पेट के बल सोना कितना फायदेमंद, क्या वाकई ये सबके लिए बुरा है?
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पेट के बल सोना कितना फायदेमंद, क्या वाकई ये सबके लिए बुरा है?

हममें से काफी सारे लोगों को पेट के बल सोना पसंद होता है। क्योंकि उन्हें अच्छी नींद ही उल्टे होकर लेटने पर आती है। ये पोजिशन हर किसी की सेहत के लिए खराब नहीं है


हममें से अधिकांश लोगों की सोने की एक ना एक पसंदीदा पोजीशन होती है, जिसमें हमें सबसे ज्यादा आराम मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी सोने की मुद्रा (पोजिशन) आपके हृदय स्वास्थ्य पर अच्छा या बुरा प्रभाव डाल सकती है? अगर आप पेट के बल सोना पसंद करते हैं तो यह जानना जरूरी है कि क्या यह आदत आपके दिल के लिए सही है या नहीं...

हालांकि, किसी एक मुद्रा को सभी के लिए सही या गलत कहना मुश्किल है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह महत्वपूर्ण हो सकता है। इस लेख में हम पेट के बल सोने से जुड़े संभावित जोखिम और फायदे समझेंगे...

क्या पेट के बल सोने से हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

यदि किसी व्यक्ति का हृदय सामान्य रूप से कार्य कर रहा है तो पेट के बल सोने से दिल के दौरे या अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा नहीं बढ़ता। हृदय प्रणाली अनुकूलनशील होती है और सोने की स्थिति से सीधा प्रभावित नहीं होती।

पाचन संबंधी समस्याएं

हालांकि, यह मुद्रा एसिड रिफ्लक्स को बढ़ा सकती है, जिससे सीने में जलन या बेचैनी हो सकती है। कुछ मामलों में यह लक्षण हृदय समस्याओं से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे भ्रम पैदा हो सकता है। कि ये दिक्कत हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण हो रही है या फिर पाचन से जुड़ी दिक्कतों के कारण।

सोने की मुद्रा का हृदय स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

अगर आपका हार्ट सामान्य रूप से कार्य कर रहा है तो सोने की कोई भी मुद्रा विशेष रूप से हानिकारक नहीं होती। शरीर स्वतः ही सोने की स्थिति के अनुसार समायोजित हो जाता है। लेकिन यदि आपको हार्ट से जुड़ी कोई समस्या है तो इस बात का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है कि आप किस पोजिशन में सोते हैं।

हृदय की कमजोरी वाले लोगों को बाईं (लेफ्ट हैंड) ओर सोने में कठिनाई हो सकती है। क्योंकि इससे हृदय पर दबाव बढ़ सकता है और रक्त प्रवाह प्रभावित हो सकता है। ऐसे मरीज अक्सर दाईं (राइट हैंड) ओर सोना पसंद करते हैं, जिससे उन्हें अधिक आराम मिलता है।

क्या पेट के बल सोना हृदय रोगों को बढ़ा सकता है?

भले ही पेट के बल सोने की मुद्रा, हृदय रोगों का सीधा कारण न हो। लेकिन एसिड रिफ्लक्स को बढ़ाने के कारण यह सीने में जलन या बेचैनी पैदा कर सकती है। यह लक्षण हृदय संबंधी समस्याओं से मिलते-जुलते हैं और हृदय रोगियों में चिंता बढ़ा सकते हैं। हृदय रोगियों के लिए अच्छी नींद आवश्यक होती है। यदि पेट के बल सोने से एसिडिटी या बेचैनी होती है और इससे नींद खराब होती है। तो यह हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

पेट के बल सोना ठीक है या पीठ के बल सोना?

पीठ के बल सोने से कुछ लोगों में स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) की समस्या बढ़ सकती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और एरिथमिया जैसी हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। पेट के बल सोने से स्लीप एपनिया की संभावना कम हो सकती है। लेकिन यह एसिड रिफ्लक्स को बढ़ा सकता है।

पेट के बल सोना या करवट लेकर सोना

बाईं ओर सोना हृदय के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका हृदय कमजोर है। दाईं ओर सोना अधिक आरामदायक माना जाता है और यह गंभीर हृदय विफलता (हार्ट फेल्यॉर) के मामलों में हृदय कार्यक्षमता को दर्शा सकता है।

किन लोगों के लिए पेट के बल सोना अधिक जोखिमपूर्ण हो सकता है?

भले ही पेट के बल सोना स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम कर सकता है लेकिन यह एसिड रिफ्लक्स को बढ़ा सकता है, जिससे नींद प्रभावित हो सकती है। यदि किसी को पहले से ही हृदय संबंधी समस्या या गैस्ट्रिक समस्या है तो पेट के बल सोने से बेचैनी और नींद की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

क्या सोने की मुद्रा बदलने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है?

अगर आप एसिड रिफ्लक्स या सांस की समस्या से जूझ रहे हैं तो अपनी सोने की मुद्रा में बदलाव लाकर बेहतर नींद पा सकते हैं, जिससे आपका हृदय स्वस्थ बना रहेगा।

हृदय रोगियों के लिए सही सोने की मुद्रा चुनना रात की बेचैनी कम करने और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक हो सकता है।

यदि कोई हृदय रोग नहीं है, तो कोई भी मुद्रा ठीक है, बशर्ते आपकी नींद शांतिपूर्ण हो।

यदि आपको हृदय रोग, स्लीप एपनिया, या एसिड रिफ्लक्स की समस्या है, तो डॉक्टर से सही सोने की मुद्रा के बारे में सलाह लें।

सोने की स्थिति हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास पहले से हृदय संबंधी समस्याएं हैं। इसलिए यदि आप पेट के बल सोते हैं और किसी भी प्रकार की बेचैनी, एसिडिटी या हृदय संबंधी समस्या का अनुभव करते हैं तो डॉक्टर से परामर्श लें। साथ ही अपनी सोने की आदतों में बदलाव करने पर विचार करें। स्वस्थ हृदय के लिए अच्छी नींद जरूरी है!

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