
हेल्थ टॉनिक की तरह काम करते हैं प्रोबायोटिक्स, डेली डोज में गजब लाभ
प्रोबायोटिक्स का डेली डायट में सेवन करके आप बिना किसी हेल्थ टॉनिक लिए भी हेल्थ टॉनिक के गुणों को बिना हेल्थ टॉनिक लिए भी पा सकते हैं। यहां विस्तार से जानें...
Benefits Of Probiotics: अगर आपको यह पता चले कि आपकी आंतों में बसे छोटे-छोटे सूक्ष्मजीव आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं तो क्या आप उन्हें स्वस्थ रखने की कोशिश नहीं करेंगे? क्योंकि मॉडर्न साइंस अब यह साफ तौर पर बता चुकी है कि हमारे शरीर में मौजूद गट माइक्रोबायोम- यानी आंतों में रहने वाले अरबों अच्छे जीवाणु (Good Bacteria) हमारी सेहत का पहला डिफेंस मैकेनिज़म हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) और बिफिडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium) जैसे प्रोबायोटिक बैक्टीरिया गट माइक्रोबायोम के संतुलन को बनाए रखते हैं। और जब गट हेल्दी होता है तो हमारा इम्यून सिस्टम भी ताकतवर बनता है, जो एलर्जी और संक्रमण से हमारी रक्षा करता है...
प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर में क्या करते हैं?
शोध बताते हैं कि प्रोबायोटिक्स हमारे आंत के बैरियर फंक्शन को सुधारते हैं, पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं, और हानिकारक जीवाणुओं के विकास को रोकते हैं। वर्ष 2021 में जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक मेटा-एनालिसिस के मुताबिक, नियमित प्रोबायोटिक्स लेने से शरीर में सूजन बढ़ाने वाले साइटोकाइंस जैसे IL-6 और TNF-alpha का स्तर घटता है। यानी सूजन से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।
यही नहीं, प्रोबायोटिक्स बच्चों और वयस्कों दोनों में एलर्जी रिएक्शंस (जैसे अस्थमा और एक्जिमा) की घटनाओं को कम करने में भी मदद करते हैं।तो फिर, सवाल ये है कि हमें प्रोबायोटिक्स कैसे और कहां से मिल सकते हैं? इसका सबसे आसान और प्राकृतिक तरीका है, अपने आहार में प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना।
आप दही, छाछ, कांजी, सिरके से तैयार प्याज, सिरका मूली, पारंपरिक भारतीय अचार (जो नेचुरल फर्मेंटेशन से बनता हो) और कोरियन फूड किमची का सेवन कर सकते हैं। आजकल मार्केट में मिलने वाले प्रोबायोटिक पेय पदार्थ भी एक अच्छा विकल्प हैं, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो रोजाना फर्मेंटेड फूड नहीं खा पाते।
एक जरूरी बात ध्यान रखिए
सभी प्रोबायोटिक प्रोडक्ट एक जैसे नहीं होते। शोध बताते हैं कि प्रोबायोटिक्स की गुणवत्ता और उनकी "वाइबिलिटी" यानी जीवित रहने की क्षमता- सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है। अगर किसी फूड प्रोडक्ट को अधिक तापमान पर प्रोसेस किया गया हो या गलत तरीके से स्टोर किया गया हो तो उसमें मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया मर सकते हैं। इसलिए हमेशा ताजगी और गुणवत्ता का ध्यान रखें।
अब यह भी जानना जरूरी है कि केवल प्रोबायोटिक्स लेना ही काफी नहीं है। हमें अपनी जीवनशैली में भी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने होंगे ताकि गट हेल्थ को सही बनाए रखा जा सके। उदाहरण के लिए, प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं। क्योंकि ये आंत के अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुँचाते हैं।
रेगुलर एक्सरसाइज करें, जिससे गट माइक्रोबायोम का डाइवर्सिटी बढ़ती है। तनाव कम करें। क्योंकि स्ट्रेस भी गट हेल्थ को बिगाड़ता है। और सबसे जरूरी बात है, फाइबर युक्त आहार (जैसे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज) को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। क्योंकि अच्छे बैक्टीरिया फाइबर से फीड होते हैं।
डेली लाइफ में प्रोबायोटिक्स कैसे लें?
अगर आप सच में अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाना चाहते हैं और खुद को एलर्जी व संक्रमण से सुरक्षित रखना चाहते हैं तो प्रोबायोटिक्स को अपनी जीवनशैली में शामिल करना बेहद जरूरी है। दही का एक कटोरा, एक गिलास ताजा छाछ या अचार का एक चम्मच-ये छोटे-छोटे कदम आपकी सेहत में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आज से ही गट हेल्थ पर ध्यान दीजिए क्योंकि स्वस्थ आंतें ही एक स्वस्थ जीवन की शुरुआत है!
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।