बस 2 साल में दूर होगा डायबिटीज टाइप-2 का खतरा, समय रहते ये कर लें
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20 साल की उम्र से 60 साल तक, शरीर शुगर के खतरे को नियंत्रित कर सकता है

बस 2 साल में दूर होगा डायबिटीज टाइप-2 का खतरा, समय रहते ये कर लें

कुल मिलाकर सार एक ही वाक्य में छिपा है कि डायबिटीज अचानक नहीं आती। वह चुपचाप बढ़ती है और प्रीडायबिटीज ही वह मोड़ है, जहां स्टीयरिंग पलटने की पूरी शक्ति होती है।


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प्री-डायबिटीज से डायबिटीज टाइप-2 की कहानी भी वहीं से शुरू होती है, जहां लोग आते हुए संकट को पहचान नहीं पाते। जब, टेस्ट रिपोर्ट में HbA1c थोड़ा बढ़ा हुआ आता है तब डॉक्टर कहते हैं कि अभी डायबिटीज नहीं है, बस प्रीडायबिटीज है और ज्यादातर लोग चैन की सांस भी ले लेते हैं। लेकिन सच यह है कि यही वह मोड़ होता है, जो तय करता है कि भविष्य में डायटबिटीज टाइप-2 होगी या नहीं। शरीर तब भी चुप नहीं होता लेकिन व्यक्ति असावधान रहता है।

प्री-डायबिटीज का यह समय खतरे का अलार्म भी है और डायबिटीज से बचने की आशा का सुनहरा अवसर भी। क्योंकि वैज्ञानिक अब साफ कह रहे हैं कि प्रीडायबिटीज के पहले 2 साल शरीर सबसे ज्यादा रिस्पॉन्सिव, सबसे ज्यादा रिकवरिंग और सबसे आसानी से रिवर्स हो सकने वाली अवस्था में होता है। यानी इस शुरुआती दौर में उठाए गए कदम अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध को पूरी तरह उलट सकते हैं और टाइप 2 डायबिटीज की शुरुआत होने ही नहीं देते।



शरीर के अंदर होता है ये बदलाव

असल संघर्ष शरीर के अंदर कहां चल रहा होता है, इसे समझना जरूरी है। प्रीडायबिटीज में इंसुलिन की कमी नहीं होती बल्कि शरीर उस पर प्रतिक्रिया देना बंद कर देता है। इसे इंसुलिन रेसिस्टेंस(Insulin Resistance) कहा जाता है। शरीर जितना कम प्रतिक्रिया देता है, अग्न्याशय को उतना अधिक इंसुलिन बनाना पड़ता है और कुछ समय बाद यह क्षमता थकने लगती है। शुरू के 2 से 3 साल तक अग्न्याशय की कोशिकाओं में पुनर्संरचना और रिकवरी की शक्ति बनी रहती है। लेकिन समय बीतने के साथ यह क्षमता कमजोर पड़ती जाती है। इसी अवधि को वैज्ञानिक रिवर्सल विंडो (Reversal Window) कहते हैं।



समय की है महत्वपूर्ण भूमिका

वर्ष 2024 का भारतीय अध्ययन डायबिटीज टाइप-2 से बचाव की उम्मीद को और मजबूत बनाता है। The Journal of Diabetes and Metabolic Disorders 2024 में प्रकाशित एक बड़े अध्ययन ने साबित किया कि यदि प्रीडायबिटीज के निदान के पहले दो सालों में वजन प्रबंधन, शारीरिक गतिविधि और आहार में सुधार किया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 60 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है।

अध्ययन में उन लोगों की प्रगति की तुलना की गई, जिन्होंने जल्दी जीवनशैली बदली और जिन्होंने वर्षों तक कोई प्रयास नहीं किया। इस तुलनात्मक अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले थे। जिन लोगों ने शुरुआती 24 महीनों में कदम उठाए, उनमें से 6 में से 4 लोग प्रीडायबिटीज से फिर पूरी तरह सामान्य अवस्था में लौट आए। जबकि जिन्होंने सुधार देर से शुरू किया, उनमें हर 3 में से 1 व्यक्ति 10 साल के भीतर टाइप 2 डायबिटीज तक पहुंच गया। यानी समस्या नहीं, समय निर्णायक भूमिका निभाता है।


वजन नियंत्रण का है महत्वपूर्ण रोल

पहले भी विज्ञान इस सच्चाई को बार-बार दोहरा चुका है। Diabetes Prevention Program जैसे ऐतिहासिक अध्ययन लगभग दो दशक पहले ही दिखा चुके थे कि अगर व्यक्ति 5 से 7 प्रतिशत वजन कम कर ले और हफ्ते में 150 मिनट गतिविधि कर ले तो तीन साल में टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 58 प्रतिशत घट जाता है। लंबी अवधि में भी यह लाभ 10 से 15 साल तक बना रहा। यानी शरीर में सुधार की क्षमता खत्म नहीं होती, उसे बस सही समय पर सक्रिय किया जाना चाहिए।



ये लक्षण हैं खतरे की घंटी

प्रीडायबिटीज की सबसे खतरनाक बात यह है कि इसके लक्षण नहीं दिखते। लोग तब तक कुछ नहीं करते जब तक घाव देर से भरने न लगें, आंखें धुंधली न होने लगें, ज्यादा प्यास न लगने लगे या रात को बार बार पेशाब न आने लगे। लेकिन विज्ञान बताता है कि प्रीडायबिटीज बिना लक्षणों के भी अंदर से मेटाबॉलिक नुकसान शुरू कर देती है। ब्लड शुगर थोड़ा-सा बढ़ना भी धीरे-धीरे नसों, किडनी और आंखों पर असर डालना शुरू कर देता है। इसलिए जब लक्षण आएंगे तब देखेंगे वाली सोच भविष्य में पछतावे की वजह बन सकती है।



20 से 60 की उम्र में हो सकता है कमाल

अगर इस समय समझ लिया तो भविष्य बदला जा सकता है। शरीर कोई मशीन नहीं बल्कि अनुकूलन क्षमता वाला जीव है। शोध बताते हैं कि 20 से 25 साल की उम्र से लेकर 55 से 60 की उम्र तक इंसुलिन प्रतिरोध को उलटने की संभावना रहती है। लेकिन सबसे ज्यादा संभावनाएं उसी समय होती हैं, जब प्रीडायबिटीज की शुरुआत बिल्कुल नई होती है। इसी वजह से डॉक्टर बार-बार कहते हैं कि प्रीडायबिटीज इलाज का समय नहीं बल्कि बचाव की आखिरी घंटी है।

कुल मिलाकर सार एक ही वाक्य में छिपा है कि डायबिटीज अचानक नहीं आती। वह चुपचाप बढ़ती है और प्रीडायबिटीज ही वह मोड़ है, जहां स्टीयरिंग पलटने की पूरी शक्ति होती है। पहले 2 साल ही वो खिड़की हैं, जब शरीर सबसे अधिक बदलने को तैयार होता है। इसके बाद रास्ता कठिन होता है लेकिन असंभव नहीं।


डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।



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