सलमान खान 3 मानसिक बीमारियों से पीड़ित हुए, जानें कारण, लक्षण और बचाव
x
सलमान खान ने 3 न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का दर्द झेला

सलमान खान 3 मानसिक बीमारियों से पीड़ित हुए, जानें कारण, लक्षण और बचाव

सलमान खान को तीन गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का सामना करना पड़ा है, इनके नाम हैं- ब्रेन एन्यूरिज्म, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया और एवीएम...


Click the Play button to hear this message in audio format

सलमान खान 60 साल के हो गए हैं। लेकिन पर्दे के प्रति इनकी दीवानगी अभी भी वैसे ही बनी हुई है, जैसे कि सलमान के फैंस के मन में इनके प्रति क्रेज़ है। सलमान बॉलिवुड के मसल्स मैन रहे हैं। उम्र के हिसाब से इनकी फिटनेस आज भी फैंस को चकित करती है। लेकिन क्या आपको पता है कि ब्रेन की तीन खतरनाक बीमारियों ने सलमान खान को घेरा है और लंबे समय से सलमान इनका ट्रीटमेंट ले रहे हैं! आइए, आपको बताते हैं कि बॉलिवुड का ये सुपर फिट ऐक्टर किन मानसिक बीमारियों का शिकार हुआ...

सलमान खान को 3 गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का सामना करना पड़ा है, इनके नाम हैं- ब्रेन एन्यूरिज्म, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया और एवीएम (आर्टेरियोवेनस मॉलफॉर्मेशन)। खास बात यह है कि स्थिति और इलाज के अनुसार, ये बीमारियां पूरी तरह ठीक भी हो सकती हैं और नहीं भी। जब किसी व्यक्ति को ये बीमारियां हो जाती हैं तो ये ठीक होंगी या नहीं, यह बात कई अलग-अलग तथ्यों पर निर्भर करती है। जैसे, किस स्थिति में बीमारी का पता चला, कैसा इलाज मिला इत्यादि।



क्या है ब्रेन एन्यूरिज्म?

ब्रेन एन्यूरिज्म को दिमाग की नस का छुपा हुआ गुब्बारा है।यह तब होता है, जब दिमाग की किसी रक्त-नली (artery) की दीवार कमजोर होकर गुब्बारे की तरह बाहर की ओर फूल जाती है। यह फूला हुआ हिस्सा सामान्य नस जितना मजबूत नहीं होता। समस्या तब तक छुपी रहती है, जब तक यह फट नहीं जाता या आसपास के हिस्सों पर दबाव नहीं डालता।

न्यूरोसाइंस की भाषा में कहें तो यह मस्तिष्क की धमनियों की दीवार में संरचनात्मक कमजोरी (structural weakness) की स्थिति है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर यह गुब्बारा क्यों बनता है? इस विषय में रिसर्च बताती है कि एन्यूरिज्म बनने के पीछे कई कारण मिलकर काम करते हैं। जैसे...

जन्मजात रूप से कमजोर नसें

लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर

धूम्रपान

उम्र के साथ नसों की लचक कम होना

कुछ आनुवंशिक स्थितियां

Journal of Neurosurgery और Stroke जर्नल में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार, दिमाग की जिन जगहों पर रक्त का दबाव अधिक रहता है, वहीं एन्यूरिज्म बनने की संभावना अधिक होती है।



ब्रेन एन्यूरिज्म के लक्षण देर से क्यों दिखते हैं?

ब्रेन एन्यूरिज्म के लक्षण देर से दिखाई देते हैं क्योंकि एन्यूरिज्म तब तक दर्द नहीं देता, जब तक यह बहुत बड़ा न हो जाए या फट न जाए। जब यह फटता है, तब अचानक जिंदगी का सबसे तेज सिरदर्द, उल्टी, बेहोशी, स्ट्रोक या अचानक मृत्यु तक हो सकती है। इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है।



क्या ब्रेन एन्यूरिज्म पूरी तरह ठीक हो सकती है?

ब्रेन एन्यूरिज्म पूरी तरह ठीक हो सकती है अगर इसे समय रहते पकड़ लिया जाए। ऐसे में खतरा पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। क्योंकि ब्रेन एन्यूरिज्म कोई संक्रमण नहीं है बल्कि नस की दीवार में बना कमजोर गुब्बारा है। अगर एन्यूरिज्म फटा नहीं है तो क्लिपिंग सर्जरी या एंडोवैस्कुलर कॉइलिंग से उस कमजोर हिस्से को हमेशा के लिए बंद किया जा सकता है। ऐसे मामलों में एन्यूरिज्म दोबारा सक्रिय नहीं होता। यानी समस्या का अंत।

लेकिन अगर एन्यूरिज्म फट चुका है तो मरीज की जान बचाना पहली चुनौती होती है और उसके बाद रिकवरी व्यक्ति-विशेष के शरीर पर निर्भर करती है। कुछ लोग पूरी तरह सामान्य जीवन में लौट आते हैं जबकि कुछ में न्यूरोलॉजिकल असर रह सकता है। कुल मिलाकर एन्यूरिज्म को खत्म किया जा सकता है लेकिन दिमाग को हुआ नुकसान हमेशा पूरी तरह सही हो जाए यह निश्चित नहीं है।


ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया क्या है?

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें चेहरे में बिजली जैसा दर्द होता है। यह बीमारी नसों के दर्द की बीमारी है, रक्त नलियों की नहीं। ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में दिमाग की पांचवीं नस (Trigeminal nerve) प्रभावित होती है, जो चेहरे की संवेदनाओं को कंट्रोल करती है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में होने वाला यह दर्द साधारण दर्द नहीं होता है। बल्कि अचानक बिजली के झटके जैसा अनुभव होता है। बिजली के ये झटके कुछ सेकंड से कुछ मिनटों तक हो सकते हैं। यह दर्द बार-बार हो सकता है। साथ ही कभी-कभी बोलने से,चबाने से,दांत साफ करने से,चेहरे को छूने से दर्द भड़क उठता है।

Neurology और The Lancet Neurology में प्रकाशित स्टडीज़ बताती हैं कि इसे दुनिया के सबसे दर्दनाक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन्स में गिना जाता है।



क्यों होती है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी?

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का असली कारण अधिकतर मामलों में कोई रक्त-नली आकर ट्राइजेमिनल नस पर दबाव डालती है। इससे नस की बाहरी सुरक्षा परत (myelin) खराब हो जाती है और नस बिना कारण दर्द के सिग्नल भेजने लगती है। यह बीमारी जानलेवा नहीं होती लेकिन जीवन की गुणवत्ता को कम कर देती है।



क्या ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया पूरी तरह ठीक हो सकती है?

अधिकांश मामलों में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया पूरी तरह ठीक नहीं होती लेकिन नियंत्रित की जा सकती है। इसका उपचार शुरुआती चरण में दवाओं से दर्द को काफी हद तक नियंत्रित करके किया जाता है। इसलिए इस बीमारी में अपने मन से दवाएं कम करने का विकल्प मरीज के पास नहीं होता।

दवाओं के अलावा माइक्रोवैस्कुलर डीकंप्रेशन सर्जरी और रेडियोफ्रीक्वेंसी या गामा नाइफ कराने के बाद कई मरीजों को सालों तक दर्द नहीं होता जबकि कुछ मरीजों में दर्द दोबारा लौट सकता है। यह बीमारी पूरी तरह मिटना दुर्लभ है लेकिन दर्द-मुक्त जीवन संभव है। यह बीमारी जानलेवा नहीं है पर जीवन की गुणवत्ता पर सबसे भारी वार करती है।



क्या होती है एवीएम बीमारी?

आर्टेरियोवेनस मॉलफॉर्मेशन(Arteriovenous Malformation) अर्थात एवीएम़ मस्तिष्क में नसों और कोशिकाओं की गलत वायरिंग के कारण होने वाली समस्या है। नसों और कोशिकायों की वायरिंग में यह गड़बड़ी अधिकांश मामलों में जन्म के समय से ही होती है।

इस बीमारी में धमनियां (arteries)और शिराएं (veins) आपस में सीधे जुड़ जाती हैं। इससे बीच का सामान्य capillary नेटवर्क गायब हो जाता है। अब प्रश्न यह उठता है कि एवीएम खतरनाक क्यों है? क्योंकि हाई प्रेशर वाला खून सीधे पतली नसों में चला जाता है, नसें यह दबाव सह नहीं पातीं और फट सकती हैं। इस विषय में Brain और Nature Reviews Neurology में प्रकाशित रिसर्च बताती है कि AVM से ब्रेन हैमरेज का खतरा बना रहता है, खासकर युवाओं में।


एवीएम के लक्षण क्या होते हैं?

बार-बार सिरदर्द

मिर्गी के दौरे

अचानक कमजोरी

कभी-कभी पहला लक्षण ही ब्रेन में ब्लीडिंग यानी रक्त स्त्राव होता है। और यही ब्रेन ब्लीडिंग इसे खतरनाक बनाती है। मुख्य बात यह है कि यह रक्त स्त्राव बहुत शांति से होता रहता है और अचानक हमला करता है।


क्या एवीएम को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है?

कुछ मामलों में एवीएम नामक बीमारी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। क्योंकि AVM एक संरचनात्मक दोष है, कोई फैलने वाली बीमारी नहीं है। यदि AVM छोटा है, सही जगह पर है और समय रहते पकड़ा गया है तो सर्जरी, एम्बोलाइजेशन या गामा नाइफ से उसे पूरी तरह हटाया या बंद किया जा सकता है। जब AVM पूरी तरह नष्ट हो जाता है तो इसके दोबारा बनने की संभावना लगभग नहीं के बराबर होती है।

लेकिन अगर AVM पहले ही खून बहा चुका है या दिमाग के बहुत संवेदनशील हिस्से में है तो कुछ न्यूरोलॉजिकल असर रह सकता है। सीमित शब्दों में कहें तो AVM उन गिनी-चुनी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में है, जिन्हें पूरी तरह क्योर किया जा सकता है।


इन तीनों बीमारियों में सबसे बड़ा अंतर क्या है?

ब्रेन एन्यूरिज्म में नस की दीवार कमजोर होकर फूल जाती है। जबकि ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में नस पर दबाव से असहनीय दर्द होता है। और एवीएम में जन्म से ही नसों की बनावट गलत होती है। ये तीनों मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं हैं। लेकिन तीनों की प्रकृति, खतरा और इलाज पूरी तरह अलग है। दिमाग की ये बीमारियां अक्सर तब तक शोर नहीं करतीं, जब तक नुकसान गहरा न हो जाए। इसीलिए बार-बार होने वाला अजीब सिरदर्द, चेहरे में बिना कारण तेज दर्द या अचानक न्यूरोलॉजिकल बदलाव इत्यादि को सामान्य समझकर अनदेखा करना सबसे बड़ी भूल होती है।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


Read More
Next Story