Heart Attack Heart Disease in Young Adults Stress and Sleep Deprivation
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युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामलों की बड़ी वजह है पूरी नींद ना लेना।

आने वाले समय में डॉक्टर्स कहेंगे- सो जाओ, नहीं तो हार्ट अटैक आ जाएगा!

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपर्याप्त नींद को डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप और धूम्रपान जैसे ही हार्ट अटैक के प्रमुख कारकों में गिना है। इसलिए ये बात तो माननी होगी


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दिल का दौरा (Heart Attack), जो पहले ज़्यादातर 50 वर्ष से ऊपर की आयु में देखा जाता था, अब 30 और 40 की उम्र के लोगों में भी बढ़ता जा रहा है। कुछ रोगी तो शुरुआती 20 की उम्र में ही इसका शिकार हो रहे हैं। पिछले पाँच वर्षों में इसके मामले तेज़ी से बढ़े हैं, जिसका मुख्य कारण अस्वस्थ जीवनशैली, जैसे – कम नींद लेना, धूम्रपान करना, तनाव और वायु प्रदूषण है।



30-45 आयु वर्ग में तेज़ी से बढ़ रहे मामले

नए शोध बताते हैं कि 30-45 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक के मामलों में पिछले पाँच वर्षों में लगभग 10% की वृद्धि हुई है। अमेरिका की American Heart Association (AHA) की 2023 की रिपोर्ट में यह पाया गया कि युवाओं में बाल्यावस्था का मोटापा (Childhood Obesity) लंबे समय तक बना रहता है और यह भविष्य में हृदय रोगों का प्रमुख कारण बन सकता है।

इसके अतिरिक्त जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (Journal of the American College of Cardiology) में प्रकाशित एक अध्ययन (2022) में बताया गया कि 40 वर्ष से कम आयु के रोगियों में हार्ट अटैक के मामलों में पिछले एक दशक में 40% तक वृद्धि दर्ज की गई है। इसमें प्रमुख जोखिम कारक – धूम्रपान, तनाव, प्रोसेस्ड फूड और निष्क्रिय जीवनशैली बताए गए।



नींद की कमी और तनाव – प्रमुख कारक

आजकल कई युवा केवल 4-5 घंटे ही सो पाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पर्याप्त नींद न लेना भी डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप और धूम्रपान जितना ही बड़ा हृदय रोग का जोखिम कारक है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) की 2021 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि जो लोग हर रात 6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हार्ट अटैक का खतरा 20-25% अधिक होता है।

तनाव भी तेजी से बढ़ता कारक है। Lancet Public Health (2020) में प्रकाशित अध्ययन ने बताया कि अत्यधिक मानसिक दबाव, विशेषकर युवा विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों में, तनावजनित हार्ट अटैक (Stress-Induced Heart Attack) के मामलों को बढ़ा रहा है।



प्रदूषण और धूम्रपान – बड़े कारक

वायु प्रदूषण को अभी भी कम आंका जाता है। WHO की 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु होती है, जिनमें से बड़ी संख्या हृदय और फेफड़ों की बीमारियों के कारण होती है। ट्रैफ़िक और औद्योगिक क्षेत्रों में मौजूद Particulate Matter (PM 2.5) हृदय की रक्त वाहिकाओं को गंभीर क्षति पहुँचाता है और यह लगातार सिगरेट पीने जितना हानिकारक हो सकता है।

धूम्रपान अब भी सबसे बड़ा ट्रिगर है। शोध बताते हैं कि 30 और 40 की उम्र के लगभग 70-80% रोगियों की समस्या सीधे धूम्रपान से जुड़ी होती है। पैसिव स्मोकिंग यानी दूसरों के धुएं का असर भी उतना ही ख़तरनाक है। European Heart Journal (2021) में प्रकाशित एक अध्ययन ने पाया कि लंबे समय तक पैसिव स्मोकिंग से हार्ट अटैक का खतरा 25% तक बढ़ जाता है।

इसके अलावा, मनोरंजन के लिए उपयोग होने वाले नशीले पदार्थ (जैसे – कैनबिस, कोकीन और मारिजुआना) हृदय को और भी तेज़ी से नुकसान पहुँचाते हैं। हाल के अध्ययनों के अनुसार, वेपिंग (Vaping) करने वाले युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम 2-3 गुना अधिक पाया गया है।

अन्य छिपे कारण

विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि कुछ और कम चर्चा किए गए कारण युवाओं में हार्ट अटैक का कारण बन रहे हैं – जैसे कनेक्टिव टिशू विकार, अधिक हीमोग्लोबिन, सूजन संबंधी रोग और युवा महिलाओं में गर्भनिरोधक गोलियों का लम्बे समय तक सेवन। इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखना है तो इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अपने दैनिक जीवन का निर्धारण करें।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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