पतले बाल, सांस फूलना और हर समय थकान? आपके भोजन में ये कमी है
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पैरों में दर्द, पतले बाल, भद्दी त्वचा का एक ही कारण!

पतले बाल, सांस फूलना और हर समय थकान? आपके भोजन में ये कमी है

वजन कम होने पर भी शरीर टोन में नहीं दिखता, पकड़ कमजोर हो जाती है या लंबे समय तक खड़े रहना कठिन लगने लगता है। यह संकेत है कि मांसपेशियों को बनाने और संभालने के..


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सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना, दिनभर शरीर भारी लगता है, हर समय थकान बनी रहती है तो हम सबसे पहले कारण ढूंढते हैं कि नींद पूरी नहीं हुई, तनाव हो रहा है,उम्र का असर दिखने लगा है या काम का बोझ बढ़ रहा है इत्यादि। लेकिन न्यूट्रिशन साइंस कहती है कि कई बार यह संकेत किसी बीमारी का नहीं बल्कि धीमी पोषण-क्षय प्रक्रिया का होता है। और इस प्रक्रिया के केंद्र में अक्सर मुख्य कमी होती है प्रोटीन की कमी...


मेडिकल जर्नल PubMed, जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जुड़े अध्ययनों ने साफ किया है कि प्रोटीन की कमी आज केवल कुपोषित आबादी की समस्या नहीं रही। यह शहरी, पढ़े-लिखे और 'संतुलित डाइट' लेने वाले लोगों में भी तेजी से देखी जा रही है।


शरीर में प्रोटीन क्या करता है?

प्रोटीन शरीर का केवल निर्माण-तत्व नहीं है बल्कि यह कार्यात्मक आधार है। हर एंज़ाइम, हर हार्मोन, हर इम्यून सेल और हर न्यूरोट्रांसमीटर की जड़ में प्रोटीन मौजूद होता है। जब आहार में प्रोटीन कम होता है तो शरीर इसे तुरंत बीमारी की तरह नहीं दिखाता। यह पहले एडजस्ट करता है, फिर समझौता करता है और अंत में नुकसान झेलता है।



मांसपेशियों का ढीला पड़ना

वजन कम होने के बावजूद शरीर टोन में नहीं दिखता,पकड़ कमजोर हो जाती है या लंबे समय तक खड़े रहना कठिन लगने लगता है। यह संकेत है कि मांसपेशियों को बनाने और संभालने के लिए शरीर को आवश्यक अमीनो एसिड नहीं मिल रहे। रिसर्च बताती है कि जब प्रतिदिन की आवश्यकता के अनुसार प्रोटीन नहीं मिलता तो शरीर ऊर्जा और आवश्यक जैविक कार्यों के लिए मसल्स में जमा प्रोटीन को तोड़ने लगता है। यही कारण है कि प्रोटीन की कमी में सबसे पहले ये लक्षण दिखते हैं...

हाथ-पैरों में कमजोरी

जल्दी थक जाना

वजन कम होने के बावजूद शरीर ढीला दिखना, जैसे लक्षण दिखते हैं।

Journal of Gerontology में प्रकाशित स्टडीज़ बताती हैं कि 40 की उम्र के बाद यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है। इसे सार्कोपीनिया (sarcopenia) कहा जाता है। जहां मांसपेशियां घटती हैं लेकिन व्यक्ति को शुरुआत में इसका एहसास तक नहीं होता।


हड्डियां केवल कैल्शियम से नहीं टिकतीं

यह एक आम धारणा है कि हड्डियों की मजबूती का अर्थ है कैल्शियम और विटामिन-D। लेकिन आधुनिक रिसर्च बताती है कि प्रोटीन के बिना कैल्शियम हड्डियों तक ठीक से पहुंच ही नहीं पाता। यही कारण है कि कम प्रोटीन लेने वालों में बोन मिनरल डेंसिटी कम पाई गई। इससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ा और उम्र के साथ हड्डियों की रिकवरी धीमी हुई। यह निष्कर्ष Journal of Bone and Mineral Research और NIH से जुड़े अध्ययनों में बार-बार सामने आया है।



इम्यून सिस्टम थक जाता है

इम्यून सिस्टम की हर यूनिट-CD4 कोशिकाएं, एंटीबॉडी, साइटोकाइन्स प्रोटीन से ही बनती हैं। जब शरीर को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता तो वह इम्यूनिटी को प्राथमिकता सूची में नीचे धकेल देता है। इसका प्रभाव यह होता है कि बार-बार सर्दी-खांसी होना, मामूली संक्रमण का लंबे समय तक बने रहना और घाव देर से भरना जैसी समस्याएं लगातार बनी रहती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और क्लिनिकल न्यूट्रिशन जर्नल के अनुसार, प्रोटीन की कमी संक्रमण से मृत्यु के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, विशेषकर बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों में।



दिमाग पर प्रोटीन की कमी का प्रभाव

दिमाग के रसायन जैसे,सेरोटोनिन, डोपामिन, नॉरएड्रेनालिन, सब अमीनो एसिड से बनते हैं। और अमीनो एसिड का स्रोत है-प्रोटीन। जब प्रोटीन कम होता है तो मूड अस्थिर रहने लगता है। चिड़चिड़ापन बढ़ता है, ध्यान लगे में समस्या और याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है। कुछ न्यूरोसाइंस स्टडीज इसे लंबे समय में चिंता और अवसाद से भी जोड़ती हैं।


प्रोटीन की कमी से होती है सूजन

पैरों, टखनों या चेहरे में सूजन अक्सर लोग नमक या थकान से जोड़ते हैं। लेकिन मेडिकल साइंस बताती है कि यह एल्ब्यूमिन नामक प्रोटीन की कमी का संकेत भी हो सकता है। एल्ब्यूमिन रक्त में तरल को सही जगह बनाए रखता है। कमी होने पर तरल ऊतकों में रिसने लगता है और सूजन दिखने लगती है। यह शरीर का अलार्म होता है कि अंदर पोषण का संतुलन बिगड़ चुका है।



प्रोटीन की कमी का पहला लक्षण

शरीर में जब प्रोटीन सीमित होता है तो शरीर उसे पहले मस्तिष्क, हृदय और रोग प्रतिरोधक क्षमता को देता है। इसके बाद बाल, त्वचा और नाखून का नंबर सबसे बाद में आता है। यही कारण है कि शरीर में प्रोटीन की कमी होती है तो बाल झड़ने लगते हैं, त्वचा रूखी और बेजान दिखती है, नाखून कमजोर होकर टूटते हैं। यह मात्र सौंदर्य समस्या नहीं बल्कि जैविक चेतावनी है कि शरीर प्रोटीन की कमी से जूझ रहा है।



हर दिन कितना प्रोटीन खाएं?

अब प्रश्न यह उठता है कि हर दिन कितनी मात्रा में प्रोटीन लेना पर्याप्त है? तो इस विषय में विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ वयस्कों के लिए हर दिन लगभग 1 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम शारीरिक वजन के अनुसार पर्याप्त माना जाता है। लेकिन अगर आप व्यायाम करते हैं, रिकवरी पर हैं या मसल मास बनाना चाहते हैं तो यह 1.2–2.0 ग्राम/किलोग्राम तक होना बेहतर माना जाता है।

उदाहरण के लिए, 75 किलोग्राम के व्यक्ति को दिन में करीब 75 से 150 ग्राम प्रोटीन लेना लाभकारी हो सकता है। इसे दिनभर के हर भोजन में समान रूप से बांटकर लें। अर्थात तीनों समय के भोजन में इसे लें, ऐसा ना करें कि एक टाइम पर ही पूरा ले लिया।

मेडिकल जर्नल WebMD और स्प्रिंगर लिंक्ड रिसर्च का निष्कर्ष एक है कि प्रोटीन की कमी एक धीमी लेकिन गहरी क्षति है। यह शरीर को अचानक गिराती नहीं है बल्कि चुपचाप उसकी सहनशक्ति, प्रतिरक्षा और रिकवरी क्षमता को खत्म करती है। अगर शरीर लगातार थका हुआ है, छोटी बीमारियां बड़ी लगने लगी हैं या उम्र से पहले कमजोरी महसूस हो रही है तो सवाल सिर्फ 'मैं क्या खा रहा हूं?' नहीं है। सवाल यह है कि क्या मैं पर्याप्त प्रोटीन खा रहा हूं? क्योंकि शरीर शिकायत नहीं करता,वह पहले संकेत देता है।



डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


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