द इलेवन्थ आवर—रुश्दी का अब तक का सबसे भावुक कथा-संग्रह
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द इलेवन्थ आवर—रुश्दी का अब तक का सबसे भावुक कथा-संग्रह

द इलेवन्थ आवर सलमान रुश्दी की पिछले एक दशक की सर्वश्रेष्ठ पेशकश मानी जा रही है। रुश्दी-प्रेमियों के लिए यह कृति उनके रचनात्मक वैभव की पुनःप्राप्ति है और नए पाठकों के लिए उनके कल्पनाशील संसार में प्रवेश का शानदार द्वार।


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सलमान रुश्दी की नई किताब 'द इलेवन्थ आवर' (पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया) में शामिल लघु-कथा ‘इन द साउथ’ के मध्य भाग में लेखक एक मार्मिक प्रसंग जोड़ते हैं। यहां एक छोटे-से पात्र डी’मेलो—जो मुंबई का जुनूनी रोमांटिक है—शहर के सबसे प्रसिद्ध कवि की त्रासदी बयान करता है। रुश्दी नाम तो नहीं लेते, पर संकेत स्पष्ट हैं कि वह भारत के महान अंग्रेज़ी कवि निस्सिम इज़ेकिएल (1924-2004) की ओर इशारा कर रहे हैं, जो जीवन के अंतिम वर्षों में अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया से जूझते रहे।

कहानी में रुश्दी लिखते हैं कि कवि रोज़ अपने छोटे, पत्रिकाओं से भरे दफ्तर तक पहुंच जाते थे—बिना यह जाने कि क्यों जा रहे हैं। उनके कदम रास्ता पहचानते थे। वे घंटों खाली निगाहों से बैठते और फिर शाम होने पर Churchgate स्टेशन की भीड़, चमेली बेचने वालों, फुटपाथ के बच्चों, BEST बसों की गड़गड़ाहट और वेस्पा चलाती लड़कियों के बीच से गुज़रते हुए घर लौट आते।

किताब का शीर्षक संकेत देता है कि 'द इलेवन्थ आवर' की कहानियों में बुढ़ापे, क्षय और मृत्यु की छाया लगातार मौजूद रहती है। ‘इन द साउथ’ संग्रह की पहली कहानी है, जिसमें जूनियर और सीनियर नाम के दो बुज़ुर्ग पड़ोसी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर एक-दूसरे से झगड़ते, पुरानी बातों को याद करते और जीवन से जूझते नजर आते हैं। एक दिन वेस्पा पर सवार लड़कियों के कारण जूनियर गिर पड़ते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है—यह घटना सीनियर को अपने ‘फ्रेनिमी’ के साथ साझा किए रिश्ते और उसकी विरासत पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करती है।

अन्य कहानियों में ‘लेट’ में एक ब्रिटिश लेखक का भूत अपने ही साहित्यिक विरसे और औपनिवेशिक अपराधों से जूझता दिखाई देता है। ‘ओक्लाहोमा’ साहित्यिक रहस्य, दार्शनिक रोमांच और ‘लेट स्टाइल’ पर गहरी चर्चा का सम्मिश्रण है। ‘द ओल्ड मैन इन द पियाज़ा’ अल्पकाय रूपक है—आधुनिक लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर। वहीं ‘द म्यूज़ीशियन ऑफ कहानी’ रुश्दी की पूर्व रचनाओं की ध्वनियों से भरी एक कहानी है, जिसमें चांदनी कॉन्ट्रैक्टर नाम की विलक्षण संगीतकार वरदान और अभिशाप दोनों देने की क्षमता रखती है।

विरासत का प्रश्न

‘इन द साउथ’ और ‘लेट’ दोनों कहानी के केंद्र में जीवन के अंत में व्यक्ति की विरासत का प्रश्न मौजूद है। ‘लेट’ इस विचार का व्यंग्यात्मक रूप प्रस्तुत करती है, जबकि ‘इन द साउथ’ अपनी भावनात्मक शक्ति के कारण पाठक के मन में गहराई से बैठ जाती है। रुश्दी अक्सर अपनी भाषा-चातुरी और सांस्कृतिक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, मगर यह संग्रह दिखाता है कि उनके मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण कितने सूक्ष्म और प्रभावशाली हैं। जूनियर और सीनियर के संवाद—जहां वे एक-दूसरे को जीवन और मृत्यु के प्रतीकों में बदलकर चिढ़ाते हैं—उनके रिश्ते की जटिलता को खूबसूरती से उजागर करते हैं।

एक और प्रभावशाली पल तब आता है, जब सीनियर समझते हैं कि पोस्ट ऑफिस में कोई उनसे उलझता क्यों नहीं। लोग उन्हें देखते ही ‘चलता-फिरता मृतक’ समझते हैं। रुश्दी लिखते हैं, “यह जीवन की मृत्यु के प्रति तिरस्कार भरी नजर थी।”

अंतिम जादुई यात्रा

लगभग नॉवेला-लंबाई वाली दो कहानियां—‘द म्यूज़ीशियन ऑफ कहानी’ और ‘ओक्लाहोमा’—इस संग्रह का श्रेष्ठ हिस्सा हैं। ‘द म्यूज़ीशियन ऑफ कहानी’ में चांदनी कॉन्ट्रैक्टर की असाधारण संगीत प्रतिभा, उसकी खतरनाक शादी और उसके पिता रहीम कॉन्ट्रैक्टर का एक ढोंगी गुरू ‘जीएस’ के चंगुल में फंसना, कथा का मुख्य आधार है। ‘कहानी’ यहां मुंबई का काल्पनिक नाम है—रुश्दी इसे अपने बचपन के शहर को पुनः देखने का बहाना बनाते हैं।

तीसरे खंड में रुश्दी अपनी कल्पनालोक को खुद उजागर करते हैं—चांदनी और उसका परिवार उनके कल्पित पात्रों की लंबी परंपरा का हिस्सा बताया गया है, जिसमें ‘बिग-नोज़’ सलीम सीनाई भी शामिल हैं। लेखक स्वीकारते हैं कि वे “अपने बीते कलों से आखिरी बार मिलने” आए हैं। ‘ओक्लाहोमा’ एक जटिल कथा है जो कला, पागलपन और साहित्यिक प्रभाव के उलझे रिश्तों को परत-दर-परत खोलती है। नायक अपने ‘अंकल के’ (स्पष्टतः काफ्का संदर्भ) जैसा बनने के जुनून में वास्तविकता से दूर होता जाता है।

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