आप वेज खाते हैं या नॉनवेज? इन्हें खाकर पूरी करे विटामिन-D की कमी
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आप शाकाहारी हों या मांसाहारी, इनमें से अपना विटामिन-डी युक्त फूड चुन सकते हैं

आप वेज खाते हैं या नॉनवेज? इन्हें खाकर पूरी करे विटामिन-D की कमी

आधुनिक न्यूट्रिशन साइंस यह मानती है कि धूप के साथ-साथ भोजन से मिलने वाला विटामिन-D शरीर में अधिक स्थिर और प्राकृतिक तरीके से काम करता है...


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विटामिन-D की कमी से केवल हड्डियां कमजोर नहीं होती हैं बल्कि शरीर के अंदर बहुत सारी जैविक क्रियाएं प्रभावित होती हैं। इसलिए विटामिन-डी की कमी के लक्षणों में शारीरिक कमजोरी के साथ ही, रोग प्रतिरोधक क्षमता और हॉर्मोनल असंतुलन के रूप में सामने आते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ये लक्षण सीधे रूप में विटामिन-डी की कमी से जुड़े हुए नहीं दिखते और बिना मेडिकल जांच के इनका कनेक्शन जान पाना संभव नहीं होता है...


विटामिन-डी के लिए वेजिटेरियन लोग क्या खाएं?

मशरूम को लेकर Nutrition Reviews में वर्ष 2018 में प्रकाशित एक विस्तृत समीक्षा बताती है कि धूप या यूवी-लाइट में उगाए गए मशरूम शरीर में विटामिन-D2 का प्रभावी स्रोत बन सकते हैं। इस अध्ययन का निष्कर्ष यह रहा कि शाकाहारी लोगों में, खासकर बुजुर्गों में, मशरूम से मिलने वाला विटामिन-D हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी को धीमा करने में सहायक पाया गया है।

जब मशरूम को सूरज की रोशनी मिलती है तो वे विटामिन-D2 का निर्माण करते हैं। इनकी एक सर्विंग में 200 से 400 IU तक विटामिन-D मिल सकता है। न्यूट्रिशन जर्नल्स के अनुसार, यह स्रोत विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है, जिन्हें धूप में निकलने का अवसर कम मिलता है। भारतीय रसोई में इन्हें सब्ज़ी, सूप, दाल या पराठे की स्टफिंग के रूप में आसानी से शामिल किया जा सकता है।

वेजिटेरियन लोग फोर्टिफाइड दूध और दही का सेवन करके भी विटामिन-डी प्राप्त कर सकते हैं। इस विषय पर आधारित European Journal of Clinical Nutrition में 2011 में प्रकाशित शोध यह दर्शाता है कि जिन लोगों की डाइट में नियमित रूप से विटामिन-D फोर्टिफाइड डेयरी शामिल होती है, उनमें गंभीर विटामिन-D की कमी की संभावना कम पाई जाती है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन-D का संयोजन, दोनों को अकेले लेने की तुलना में अधिक प्रभावी होता है।


मांसाहारी लोगों के लिए हैं ये मछली

वसा युक्त मछली और विटामिन-D के संबंध को लेकर The American Journal of Clinical Nutrition में वर्ष 2012 में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण अध्ययन बताता है कि सैल्मन और मैकेरल जैसी मछलियों से मिलने वाला विटामिन-D, सप्लीमेंट की तुलना में अधिक स्थिर तरीके से रक्त में बना रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि भोजन से मिलने वाला विटामिन-D हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम के अवशोषण को लंबे समय तक सपोर्ट करता है। क्योंकि यह प्राकृतिक वसा के साथ शरीर में जाता है।



कॉड मछली का तेल

कॉड लीवर ऑयल पर Clinical Nutrition में 2016 में प्रकाशित रिसर्च बताती है कि कॉड मछली के लिवर का तेल केवल विटामिन-D का स्रोत नहीं है बल्कि इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड हड्डियों, दिमाग और सूजन को कम करने में मिलकर काम करते हैं और अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि इस रिसर्च में यह भी साफ हुआ कि इसका सेवन सीमित मात्रा में और चिकित्सकीय सलाह के साथ ही करना चाहिए। क्योंकि कॉड ऑइल के अत्यधिक सेवन से शरीर में विटामिन-A असंतुलन का खतरा हो सकता है।


क्या अंडे में विटामिन-डी होता है?

अंडे के योल्क पर केंद्रित Journal of Endocrinological Investigation में प्रकाशित साल 2014 की रिसर्च यह स्पष्ट करती है कि अंडे की पीली जर्दी में मौजूद फैट, विटामिन-D की जैव-उपलब्धता को कई गुना बढ़ा देता है। अध्ययन के अनुसार, केवल सफेदी खाने की तुलना में पूरा अंडा खाने से विटामिन-D का उपयोग शरीर बेहतर तरीके से कर पाता है, खासकर उन लोगों में जिनमें हार्मोनल या मेटाबॉलिक असंतुलन मौजूद होता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि अंडे के पीले भाग यानी योक में ही विटामिन-डी होता है और एक पूरा अंडा खाने से शरीर को 40 से 50 आईयू विटामिन-डी प्राप्त होता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि योल्क में मौजूद प्राकृतिक फैट ही विटामिन-D को शरीर में सक्रिय रूप में बदलने में मदद करता है। न्यूरो-एंडोक्राइन रिसर्च (Journal of Neuroendocrinology) साफ कहती है कि केवल सफेदी खाने से विटामिन-D का लाभ अधूरा रह जाता है।


विटामिन-डी क्या करता है?

विटामिन-D के शरीर में काम करने के तंत्र को लेकर Journal of Steroid Biochemistry and Molecular Biology में 2013 में प्रकाशित अध्ययन यह समझाता है कि विटामिन-D केवल हड्डियों तक सीमित नहीं है। यह जीन एक्सप्रेशन, इंसुलिन सेंसिटिविटी और इम्यून सिस्टम के नियंत्रण में भी भूमिका निभाता है। यही कारण है कि इसकी कमी से थकान, दर्द और मेटाबॉलिक समस्याएं एक साथ दिखती हैं।

इसी क्रम में Archives of Biochemistry and Biophysics में 2015 में प्रकाशित रिसर्च यह दिखाती है कि जब मशरूम, प्राकृतिक या नियंत्रित यूवी-लाइट के संपर्क में आते हैं तो इनमें विटामिन-D2 का निर्माण होता है, जो शरीर में सक्रिय रूप से कार्य करता है। यह अध्ययन खासतौर पर शाकाहारी आहार पर निर्भर आबादी के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

इन सभी शोधों का साझा निष्कर्ष यही है कि विटामिन-D शरीर के लिए केवल एक विटामिन नहीं है। बल्कि यह भोजन, धूप और शरीर की जैविक प्रक्रियाओं के तालमेल का परिणाम है। यही कारण है कि जब यह पोषण के रूप में आता है तो इसका असर केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहता। बल्कि शरीर के पूरे सिस्टम पर दिखाई देता है। हड्डियों की मजबूती बढ़ती है और समग्र सेहत में सुधार होता है।



डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।


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