटा और व्यापक स्वीकृति आवश्यक है।

PSC की कहानी अब केवल एक दुर्लभ लिवर रोग की कहानी नहीं रही। यह उस वैज्ञानिक बदलाव की कहानी है, जहां बीमारी को केवल सहने के बजाय उसकी जड़ में छिपे जैविक संकेतों को समझा जा रहा है। ऐसे में CCL24 पर आधारित यह नई रणनीति शायद आने वाले वर्षों में उन मरीजों के लिए उम्मीद बने, जिनके पास अब तक केवल प्रतीक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं था।



डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


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