
वक्त से पहले बूढ़ा बनाता है ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस, जानें कारण और बचाव
ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस एक ऐसा तनाव होता है, जो शरीर को उम्र से पहले बूढ़ा दिखाने लगता है। ये तनाव क्यों होता है और कैसे इससे बचा जा सकता है, इस बारे यहां जानें...
Early Aging: आपकी जो वास्तविक उम्र है यदि आप उससे अधिक उम्रदराज दिखते हैं तो इसका कारण आपके शरीर में बढ़ा हुआ ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में त्वचा की सेहत को अंदर से नुकसान पहुंच रहा होता है। आमतौर पर यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है। यानी आपके शरीर में टॉक्सिन्स अधिक मात्रा में जमा हो जाते हैं, जो लगातार आपके शरीर की अंदरूनी कोशिकाओं को हानि पहुंचा रहे होते हैं। इससे त्वचा की बाहरी परत में ढीलापन, सूजन और डलनेस नजर आने लगती है। यहां जानें, ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे बचना है...
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस क्या है?
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर में मुक्त कण (फ्री रेडिकल्स) अत्यधिक मात्रा में होते हैं और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा कम होती है। यह कोशिकाओं (सेल्स) और ऊतकों (टिशूज़) को नुकसान पहुँचा सकता है। साथ ही कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ा सकता है।
ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का कारण क्या है?
प्रदूषण, सिगरेट के धुएं, कीटनाशकों और विकिरण जैसे विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) के कारण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है। साथ ही असंतुलित और खराब आहार, मोटापा, शराब का सेवन, कुछ दवाइयों का अत्यधिक सेवन, पूरी नींद ना लेना इत्यादि। इन सबके साथ ही प्राकृतिक रूप से भी भोजन पाचन की प्रक्रिया के दौरान हमारे शरीर में मुक्त कणों का निर्माण होता है।
ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का प्रभाव क्या होता है?
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कैंसर, अल्जाइमर रोग, हृदय रोग और अन्य पुरानी बीमारियों (क्रॉनिक डिजीज़) के विकास में योगदान कर सकता है।
यह उम्र बढ़ने (एजिंग) और पुरानी सूजन (क्रॉनिक इंफ्लेमेशन) में भी भूमिका निभाता है।
यह डीएनए, प्रोटीन, लिपिड और कार्बोहाइड्रेट जैसे जैव-अणुओं (बायोमोलेक्यूल्स) को अपूरणीय क्षति (इर्रिवर्सिबल डैमेज) पहुँचा सकता है।
कैसे मापा जाता है ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस?ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को मापने के लिए विभिन्न जैविक संकेतकों (Biomarkers) और परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। ये परीक्षण शरीर में मुक्त कणों (Free Radicals) और एंटीऑक्सीडेंट के संतुलन को समझने में मदद करते हैं। यदि शरीर में फ्री रेडिकल्स अधिक और एंटीऑक्सीडेंट कम होते हैं तो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस अधिक माना जाता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को मापने के लिए जैविक संकेतक (बायोमार्कर्स) शामिल हैं...
लिपिड पेरोक्सिडेशन मार्कर (Lipid Peroxidation Markers)
लिपिड पेरोक्सिडेशन तब होता है जब फ्री रेडिकल्स शरीर में मौजूद लिपिड (वसा) को ऑक्सीडाइज़ कर देते हैं, जिससे कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) क्षतिग्रस्त हो जाती है।
लिपिड पेरोक्साइड के उपव्युत्पन्न (डेरिवेटिव्स)
प्रोटीन ऑक्सीकरण उत्पाद (प्रोटीन ऑक्सिडेशन प्रोडक्ट्स)
कार्बोहाइड्रेट संशोधन (कार्बोहाइड्रेट मॉडिफिकेशन)
ऑक्सीडेटिव डीएनए मार्कर
ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कैसे कम करें?
एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों (जैसे फल और सब्जियाँ) का सेवन करने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है।
प्रदूषण, सिगरेट के धुएं और अन्य विषाक्त पदार्थों के संपर्क को कम करने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद मिल सकती है।
डेली लाइफ में योग, एक्सर्साइज और वॉक करके आप ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को कंट्रोल कर सकते हैं और यंग-हेल्दी दिख सकते हैं।
हर दिन सीमित मात्रा में मौसमी फलों का सेवन करके भी ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के बुरे असर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। जैसे, पाइनऐपल यानी अनानास, शहतूत, केला, कीवी, संतरा और मौसमी। ये ऐसे फल हैं, जो स्किन सेल्स को जल्दी रिपेयर करने और फ्रेश दिखने में मदद करते हैं।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है तो डॉक्टर से अवश्य सलाह करें।