
दिल अचानक नहीं कमजोर होता, पहले शरीर से इशारों में बात करता है
अब उतनी ताकत से खून नहीं भेज पा रहा, जितनी तेजी से शरीर को चाहिए। और जब पंपिंग कमजोर होती है तो प्रभाव केवल दिल पर नहीं, पूरे शरीर पर दिखता है...
हृदय की सेहत की जब बात आती है तब अक्सर हम यह मान लेते हैं कि दिल की बीमारी का मतलब होता है सीने में तेज़ दर्द, अचानक गिर पड़ना या इमरजेंसी। लेकिन कार्डियोलॉजी एक अलग ही सच्चाई बताती है कि अधिकांश मामलों में हृदय चुपचाप कमजोर होता है और उससे पहले शरीर ऐसे संकेत देता है, जिन्हें हम उम्र, थकान या मौसम कहकर अनदेखा कर देते हैं...
हार्ट फेल्योर का अर्थ यह नहीं कि दिल रुक गया। इसका अर्थ यह है कि दिल अब उतनी ताकत से खून नहीं भेज पा रहा, जितनी तेजी से शरीर को चाहिए। और जब पंपिंग कमजोर होती है तो प्रभाव केवल दिल पर नहीं, पूरे शरीर पर दिखता है।
हृदय की कमजोरी का पहला संकेत
हार्ट की कमजोरी का पहला संकेत यही होता है कि आपको खुद ही अनुभव होने लगता है कि अब शरीर में पहले जैसी ताकत नहीं रही। पहले जो सीढ़ियां आसान थीं, जो दूरी कम लगती थी, जो काम बिना सोचे हो जाता था... अब वही काम करते समय सांस फूल जाती है, पैर भारी लगते हैं, शरीर जल्दी थक जाता है। यह सामान्य थकान नहीं होती। यह संकेत होता है कि दिल शरीर की मांसपेशियों और अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पा रहा। कार्डियोलॉजिस्ट इसे हार्ट फेल्योर का सबसे शुरुआती और सबसे ज्यादा अनदेखा किया जाने वाला लक्षण मानते हैं।
PubMed आधारित अध्ययन में पाया गया कि हार्ट फेल्योर के शुरुआती लक्षणों में एक्सरसाइज करते समय सांस फूलना, शारीरिक गतिविधि सीमित होना और रात में सांस लेने में कठिनाइयां महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हैं।
दिल की कमजोरी के लक्षण टखनों और पैरों में सूजन
शाम होते-होते अगर पैरों के निशान गहरे दिखने लगें, टखनों के आसपास कसाव महसूस हो, जूते अचानक टाइट लगने लगें तो इसे केवल थकान या खड़े रहने का असर मत मानिए। जब दिल कमजोर होता है तो खून वापस दिल की ओर सही ढंग से नहीं लौट पाता। इसी का परिणाम होता है कि शरीर के निचले हिस्सों में तरल जमा होने लगता है। इसे मेडिकल भाषा में एडिमा कहा जाता है। शुरुआत में यह सूजन रात तक बढ़ती है और सुबह कम हो जाती है। लेकिन यही प्रक्रिया आगे चलकर दिल की गंभीर कमजोरी का संकेत बनती है।
हार्वर्ड हेल्थ की रिसर्च में बताया गया है कि जब दिल रक्त को उतनी ताकत से पंप नहीं कर पाता तो नीचे के हिस्सों में तरल जमा हो जाता है। विशेषकर पैरों, टखनों और पेट में। इसे एडिमा कहते हैं और यह हार्ट फेल्योर का अग्रिम संकेत माना जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन भी यही बताती है कि हार्ट फेल्योर में fluid retention के कारण पैरों, एंकल्स या पेट में सूजन हो सकती है।
सांस लेने में समस्या होना
जब दिल ठीक से खून नहीं पंप करता तो उसका असर फेफड़ों तक पहुंचता है। इस कारण शरीर का तरल फेफड़ों में भरने लगता है। इसका संकेत ऐसे समझें कि थोड़ी-सी मेहनत में सांस फूलना लेटते ही घुटन-सी लगना रात में अचानक सांस की कमी से नींद खुलना सूखी खांसी या सीने में भारीपन अक्सर लोग इसे एलर्जी, सर्दी या अस्थमा मान लेते हैं। लेकिन कार्डियोलॉजी कहती है कि यह दिल की गिरती सेहत का संदेश भी हो सकता है।
Johns Hopkins Medicine के अनुसार, हार्ट फेल्योर का सबसे आम शुरुआती लक्षण सांस फूलना है। पहले तेज़ काम के दौरान, और बाद में आराम में भी। यह फेफड़ों में तरल जमा होने के कारण होता है, जिससे CO₂ और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान मुश्किल हो जाता है।NIH / NHLBI शोध में भी पाया गया कि हार्ट फेल्योर वाले लोगों में दुर्लभ गतिविधि के समय और लेटने पर सांस की तकलीफ जैसे लक्षण होते हैं।
भूख कम लगना और पेट भारी रहना
दिल कमजोर होता है तो उसका असर पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। पेट और आंतों के आसपास तरल जमा होने लगता है। इसका परिणाम यह होता है कि थोड़ा खाने पर ही पेट भरा लगना, भूख का धीरे-धीरे कम हो जाना, खाने के बाद भारीपन, यह पाचन की बीमारी नहीं बल्कि दिल की कमजोरी का अप्रत्यक्ष संकेत हो सकता है।
वजन बढ़ रहा है लेकिन चर्बी नहीं
अगर वजन बढ़ रहा है लेकिन कमर नहीं बढ़ रही! जबकि आपका खान-पान वही है और शरीर भारी लग रहा है तो यह वजन पानी का वजन हो सकता है। दिल कमजोर होने पर शरीर में तरल जमा होता है और वजन अचानक बढ़ सकता है। यह संकेत खास तौर पर तब महत्वपूर्ण हो जाता है, जब साथ में टखनों की सूजन भी हो।
हार्ट फेल्यॉर का खतरा किन्हें अधिक होता है?
रिसर्च बताती है कि हार्ट फेल्योर का खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनमें यहां बताए गए ये लक्षण पहले से दिखाई देते हैं...
जिन्हें डायबिटीज है
जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर है
जिनका वजन अधिक है
जिन्हें पहले हार्ट अटैक या दिल की बीमारी हो चुकी है
इन स्थितियों में दिल पर लगातार दबाव बना रहता है।
दिल पहले चेतावनी देता है, अचानक धोखा नहीं
हार्ट फेल्योर अक्सर एक दिन में नहीं आता।
यह महीनों और वर्षों में बनता है और महत्वपूर्ण बात यह है कि शरीर हर चरण में हमें संकेत देता है। समस्या तब होती है, जब हम उन संकेतों को
बढ़ती उम्र का असर, थकान का प्रभाव इत्यादि मानकर अनदेखा कर देते हैं। इस विषय में कार्डियोलॉजी का स्पष्ट संदेश है कि दिल दर्द से पहले बात करता है। आप इस बात को सुनें और शरीर के संकेतों को समझें तो दिल की गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।
डिसक्लेमर- यह लेख जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

