
सुबह दर्द से अकड़ जाती है गर्दन? सर्वाइकल से बचाव के लिए क्या करें?
असल समस्या तब शुरू होती है, जब पिलो बहुत ऊंचा, बहुत नरम या बहुत सख्त होता है। बहुत ऊंचा तकिया सिर को आगे की ओर धकेल देता है, जिससे सर्वाइकल वर्टिब्रा पर दबाव...
Neck Pain: गर्दन का दर्द कितना भयानक होता है, यह वही समझ सकता है, जिसने इसे कभी-भी झेला हो। सर्दी के मौसम में यह समस्या अक्सर बढ़ जाती है। लेकिन न्यूरोसाइंस और ऑर्थोपेडिक रिसर्च बार-बार जिस एक चीज की ओर इशारा करती है, वह है पिलो यानी तकिया। क्योंकि नींद के 6–8 घंटे वही एक वस्तु है, जो सीधे गर्दन, रीढ़ और दिमाग के नर्व-नेटवर्क के साथ काम कर रही होती है...
गर्दन में खिंचाव और जकड़न का कारण
नींद के दौरान हमारी सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन की रीढ़ को एक खास न्यूट्रल अलाइनमेंट चाहिए होती है। इसका अर्थ है कि सिर न ज्यादा ऊपर झुका हो, न पीछे लटका हो और न ही एक तरफ दबा हुआ। Journal of Physical Therapy Science में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि गलत पिलो से सोने पर गर्दन की मांसपेशियों में लगातार माइक्रो-स्ट्रेन बनता है, जो धीरे-धीरे क्रॉनिक नेक पेन, सिरदर्द और हाथों में झनझनाहट तक ले जा सकता है।
गर्दन में दर्द क्यों होता है?
असल समस्या तब शुरू होती है, जब पिलो बहुत ऊंचा, बहुत नरम या बहुत सख्त होता है। बहुत ऊंचा तकिया सिर को आगे की ओर धकेल देता है, जिससे सर्वाइकल वर्टिब्रा पर दबाव बढ़ता है। वहीं बहुत नरम पिलो सिर को पर्याप्त सपोर्ट नहीं देता, जिससे नींद के दौरान गर्दन बार-बार असंतुलित स्थिति में जाती रहती है। Spine Journal में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, लंबे समय तक गलत पिलो इस्तेमाल करने से सर्वाइकल डिस्क पर दबाव बढ़ सकता है और नर्व इरिटेशन का खतरा बढ़ता है।
यह कनेक्शन सिर्फ गर्दन तक सीमित नहीं रहता। Sleep Medicine Reviews में छपी स्टडीज बताती हैं कि गर्दन की गलत पोजिशनिंग से दिमाग तक जाने वाला रक्त प्रवाह भी प्रभावित हो सकता है। यही वजह है कि कई लोग सुबह उठते ही भारी सिर, चक्कर या फोकस की कमी अनुभव करते हैं। यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में अधिक देखी जाती है, जिन्हें पहले से माइग्रेन, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस या तनाव की समस्या होती है।
करवट लेकर सोना और गर्दन में दर्द
पिलो का असर कंधों और ऊपरी पीठ पर भी पड़ता है। Harvard Health Publishing के अनुसार, साइड स्लीपर्स के लिए गलत पिलो कंधे और गर्दन के बीच की जगह को सही से सपोर्ट नहीं कर पाता, जिससे सुबह उठते समय कंधे में दर्द और जकड़न महसूस होती है। यही दर्द धीरे-धीरे ट्रेपेज़ियस मसल्स और अपर बैक तक फैल सकता है।
इसलिए आधुनिक स्लीप साइंस यह मानती है कि पिलो कोई साधारण आराम की वस्तु नहीं है। बल्कि न्यूरो-मस्कुलोस्केलेटल सपोर्ट टूल है। पिलो का चुनाव व्यक्ति की सोने की मुद्रा, कंधों की चौड़ाई और गर्दन के प्राकृतिक कर्व के अनुसार होना चाहिए। इस विषय में American Academy of Orthopedic Surgeons भी यह स्वीकार करता है कि सही पिलो गर्दन दर्द की रोकथाम में दवाओं से पहले की भूमिका निभा सकता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्दन की समस्या अचानक पैदा नहीं होती। यह महीनों-सालों तक गलत सपोर्ट के साथ और गलत पोजिशन में सोने का नतीजा होती है। शरीर रात में भी खुद को ठीक करने की कोशिश करता है। लेकिन अगर तकिया ही गलत हो तो जिस नींद में शरीर की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण होना चाहिए, उस नींद में कोशिकाएं बार-बार चोटिल होती रहती हैं। जिससे नींद रिपिटेड इंजरी बन जाती है।
गर्दन के दर्द में बेस्ट तकिया कैसे चुनें?
स्लीप साइंस साफ कहती है कि एक ही पिलो सबके लिए सही नहीं हो सकता। सबसे पहले उम्र की बात करें तो 30 की उम्र के बाद सर्वाइकल स्पाइन की डिस्क में नमी और लचीलापन धीरे-धीरे कम होने लगता है। जर्नल ऑफ ऑर्थोपैडिक रिसर्च (Journal of Orthopedic Research) में प्रकाशित शोध बताता है कि इस उम्र के बाद बहुत ऊंचे या बहुत सख्त पिलो गर्दन के प्राकृतिक कर्व को बिगाड़ देते हैं। यही कारण है कि 35 से 40 साल की उम्र के बाद सुबह उठते ही गर्दन अकड़ी हुई लगने लगती है। इस उम्र में सबसे ज्यादा नुकसान हार्ड फोम या बहुत मोटे कॉटन पिलो से होता है। क्योंकि ये गर्दन को न्यूट्रल पोजिशन में नहीं रख पाते।
डेस्क जॉब वाले कैसा तकिया लगाएं?
अब बात करें उन लोगों की,जो दिन भर डेस्क जॉब, लैपटॉप या मोबाइल स्क्रीन के सामने रहते हैं। न्यूरोसाइंस की भाषा में इसे 'फॉरवर्ड हेड पोस्टर' कहा जाता है। Spine Journal और European Spine Journal की स्टडीज बताती हैं कि ऐसे लोगों की गर्दन की मांसपेशियां पहले से ही खिंची हुई होती हैं। अगर वे रात में भी ऊंचा पिलो इस्तेमाल करते हैं तो सर्वाइकल मसल्स को आराम नहीं मिल पाता। इसका परिणाम यह होता है सुबह सिरदर्द, गर्दन दर्द और कंधों में भारीपन की समस्या रहती है। यानी स्क्रीन पर काम करने वालों के लिए हाई-लॉफ्ट पिलो सबसे ज्यादा नुकसानदेह होते हैं। इसलिए इन्हें ऑर्थो या फिजियो थेरेपिस्ट की सलाह पर सही तकिए का चुनाव करना चाहिए।
गर्दन का दर्द और सोने की स्थिति
सोने की पोजिशन भी बहुत बड़ा फैक्टर है। पीठ के बल सोने वालों के लिए बहुत मोटा पिलो सिर को आगे की ओर झुका देता है, जिससे सांस की नली और गर्दन दोनों पर दबाव बढ़ता है। इस विषय में Sleep Medicine में छपी रिसर्च बताती है कि इससे नींद की गुणवत्ता घटती है और रात में बार-बार करवट बदलने की आदत बनती है। वहीं पेट के बल सोने वालों के लिए तो कोई भी ऊंचा पिलो गर्दन के लिए खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इस पोजिशन में गर्दन घंटों एक तरफ मुड़ी रहती है।
साइड स्लीपर्स के मामले में कहानी थोड़ी अलग है। Harvard Health Publishing के अनुसार, अगर साइड स्लीपर पतला या बहुत नरम पिलो इस्तेमाल करता है तो गर्दन और कंधे के बीच की खाली जगह भर नहीं पाती। इससे सर्वाइकल स्पाइन नीचे की ओर झुक जाती है। यह स्थिति लंबे समय तक रहने पर नर्व कंप्रेशन और कंधे के दर्द की वजह बन सकती है। यानी साइड स्लीपर्स के लिए बहुत पतला पिलो भी उतना ही नुकसानदेह है, जितना बहुत ऊंचा।
इन बीमारियों संभलकर करें तकिए का उपयोग
कुछ खास बीमारियों में पिलो का चुनाव और भी संवेदनशील हो जाता है। जिन लोगों को सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, माइग्रेन, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया या हाथों में झनझनाहट की शिकायत रहती है, उनके लिए American Academy of Neurology की गाइडलाइंस साफ कहती हैं कि बिना सपोर्ट वाला पिलो समस्या को बढ़ा सकता है। ऐसे मामलों में गलत पिलो दर्द को 'रात में ठीक होने' नहीं देता बल्कि उसे और गहरा कर देता है।
सालों साल एक ही तकिए का उपयोग
एक आम लेकिन खतरनाक आदत है, सालों तक एक ही पिलो का उपयोग करना। इस विषय में Journal of Chiropractic Medicine में प्रकाशित स्टडी बताती है कि समय के साथ पिलो अपनी सपोर्ट क्षमता खो देता है। हालांकि ये तकिया ऊपर से भले ही वह देखने में ठीक लगे। ऐसा पिलो गर्दन को स्थिर रखने की बजाय उसे धंसने देता है, जिससे नींद के दौरान माइक्रो-इंजरी होती रहती है।
इसलिए आधुनिक मेडिकल साइंस अब यह मानता है कि पिलो का चुनाव उम्र, काम की प्रकृति और सोने की मुद्रा, तीनों को ध्यान में रखकर होना चाहिए। गर्दन दर्द कोई अचानक होने वाली समस्या नहीं है। यह अक्सर उस पिलो की कहानी होती है, जिसे हम केवल सुविधा की वस्तु मानकर सालों-साल बिना ध्यान दिए उपयोग करते रहते हैं।
आपको बता दें कि यहां सही तकिए का अर्थ कोई फैशन या ब्रांड का सवाल नहीं बल्कि नर्वस सिस्टम और रीढ़ की दीर्घकालिक सेहत का आधार है। गर्दन को स्वस्थ रखने और दर्द से बचाने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आप लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल पर घंटों काम करते समय भी अपने बैठने का पोश्चर सही रखें। साथ ही रात को सोते समय सही तकिए का चुनाव करें।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

