आंखों में सूखेपन की वजह बन रहा रूम हीटर, जलन और खुजली की समस्या बढ़ी
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आंखों को ठंड से बचाने का आसान उपाय

आंखों में सूखेपन की वजह बन रहा रूम हीटर, जलन और खुजली की समस्या बढ़ी

धुंधला दिखने की समस्या टियर फिल्म अस्थिरता के कारण शुरू हो सकती है। इसमें रोशनी आंखों की सतह पर सही से प्रतिबिंबित नहीं होती और साफ दृष्टि कमजोर पड़ जाती है।


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ठंड का मौसम आते ही हम त्वचा,बाल और गले की सेहत को लेकर काफी सतर्क हो जाते हैं। लेकिन आंखें… ये ऐसे छूट जाती हैं, जैसे इन पर ठंड का कोई प्रभाव नहीं होता। आंखें चुपचाप मौसम की हर चोट झेलती रहती हैं। फिर एक दिन अचानक जब खुजली, जलन या सूजन की समस्या होती है तो हम परेशान हो जाते हैं...


सर्दी का आंखों पर असर

असल में सर्दी आपकी आंखों की नमी खींच लेती है। ठंड से हवा बेहद शुष्क हो जाती है और आंखों की सतह पर मौजूद महीन-सी टीयर फिल्म अचानक अस्थिर होने लगती है। यही वह स्थिति है जहां समस्याओं की शुरुआत होती है, जिन्हें हम अक्सर 'थोड़ी जलन है', 'थकान का असर है' कहकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन विज्ञान और आई स्पेशलिस्ट बताते हैं कि सर्दियों में आंखें कई छिपी हुई चुनौतियों से गुजरती हैं...


सूखी हवा और टीयर फिल्म का टूटना

सर्दी में आंखों को कई प्रकार से नुकसान पहुंचता है। जैसे, हवा में नमी 20–30% तक कम हो जाती है। अमेरिकन अकेडमी ऑफ ऑप्थलमोलॉजी (American Academy of Ophthalmology) की एक रिपोर्ट बताती है कि इस मौसम में Dry Eye के केस लगभग एक तिहाई बढ़ जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ठंडी, शुष्क हवा हमारी आंखों की सतह को ढकने वाली टीयर फिल्म को तेजी से वाष्पित कर देती है। इस कारण आंखों में जलन, खुजली, भारीपन, लालपन और बार-बार आंख मींचने की आदत बनने लगती है।

ठंडी हवा अपने तरीके से आंखों को हानि पहुंचा रही होती है और घर के भीतर चलने वाला हीटर भी हवा को और शुष्क बनाकर आखों में सूखापन (Dryness) दोगुना कर देता है। क्योंकि हीटर की हीट से घर को गर्म करने के लिए घर पूरी तरह बंद कर दिया जाता है, इससे घर के अंदर मौजूद हवा में नमी और ऑक्सीजन दोनों का स्तर कम होने लगता है। इससे आंखों की तरलता पर बुरा असर पड़ता है।


आंखों में धुंधलापन

धुंधला दिखने की समस्या जीवन को असहज कर देती है। यह समस्या टियर फिल्म अस्थिरता के कारण भी शुरू हो सकती है। ऐसा होने पर रोशनी आंखों की सतह पर सही तरीके से रिफ्लेक्ट नहीं होती और साफ दृष्टि कमजोर पड़ जाती है। लोग इसे थकान मानते हैं। जबकि यह सर्दियों में आंखों की सतह सूखने का साफ संकेत होता है।


सर्दी में 'आंख आने की समस्या'

ठंड का मौसम वायरस के लिए अनुकूल होता है। भीड़भाड़ वाले स्थान, ऑफिस, स्कूल, मेट्रो, किसी भी जगह से वायरल कंजंक्टिवाइटिस आसानी से फैल सकता है। सुबह उठकर आंखों पर पपड़ी जमना, पानी बहना, लालपन और चुभन, ये सभी संकेत बताते हैं कि आंखें संक्रमण का सामना कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय जर्नल Ophthalmic Epidemiology के अनुसार, नवंबर से फरवरी के बीच वायरल कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की जाती है।

एलर्जी भी सर्दियों में आंखों पर हमला करती है। बहुत लोग समझते हैं कि एलर्जी तो सिर्फ गर्मियों में होती है। लेकिन यह आधा सच है। सर्दियों में घर के अंदर धूल, पालतू जानवरों की डैंडर और कमरे की बंद हवा में मौजूद एलर्जन आंखों को लाल, सूजी हुई और बेहद संवेदनशील बना देते हैं। घर के अंदर के वातावरण का (Indoor Allergy)इस एलर्जी में बड़ा रोल होता है। जैसे, पालतू जावरों के बाल और लार्वा, फंगस, धूल-मिट्टी, ताजी हवा का अभाव इत्यादि के कारण आंखों में खुजली बढ़ना एक बहुत आम समस्या है।


सर्दी में कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग

लेंस पहनने वाले लोग सर्दी के मौसम में आंखों में सूखेपन का 2–3 गुना अधिक अनुभव करते हैं। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन (American Optometric Association) बताती है कि कॉन्टेक्ट लेंस (Contact Lens) आंखों की नमी को सोख लेते हैं और टीयर फिल्म को और अधिक कमजोर करते हैं। इसी कारण सर्दियों में लेंस उपयोग करने वाले लोगों को लूब्रिकेशन ड्रॉप्स (Lubricating Drops) का उपयोग अनिवार्य रूप से करने के लिए कहा जाता है।

सर्दी में आंसू क्यों बहते रहते हैं?

यह सुनकर अजीब लग सकता है कि सर्दी में आंखें सूखती भी हैं और पानी भी बहता है! असल में, जब आंखें बहुत सूखती हैं तो शरीर इसे संभालने के लिए रिफ्लैक्स ट्रेनिंग शुरू कर देता है। इसमें टिअर ग्लैंड् अत्यधिक आंसू बनाने लगते हैं, जिससे आंखों से लगातार पानी बहता दिखाई देता है। इस स्थिति को रिफ्लेक्स एपिफोरा (Reflex Epiphora) कहा जाता है।


स्क्रीन टाइम और ठंड का संयुक्त हमला

सर्दी में अक्सर लोग कमरे में बैठकर स्क्रीन पर अधिक समय बिताते हैं। वैज्ञानिक तथ्य यह है कि स्क्रीन देखते समय पलक झपकने की दर 50% तक कम हो जाती है। पलक न झपकने से आंसू तेजी से सूखते हैं और आंखें डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) का शिकार हो जाती हैं। इस कारण आंखों में जलन, सिरदर्द, भारीपन और सूखापन बढ़ जाता है।

पहले से समस्या हो तो सर्दियां और चुनौतीपूर्ण

जिन लोगों को ग्लूकोमा (Glaucoma), आई प्रेशर (Eye Pressure) या टिअर ग्लैंड डिसऑर्डर (Tear Gland Disorder) हैं, उनके लिए सर्दी के मौसम में और मुश्किलें बढ़ जाती है। ठंड में परिधीय रक्त नलिकाएं (Peripheral Blood Vessels) सिकुड़ती हैं, जिससे आंखों में दबाव बढ़ सकता है और स्थिरता से देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। शरीर के बाहरी हिस्सों जैसे, हाथ-पैर, त्वचा, उंगलियां, पैर की उंगलियां, कान और नाक में जो छोटी रक्त-नलिकाएं फैली रहती हैं, उन्हें परिधीय रक्त-नलिकाएं कहा जाता है।

यही कारण है कि Ophthalmology Clinics सर्दी में नेत्र दाब की जांच (Eye Pressure Monitoring) की सलाह देते हैं। इसका अर्थ है आंख के अंदर मौजूद दाब (Intraocular Pressure) को मापना, जिससे ग्लूकोमा जैसी बीमारियों का पता चलता है।


सर्दी में आंखों का कैसे ध्यान रखें?

घर में साफ-सफाई बनाए रखें। धूल-मिट्टी जमा ना होने दें।

वेंटिलेशन का ध्यान रखें। दिन में कुछ घंटों के लिए घर के खिड़की-दरवाजे खोलें। ताकि अंदर की हवा बदल सके।

हीटर चलाने का समय निर्धारित करें। हर समय हीटर चलाकर ना रखें।

अधिक ठंडी हवा में जाने से पहले या दोपहिया वाहन का उपयोग करते समय क्लियर लेंस का चश्मा पहनें। ताकि डायरेक्ट हवा आंखों पर ना पड़े।

आंखों में जलन, सूखापन या खुजली की समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से मिलने में देरी ना करें। साथ ही आंखों को मसलने से बचें।



डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


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