बुढ़ापा इंजॉय करना है तो जवानी में करें ये काम, दूर रहेगा डिमेंशिया
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बुढ़ापे में नहीं होगी भूलने की बीमारी और खराब मेंटल हेल्थ

बुढ़ापा इंजॉय करना है तो जवानी में करें ये काम, दूर रहेगा डिमेंशिया

क्या आपने कभी सोचा है कि जिम वाले वही डम्बल्स, वही जिम की मशीनें, सिर्फ आपके शरीर को ही नहीं बल्कि दिमाग को भी फिट रखने में मदद कर सकती हैं? डिटेल में जानें...


Fitness Tips Dementia: जब हम वेट ट्रेनिंग की बात करते हैं, तो आमतौर पर हमारा ध्यान मांसपेशियों को मजबूत करने, शरीर को टोन करने और फिटनेस बढ़ाने पर होता है। लेकिन हाल की रिसर्च यह बता रही है कि वेट ट्रेनिंग केवल शरीर को ही नहीं बल्कि मस्तिष्क को भी फायदा पहुंचाती है। विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ होने वाले मानसिक पतन (cognitive decline) और डिमेंशिया जैसे रोगों को रोकने या धीमा करने में।

ऐसे हुई रिसर्च और ये आए रिजल्ट

ब्राज़ील की यूनिकैम्प यूनिवर्सिटी (UNICAMP) और साओ पाउलो रिसर्च फाउंडेशन (FAPESP) द्वारा की गई एक शोध में यह देखा गया कि वेट ट्रेनिंग बुज़ुर्गों के मस्तिष्क पर कैसे असर डालती है। अध्ययन में 55 वर्ष से अधिक उम्र के 44 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिन्हें माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट (MCI) यानी याददाश्त और सोचने की क्षमता में शुरुआती गिरावट की स्थिति थी। इन लोगों को दो समूहों में बाँटा गया- एक समूह को छह महीने तक सप्ताह में दो बार वेट ट्रेनिंग करवाई गई, जबकि दूसरे समूह को कोई विशेष व्यायाम नहीं दिया गया।

कॉग्नेटिव हेल्थ में सुधार

छह महीने की अवधि के बाद दोनों समूहों की तुलना करने पर यह पाया गया कि वेट ट्रेनिंग करने वाले समूह के प्रतिभागियों के मस्तिष्क में सकारात्मक बदलाव आए थे। खासतौर पर उनके हिप्पोकैम्पस और प्रीक्यूनियस क्षेत्र में- जो स्मृति और निर्णय लेने की प्रक्रिया से जुड़े होते हैं- संरचनात्मक मजबूती देखी गई। इसके अतिरिक्त उनकी संज्ञानात्मक क्षमता (cognitive ability) जैसे एकाग्रता, याददाश्त और मानसिक स्पष्टता में भी सुधार पाया गया।

वेट ट्रेनिंग कैसे करता है मस्तिष्क की मदद

वेट ट्रेनिंग शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाती है जिससे मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन और पोषण मिल पाता है। इसके साथ ही, यह BDNF (Brain-Derived Neurotrophic Factor) जैसे न्यूरोट्रॉफिक कारकों के स्राव को बढ़ावा देती है, जो न्यूरॉन्स की वृद्धि और मरम्मत में सहायक होते हैं। साथ ही, वेट ट्रेनिंग तनाव को कम करती है, नींद को सुधारती है और मस्तिष्क के कार्यशील नेटवर्क को सक्रिय बनाए रखती है।

क्या हर किसी को करनी चाहिए वेट ट्रेनिंग?

अगर आप 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य (cognitive health) को बेहतर बनाना चाहते हैं तो वेट ट्रेनिंग को अपनी जीवनशैली में शामिल करना बेहद लाभदायक हो सकता है। हालांकि, इस प्रकार की शारीरिक गतिविधि शुरू करने से पहले किसी प्रशिक्षित फिजिकल ट्रेनर या डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, विशेषकर यदि आपको कोई पुरानी बीमारी हो।

शरीर और मस्तिष्क दोनों की कसरत जरूरी है

बुढ़ापे में मानसिक क्षमता को बनाए रखना केवल पहेलियां सुलझाने या किताबें पढ़ने से नहीं होता बल्कि शरीर को सक्रिय रखना भी उतना ही जरूरी है। वेट ट्रेनिंग, जो अब तक केवल युवाओं और फिटनेस उत्साही लोगों के लिए मानी जाती थी, अब मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने का एक शक्तिशाली माध्यम साबित हो रही है।

इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका दिमाग उम्र के साथ भी तेज और स्पष्ट बना रहे तो समय आ गया है कि आप डम्बल्स को उठाना शुरू करें न सिर्फ मसल्स के लिए बल्कि अपने मस्तिष्क के लिए भी।

डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। कोई भी सलाह अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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