
सिर घूम जाएगा ये सच जानकर, वेलनेस कोच ने दिया लिवर खराब होने का ऐसा कराण
आपको डराना नहीं बल्कि जागरूक करना हमारा मोटिव है। साबुन हम सभी की डेली हाइजीन का सबसे अहम पार्ट है। लेकिन वेलनेस कोच राम वर्मा ने ऐसी बात कही जो आंखें खोल देगी...
Impact Of Soap On Health: हम सभी रोज की साफ-सफाई और हाइजीन (Hygiene) के लिए साबुन (Soap) का उपयोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका अधिक उपयोग केवल आपकी त्वचा को ही नहीं बल्कि आपके लिवर को भी नुकसान पहुंचाता है। इसमें पाए जाने वाले केमिकल्स आपके ब्लड में मिलकर पूरे शरीर में भ्रमण कर सकते हैं... त्वचा विशेषज्ञों के अनुसार, नियमित रूप से साबुन का उपयोग त्वचा की प्राकृतिक नमी (Natural Moisture) को खत्म कर सकता है, जिससे कई स्किन प्रॉब्लम्स (Skin Problems) हो सकती हैं। लेकिन ये हेल्थ को कैसे नुकसान पहुंचाता है यहां जानें, साथ ही जानें कि इसके विकल्प के रूप में किन चीजों को अपनाएं...
साबुन से जुड़ी भ्रांतियां
- आप अगर ये मानकर चलते हैं कि साबुन से नहाने से आपके शरीर के सारे हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं तो आप गलतफहमी का शिकार हैं। क्योंकि मनुष्य के शरीर पर पाए जाने वाले लगभग 98 परसेंट बैक्टीरिया हमारी बॉडी के लिए फ्रेंडली होते हैं और जो 2 परसेंट बैक्टीरिया शरीर पर होते हैं, वही हमारे लिए हानिकारक होते हैं।
- खास बात ये है कि ये 2 परसेंट बैक्टीरिया साबुन से भी साफ नहीं होते हैं। यानी आप जब साबुन से नहाते हैं तो ज्यातार उन बैक्टीरिया को धो देते हैं, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक नहीं होते हैं!
- फ्रेंडली बैक्टीरिया के बार-बार धुल जाने से त्वचा की सुरक्षा कमजोर हो सकती है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
साबुन से नहाने के नुकसान
1. त्वचा को ड्राई बना सकता है
साबुन में मौजूद हार्श केमिकल्स (Harsh Chemicals) जैसे सल्फेट्स (Sulfates) और डिटर्जेंट (Detergents) त्वचा के नैचुरल ऑयल (Natural Oils) को खत्म कर सकते हैं। इससे त्वचा रूखी (Dry) और संवेदनशील (Sensitive) हो सकती है। खासकर अगर आपकी त्वचा पहले से ही ड्राई है तो साबुन का अधिक उपयोग खुजली (Itching) और जलन (Irritation) की समस्या बढ़ा सकता है।
2. त्वचा का पीएच बैलेंस बिगाड़ सकता है
हमारी त्वचा का पीएच लेवल (pH Level) सामान्य रूप से 4.5 से 5.5 के बीच होता है, जो इसे बैक्टीरिया और संक्रमण (Infection) से बचाने में मदद करता है। अधिकतर साबुन अल्कलाइन (Alkaline) होते हैं, जिनका pH 9 या उससे ज्यादा हो सकता है। इससे त्वचा का संतुलन बिगड़ सकता है और रैशेज़ (Rashes), रेडनेस (Redness) और मुंहासे (Acne) हो सकते हैं।
3. संवेदनशील त्वचा के लिए हानिकारक
अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव (Sensitive) है या आपको एक्ज़िमा (Eczema) या सोरायसिस (Psoriasis) जैसी स्किन प्रॉब्लम्स हैं, तो साबुन आपकी समस्या को और बढ़ा सकता है। इसमें मौजूद हार्श केमिकल्स और कृत्रिम खुशबू (Fragrance) त्वचा में जलन और लाल चकत्ते (Red Patches) पैदा कर सकते हैं।
4. उम्र से पहले झुर्रियां
साबुन के अधिक उपयोग से त्वचा ड्राई और डल (Dull) हो सकती है। जब त्वचा की प्राकृतिक नमी खत्म हो जाती है, तो उसमें जल्दी झुर्रियां (Wrinkles) और महीन रेखाएं (Fine Lines) दिखाई देने लगती हैं। इससे आपकी त्वचा समय से पहले बूढ़ी (Premature Aging) लग सकती है।
क्या साबुन का इस्तेमाल पूरी तरह छोड़ देना चाहिए?
साबुन का उपयोग पूरी तरह से बंद करने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसे सीमित करना और बेहतर विकल्प अपनाना फायदेमंद होगा। अगर आपकी त्वचा सामान्य (Normal) है तो हफ्ते में 2-3 बार ही साबुन का उपयोग करना पर्याप्त है। बाकी दिनों में उबटन, बेसन, मुल्तानी मिट्टी, ओट्स इत्यादि का दूध, गुलाबजल या ऑइल के साथ मिक्सर बनाकर उपयोग करें।
साबुन के विकल्प क्या हैं?
- माइल्ड बॉडी वॉश (Mild Body Wash) चुनें जिनमें सल्फेट्स और पैराबेन्स (Parabens) न हों। ये त्वचा को साफ करने के साथ उसे हाइड्रेट भी रखते हैं।
- आयुर्वेदिक उबटन (Ayurvedic Ubtan), बेसन (Gram Flour), हल्दी (Turmeric), चंदन (Sandalwood) और गुलाब जल (Rose Water) का उबटन त्वचा को नेचुरली साफ करता है और उसे नमी भी देता है।
- गर्मियों में नहाने के लिए साबुन की जगह मुल्तानी मिट्टी (Multani Mitti) का उपयोग करें, यह अतिरिक्त तेल को निकालकर त्वचा को हेल्दी बनाती है।
- अगर आपको हर दिन ज्यादा पसीना नहीं आता तो सिर्फ सिर्फ पानी से नहाना (Bathing with Just Water) भी स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।
- साबुन की जगह हल्का नारियल तेल (Coconut Oil) त्वचा पर लगाकर हल्के गुनगुने पानी से धोना भी स्किन को साफ और पोषित कर सकता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
वेलनेस कोच राम वर्मा का कहना है कि 'हाइजीन के लिए अच्छी क्वालिटी के साबुन का उपयोग करें वो भी सीमित मात्रा में। मैं खुद भी केवल ग्रोइंग एरिया पर ही साबुन का उपयोग करता हूं बाकि सी-सॉल्ट से नहाता हूं। क्योंकि स्किन पर जो भी मैल होता है, वो डेड स्किन सेल्स ही होती हैं' यदि आप स्नान के लिए मुल्तानी मिट्टी, बेसन इत्यादि आयुर्वेदिक और प्राकृतिक विधियों का उपयोग करते हैं तब भी स्किन की डेड सेल्स निकल जाती हैं। राम वर्मा आगे बताते हैं 'क्योंकि नियमित रूप से साबुन, क्रीम, लोशन इत्यादि लगाने से इनके केमिकल्स स्किन के माध्यम से शरीर के अंदर चले जाते हैं और ब्लड में सर्कुलेट होते हुए लिवर पर अटैक करते हैं।'
यदि आप साबुन, क्रीम, लोशन, शैंपू इत्यादि के हार्मफुल इफैक्ट्स के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके लिए राम वर्मा डॉक्टर मिंडी पेल्ज़ द्वारा लिखित पुस्तक द रीसेट फैक्टर पढ़ने की सलाह देते हैं। इस बुक में विस्तार से बताया गया है कि जब आप इन चीजों का उपयोग करते हैं तो ये आपके शरीर पर कैसा प्रभाव डालते हैं।