आयुर्वेद और यूनानी दवाओं की दुनिया में एक नई पहल, WHO का शानदार कदम
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आयुर्वेद और यूनानी दवाओं की दुनिया में एक नई पहल, WHO का शानदार कदम

अब आयुर्वेद, सिद्ध चिकित्सा पद्धिति और यूनानी दवाओं को मॉर्डन मेडिसिन ट्रीटमेंट के साथ में उपयोग किया जा सकेगा ताकि मरीज को जल्दी और समग्र स्वास्थ्य लाभ मिलें


WHO Health Updates: पारंपरिक चिकित्सा का परचम अब पूरी दुनिया में लहराएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2025 के इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (ICD) अपडेट में आयुर्वेद, सिद्ध (तमिल एरिया में उपयोग की जाने वाली प्राचीन चिकित्सा पद्धिति) और यूनानी चिकित्सा के लिए एक खास मॉड्यूल शामिल किया है। यह न केवल भारत की इन प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाला कदम है बल्कि इन्हें आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में बराबर की जगह देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह अपडेट पिछले 1 साल से चल रहे सफल परीक्षण और विचार-विमर्श का परिणाम है,जो 2024 में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, जैसे आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी के लिए शुरू किए गए इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (ICD)-11 TM-2 मॉड्यूल पर आधारित है।

अब आधुनिक स्वास्थ्य चिकित्सा का हिस्सा

ICD-11 के इस अपडेट में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा के बीच पुल बनाने की कोशिश की गई है। अब स्वास्थ्य सेवा प्रदाता दोनों का उपयोग करके बीमारियों का निदान कर सकते हैं। यह कदम आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी को सिर्फ एक प्राचीन परंपरा से आगे बढ़ाकर, आधुनिक चिकित्सा के बराबर ला खड़ा करता है।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने इसे "पारंपरिक चिकित्सा के लिए नया युग" बताते हुए कहा, "ICD-11 का यह अपडेट पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का हिस्सा बनाकर इसका दर्जा और प्रभाव दोनों बढ़ाता है।"

स्वास्थ्य सेवा में सुधार की गारंटी

अब पारंपरिक चिकित्सा को ड्यूल कोडिंग के जरिए आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ा जा सकता है। इसका मतलब है कि आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए दो शक्तिशाली प्रणालियां साथ मिलकर काम करेंगी। यह बदलाव न केवल बेहतर डेटा संग्रह और सटीक निदान सुनिश्चित करेगा बल्कि नीति-निर्माण और शोध में भी क्रांति लाएगा।

डब्ल्यूएचओ के डॉ. रॉबर्ट जैकब ने कहा, "ICD-11 के अपडेट स्वास्थ्य प्रणालियों को और अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाएंगे। यह कदम लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का हमारा वादा है।"

पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक मंच पर उदय

यह फैसला आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों को न केवल आधुनिक चिकित्सा के साथ खड़ा करता है बल्कि इन्हें वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान भी देता है। आयुष मंत्रालय ने इसे भारत की चिकित्सा धरोहर के लिए गर्व का क्षण बताया। आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी केवल चिकित्सा पद्धतियां नहीं हैं, यह जीवन जीने का तरीका हैं। इनकी उपयोगिता को अब वैश्विक स्तर पर समझा जा रहा है। डब्ल्यूएचओ का यह कदम इन प्रणालियों को सशक्त बनाता है और आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ संतुलन स्थापित करता है।

क्या बदलेगा आपके लिए?

यह कदम समग्र और समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं का वादा करता है। अब आपकी पसंदीदा आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी चिकित्सा न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में स्वीकार की जाएगी। डब्ल्यूएचओ के इस फैसले से इन चिकित्सा प्रणालियों की विश्वसनीयता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर कोई इनसे लाभान्वित हो सके।

अब वक्त आ गया है कि हम अपनी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर गर्व करें और इनका हिस्सा बनें। स्वास्थ्य के इस समग्र और टिकाऊ समाधान के साथ, एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य आपका इंतजार कर रहा है। यह सिर्फ शुरुआत है!

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