
इन पुरुषों में अधिक होता है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा, जानें बचाव के उपाय
अफ्रीकी पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है। लेकिन अब भारत में भी इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं। जानें, क्या हैं इसके रिस्क फैक्टर...
Prostate Cancer Prevention: पुरुषों में सबसे अधिक होने वाले कैंसर में से एक है प्रोस्टेट कैंसर। इसकी पहचान अक्सर देर से होती है और यदि समय रहते सही इलाज ना मिले तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और GLOBOCAN के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे आम कैंसर है। भारत में भी इसकी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर 50 वर्ष की उम्र के बाद। यहां हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि किन पुरुषों में यह खतरा अधिक होता है और क्या वैज्ञानिक उपाय इसके बचाव में कारगर हो सकते हैं...
प्रोस्टेट कैंसर का खतरा किन पुरुषों में अधिक होता है?
बढ़ती उम्र: प्रोस्टेट कैंसर मुख्य रूप से वृद्ध पुरुषों में होता है। इसका सबसे अधिक खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में होता है। इसलिए 50 की उम्र के बाद, हर पुरुष को अपनी प्रोस्टेट हेल्थ पर नजर रखने की सलाह दी जाती है।
पारिवारिक इतिहास (Genetic predisposition)
यदि आपके पिता या भाई को प्रोस्टेट कैंसर हो चुका है तो आपके संक्रमित होने की संभावना सामान्य पुरुषों की तुलना में दो से तीन गुना अधिक हो जाती है। BRCA1 और BRCA2 जैसे कुछ विशेष जीन म्यूटेशन भी प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
नस्लीय और जातीय भिन्नताएं
अफ्रीकी मूल के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम सबसे अधिक होता है। हालांकि भारत में यह कारण उतना मायने नहीं रखता। लेकिन फिर भी, अलग-अलग जातियों, इलाकों और उनकी खाने-पीने की आदतों और जीवनशैली का प्रोस्टेट कैंसर के खतरे पर असर ज़रूर देखा गया है।
हार्मोनल असंतुलन और टेस्टोस्टेरोन का उच्च स्तर
टेस्टोस्टेरोन, जो पुरुषों का प्रमुख सेक्स हार्मोन है, इसकी अत्यधिक मात्रा प्रोस्टेट कोशिकाओं की वृद्धि को उत्तेजित कर सकती है। यह वृद्धि कभी-कभी कैंसरस भी हो सकती है।
मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता
अत्यधिक बॉडी फैट प्रोस्टेट कैंसर को उत्तेजित कर सकता है। मोटे पुरुषों में कैंसर अधिक आक्रामक होता है और इसका निदान करना भी मुश्किल हो जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के प्रभावी उपाय
समय-समय पर स्क्रीनिंग (PSA टेस्ट और DRE टेस्ट)
Prostate-Specific Antigen (PSA) टेस्ट और Digital Rectal Exam (DRE) ऐसे दो प्रमुख जांच हैं जिनसे प्रोस्टेट कैंसर का प्रारंभिक चरण में ही पता लगाया जा सकता है। 50 की उम्र के बाद हर पुरुष को साल में एक बार यह परीक्षण करवाना चाहिए। यदि पारिवारिक इतिहास हो तो यह प्रक्रिया 45 की उम्र से ही शुरू की जानी चाहिए।
आहार में सुधार
अधिक मात्रा में रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड और डेयरी उत्पादों का सेवन प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसके विपरीत, टमाटर (जिसमें लाइकोपीन होता है), हरी सब्जियाँ, बीन्स, मछली (ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त), और साबुत अनाज कैंसर से रक्षा करने में सहायक होते हैं।
नियमित शारीरिक गतिविधि
हर दिन कम से कम 30 मिनट तक तेज चलना, योग या एरोबिक्स करने से हार्मोनल बैलेंस सुधरता है और मेटाबोलिक हेल्थ भी बेहतर रहती है। इससे प्रोस्टेट की सूजन और कैंसर का खतरा घटता है।
तंबाकू और शराब से दूरी
सिगरेट और अत्यधिक शराब का सेवन केवल प्रोस्टेट ही नहीं बल्कि पूरे शरीर में कैंसर के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। अध्ययन बताते हैं कि शराब के सेवन से कैंसर के दोबारा आने की संभावना भी अधिक होती है।
तनाव का प्रबंधन
क्रॉनिक तनाव कोर्टिसोल हार्मोन को बढ़ाता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। ध्यान (मेडिटेशन), प्राणायाम, और पर्याप्त नींद मानसिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं और शरीर को कैंसर से लड़ने में सहायता करते हैं।
सतर्कता ही सुरक्षा है
प्रोस्टेट कैंसर के मामले में "रोकथाम इलाज से बेहतर" की कहावत पूर्णतः लागू होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समय पर जांच मिलकर इस कैंसर को नियंत्रित करने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। जागरूकता, स्क्रीनिंग और एक संतुलित जीवनशैली को यदि हम नियमित दिनचर्या में शामिल कर लें, तो यह रोग केवल एक डर नहीं बल्कि एक नियंत्रित स्वास्थ्य स्थिति बन सकता है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।